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Raksha Bandhan: भाई ने दिया वचन, बहन ने दिया जीवन दान.. इस तरह बचाई अनुज की जान, पढ़िए अटूट प्रेम की ये स्टोरी

यूं तो भाई रक्षाबंधन पर अपनी बहन से राखी बंधवाकर उसे उपहार देने के साथ रक्षा का वचन देते हैं लेकिन भागलपुर की एक बहन ने अपने भाई को ‘जीवन दान’ देकर रक्षाबंधन का रिटर्न गिफ्ट दिया। शाहकुंड प्रखंड के खैरा गांव के रहने वाले संजय कुमार दास को 48 वर्षीय उनकी बड़ी बहन पुनीता सिन्हा ने अपनी किडनी देकर मौत के मुंह से बचा लिया।

By Edited By: Shashank ShekharUpdated: Thu, 31 Aug 2023 02:31 PM (IST)
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भाई ने दिया वचन, बहन ने दिया जीवन दान

मिहिर, भागलपुर: यूं तो भाई रक्षाबंधन पर अपनी बहन से राखी बंधवाकर उसे उपहार देने के साथ रक्षा का वचन देते हैं, लेकिन भागलपुर की एक बहन ने अपने भाई को ‘जीवन दान’ देकर रक्षाबंधन का रिटर्न गिफ्ट दिया।

शाहकुंड प्रखंड के खैरा गांव के रहने वाले संजय कुमार दास को 48 वर्षीय उनकी बड़ी बहन पुनीता सिन्हा ने अपनी किडनी देकर मौत के मुंह से बचा लिया।

इतना ही नहीं, उन्होंने एक साल से ज्यादा समय तक बच्चे और परिवार को छोड़कर अस्पताल में संजय की देखभाल की। आज दोनों भाई-बहन स्वस्थ हैं और बेहतर जीवन जी रहे हैं। राखी के अवसर पर भाई-बहन का यह अनूठा प्यार हर कोई याद कर रहा है।

क्या है पूरा मामला, पढ़िए

बात 2006 की है। कर्नाटक की एक मल्टीनेशनल कंपनी में हेड के रूप में कार्यरत संजय कुमार दास उन दिनों को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं।

उस समय उनकी उम्र 42 वर्ष थी। तभी पता चला कि उनकी किडनी खराब हो गई है। उन्होंने हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज शुरू कराया, लेकिन चिकित्सक की लापरवाही से परेशानी और बढ़ गई।

इसके बाद वह सीएचसी वेलौर में भर्ती हुए। चिकित्सक ने 103 बार डायलिसिस करने के बाद कहा कि किडनी काम नहीं कर रही है। ऐसे में ट्रांसप्लांट ही एक मात्र रास्ता है।

चार दिन बाद ही भाई को बांधी राखी

संजय बताते हैं कि इसकी जानकारी होने पर ससुराल और घर के सभी लोग अस्पताल आ गए। पांच भाई और दो बहनें किडनी देने के लिए तैयार थीं, लेकिन बड़ी दीदी पुनीता सिन्हा ने कहा कि तुम सभी भाई-बहनों की अभी शादी नहीं हुई है, जबकि मैंने अपनी आधी जिंदगी जी ली है।

ऐसे में मैं अपनी किडनी दूंगी। अंतत: दीदी की जांच की गई। हालांकि, चिकित्सक ने कहा कि सबकुछ तो ठीक है, लेकिन एक टेंशन वाली बात है।

पूछने पर कहा कि आपकी किडनी तो ट्रांसप्लांट की जा सकती है, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि आपके भाई की जान न बच सके।

इस पर दीदी ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है। उसने मेरी रक्षा का वचन दिया है। मैंने भी उसे बचाने का प्रण लिया है। आप किडनी ट्रांसप्लांट कीजिए। मुझे उसे राखी बांधनी है। किडनी ट्रांसप्लांट के चार दिन बाद ही उन्होंने रक्षाबंधन के मौके पर भाई की कलाई पर अपना प्यार बांधा।

भाई कष्ट में रहे तो कैसे देख सकती है बहन

भाई को कष्ट में कैसे देख सकती है बहन बहन पुनीता सिन्हा कहती हैं कि भाई कष्ट में रहे तो बहन कैसे देख सकती है।

बात सिर्फ किडनी की थी, अगर उसके लिए सबकुछ न्योछावर करनी हो तो भी करती। आज भाई खुश है और स्वस्थ है। इसी में मेरी खुशी है। विषम परिस्थितियों में अगर परिवार काम नहीं आएगा तो कौन आएगा।

मुझे स्वस्थ देखकर पिता के रोग हो गए दूर

मुझे स्वस्थ देखकर पिता के रोग हो गए दूर किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पिता कुंवर चंद्र दास मुझे अस्पताल देखने आए। उनके साथ मेरा भाई पशुपति था।

पिता हाथ में लाठी लेकर चलते थे। वह चश्मा और कान में सुनने वाली मशीन भी लगाते थे, लेकिन मुझे स्वस्थ देकखर ऐसा लगा कि उनकी सारी बीमारियां दूर हो गई हैं।

उन्होंने लाठी फेंकी और मेरे साथ घर आ गए। हमें देखने के बाद उन्होंने चश्मा और कान में सुनने वाली मशीन भी निकाल दी। यह आश्चर्य से कम नहीं था। अब वह सामान्य व्यक्ति की तरह रह रहे हैं।