Kali Puja 2020 : भागलपुर में इक्कीस घंटे में सात किमी पहुंची काली प्रतिमा, हुआ विसर्जन
Kali Puja 2020 भागलपुर में विसर्जन शोभायात्रा में सबसे आगे परबत्ती की मां बुढिय़ा काली चल रही थीं। अंतिम में बूढ़ानाथ की बम काली की प्रतिमा। शाम चार बजे हुआ परबत्ती की मां बुढिय़ा काली का विसर्जन। बूढ़ानाथ की बम काली देर रात हुई विसर्जित।
भागलपुर, जेएनएन। Kali Puja 2020 : परबत्ती की मां काली की प्रतिमा सोमवार की शाम 7:30 बजे विसर्जन के लिए से रवाना हुई। शोभा यात्रा में 21 घंटे लग गए। मंगलवार की शाम चार बजे मुसहरी घाट में काली के जयघोष के साथ विसर्जन हुआ।
शोभायात्रा में शामिल परबत्ती काली मां की प्रतिमा को सात किलोमीटर की दूरी तय करने में 21 घंटे लगा। इसके पीछे साहिबगंज, रजक टोला, नया टोला परबत्ती की प्रतिमा का विसर्जन बारी-बारी से किया गया। विसर्जन शोभायात्रा में सबसे आगे परबत्ती की मां बुढिय़ा काली चल रही थीं, जबकि अंतिम में बूढ़ानाथ की बम काली की प्रतिमा का विसर्जन हुआ।
शोभायात्रा को देखने सड़क पर उतरे लोग
शोभा यात्रा को देखने के लिए प्रतिमा जिस पथ होकर जा रही थी लोग घरों से निकलकर सड़क पर मां के दर्शन के लिए आतुर दिखे। श्रद्धालुओं में महिलाओं की संख्या भी काफी रही। हर कोई काली मां से दर्शन कर आशीष और अभयदान लेना चाहता था।
पुलिस प्रशासन की कही सख्ती नहीं
विसर्जन के दौरान पुलिस प्रशासन साथ में विसर्जन घाट तक तैनात रहा। हालांकि विसर्जन यात्रा में शामिल लोगों ने स्वत: गाइडलाइन का पालन करते हुए सौहार्दपूर्ण वातावरण में शोभा यात्रा से लेकर विसर्जन तक किया। रास्ते में कहीं किसी प्रकार का तनाव बाद विवाद नहीं हुआ। सभी श्रद्धा और भक्ति में डूबे थे।
युवाओं की टोली भक्ति के धुन पर ठुमके लगाते रहे। पांव थिरकता रहा। काली मां का जयघोष लगता रहा। हालांकि कोरोना के कारण परंपरा टूटती भी दिखी। शहर की कई प्रतिमाएं कल ही विसर्जित हो गईं।
महासमिति ने दिया धन्यवाद
काली महारानी महानगर केंद्रीय महासमिति की ओर से उपाध्यक्ष विनय कुमार सिन्हा ने शहरवासियों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि शांति, सद्भाव और भाईचारे के माहौल में 67वां विसर्जन किया गया। सभी स्थानीय पूजा समितियों ने भी समय को देख गाइडलाइन का पालन कर काली पूजा संपन्न किया।
बहबलपुर की काली मां का बाइपास मार्ग से हुआ विसर्जन
नाथनगर के बहबलपुर की काली प्रतिमा का विसर्जन मंगलवार की देर शाम बाइपास मार्ग से चंपा नदी घाट पर किया गया। समिति के मेढ़पति अजय सिंह खुद प्रतिमा की गाड़ी का स्टियरिंग संभाले आगे-आगे चल रहे थे। जिला प्रशासन द्वारा कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन के तहत पूजा अर्चना की गई थी।
विसर्जन में कोई डीजे नहीं बजाया गया। प्रतिमा की अधिक ऊंचाई के कारण इस वर्ष मुख्य मार्ग रेलवे फाटक नाथनगर के मार्ग से प्रतिमा के विसर्जन शोभायात्रा को जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। इसलिए बाइपास मार्ग से प्रतिमा को ले जाया गया। कंझिया हुलास स्थान चौक पर प्रतिमा शाम चार बजे पहुंची।
रामपुर खुर्द पंचायत के सरपंच पप्पू तांती ने बताया कि शाम छह बजे प्रतिमा बिहारीपुर पुरानीसराय मोड़ पर पहुंची। इसके बाद दोगच्छी मिर्जापुर चौक होते हुए चंपा नदी घाट पर प्रतिमा पहुंची। पूर्व मुखिया प्रतिनिधि शंभु चौधरी ने बताया कि यह प्रतिमा सिर्फ भागलपुर की ही नहीं बल्कि पूरे बिहार की सबसे बड़ी प्रतिमा में से एक थी।
विसर्जन के दौरान मेढ़पति अजय सिंह, अमित यादव, जितेंद्र कुमार, मनोज, विद्या, प्रिंस कुमार, पिंटू, टिंकू सिंह, बलराम सिंह सहित मधुसूदनपुर थानाध्यक्ष मिथलेश कुमार, ललमटिया थानाध्यक्ष ओमप्रकाश, नाथनगर इंस्पेक्टर मो.सज्जाद हुसैन आदि उपस्थित थे।