ऐसा क्या हुआ कि एक साथ 2452 मरीज पहुंच गए JLNMCH, पैर रखने तक की नहीं थी जगह; महिलाओं की कतार में खड़े हो गए पुरुष
Bhagalpur News आपको कैसा लगेगा अगर आप किसी अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाएं और वहां एक साथ हजारों मरीज आ जाएं। अस्पताल में पैर रखने तक की जगह ना बचे। सोमवार को कुछ ऐसा ही नजारा भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल का था। ओपीडी का पंजीयन काउंटर सुबह आठ बजे खोला गया। उससे पहले ही वहां मरीजों की लंबी कतार लग चुकी थी।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के ओपीडी में सोमवार को 2452 मरीज इलाज कराने पहुंचे। आमतौर पर एक मरीज के साथ कम से कम दो स्वजन आते हैं।
अब ओपीडी के अंदर इतनी भीड़ हो गई कि वहां पांव रखने की जगह नहीं बची। ओपीडी में सीमित जगह है। ऐसे में, पंजीयन काउंटर के सामने जो कतार लगी थी वह बाहर तक चली गई। दोपहर बारह बजे तक मरीज पंजीयन कराने के लिए परेशान दिखे।
सुबह आठ बजे खुला ओपीडी का पंजीयन काउंटर
ओपीडी का पंजीयन काउंटर सुबह आठ बजे खोला गया। उससे पहले ही वहां मरीजों की लंबी कतार लग चुकी थी। महिला एवं पुरुष के लिए अलग-अलग कतार लगी थी। ग्यारह बजे के बाद भीड़ इतनी हो गई की मरीज को ओपीडी के बाहर कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।
इस बीच पुरुषों के लिए बने काउंटर का कंप्यूटर हैंग हो गया। इस वजह से एक घंटे से ज्यादा वक्त तक पंजीयन को इस काउंटर पर बंद कर देना पड़ा। अब इस काउंटर पर जो मरीज लगे थे वो दूसरे काउंटर पर जाने के लिए जद्दोजहद करने लगे।
महिलाओं की कतार में लग गए पुरुष
काउंटर बंद होने के कारण वहां से पुरुष मरीज निकलकर महिलाओं की कतार में जाने लगे। यह देख महिलाओं ने विरोध करना शुरू कर दिया। इससे हंगामा होने लगा।
अंत में जो मरीज कतार में नहीं लग पाए वह वापस लौटने की तैयारी करने लगे। वहीं, महिलाओं का कहना था कि काफी भीड़ है। ऐसे में, इलाज कराने से पहले दो घंटा से ज्यादा का वक्त पंजीयन कराने में गुजारना पड़ा।
बारह बजे तक चिकित्सक के चैंबर लगभग रहे खाली
आठ से दस बजे तक जितने मरीजों का पंजीयन हुआ था, वे जल्दी इलाज करा कर वापस हो रहे थे। वहीं, मेडिसिन, हड्डी, ईएनटी, गायनी विभाग में मरीजों की भीड़ बारह बजे तक कम रही।
मरीज का इंतजार चिकित्सक करते दिखे। वहीं, पैथोलॉजी में भी जांच कराने वालों की भीड़ बारह बजे तक कम रही। मरीज ओपीडी में जमीन पर बैठकर भीड़ खत्म होने का इंतजार करते नजर आए।
मौसमी रोग एवं ऑपरेशन करा चुके मरीज ज्यादा हुए वापस
ओपीडी में आए साठ प्रतिशत मरीज मौसमी बीमारियों का शिकार थे। उनमें बुखार, सर्दी-खांसी का शिकार मरीजों की संख्या ज्यादा थी। इन मरीजों में चालीस से पचास प्रतिशत रोगी बिना इलाज कराएं वापस हो गए। इसके अलावा ऐसे रोगी जिनका ऑपरेशन हुआ है और चिकित्सक ने वापस जांच के लिए बुलाया था। ऐसे मरीज दूरदराज से आए और भीड़ देख वापस हो गए।
शाम को भी होती है ओपीडी, कम आते हैं रोगी
विभाग के आदेश पर सरकारी अस्पतालों में दो पालियों में ओपीडी सेवा होती है। शाम की पाली में सौ से ज्यादा मरीज नहीं आते हैं, जबकि हर विभाग में चिकित्सक तैनात रहते हैं। ऐसे में, रोगियों को गार्ड शाम को आने की सलाह देते नजर आए। ज्यादातर मरीजों को शाम की ओपीडी के बारे में जानकारी नहीं थी।
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