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Black Monday: क्या शेयर बाजार के लिए ब्लैक होगा मंडे? अमेरिका में हाहाकार ने बढ़ाई चिंता

अमेरिका में मंदी आने की आशंका जताई जा रही है। ईरान और इजरायल के बीच तनाव भी बढ़ रहा है। कंपनियों के तिमाही भी उम्मीद से कमजोर आ रहे हैं। इन सबके चलते ब्लैक मंडे की आशंका जताई जा रही है यानी सोमवार को भारतीय शेयर मार्केट में भारी गिरावट होगी। एक्सपर्ट का भी मानना है कि शेयर बाजार का मूल्यांकन काफी अधिक है और इसमें करेक्शन हो सकता है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 04 Aug 2024 03:38 PM (IST)
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सोमवार को शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट की आशंका जताई जा रही है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली दिखी। दोनों सूचकांक यानी सेंसेक्स और निफ्टी एक फीसदी से अधिक गिरावट के साथ बंद हुए। इसकी सबसे बड़ी वजह वैश्विक बाजारों का रुझान रहा, जो लाल निशान में कारोबार थे। सबसे अधिक चिंता अमेरिकी शेयर बाजार ने बढ़ाई, जहां आर्थिक जानकार मंदी की आशंका जता रहे हैं।

कैसा रहेगा कारोबारी माहौल?

एक्सपर्ट का कहना है कि इस हफ्ते कई फैक्टर शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे। सबसे ज्यादा नजरें रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति की बैठक पर। पिछले दिनों अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए। बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) तो ब्याज दरों में कटौती कर भी चुका है। ऐसे में निवेशकों की नजर आरबीआई के फैसले पर रहेगी कि वह नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव करता है या नहीं।

कंपनियों के तिमाही नतीजे भी मार्केट की दिशा तय करने में अहम फैक्टर साबित होंगे। अब तक कंपनियों के जून तिमाही के वित्तीय नतीजे कुछ खास नहीं रहे। यही वजह है कि निवेशक भी पूंजी लगाने से बच रहे हैं और शेयरों में गिरावट आ रही है। साथ ही, ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। इससे तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है। इस फैक्टर पर भी निवेशकों की नजरें रहेंगी।

क्या ब्लैक होगा मंडे?

अमेरिका में मंदी की आशंका के बीच भारतीय निवेशक काफी चिंतित हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग ब्लैक मंडे का अंदेशा जता रहे हैं यानी सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भारतीय गिरावट आएगी। हालांकि, अमेरिका में मंदी की आशंका का कारण है बेरोजगारी और इससे जुड़ा है Sahm Rule। यह रूल कहता है कि तीन महीने की बेरोजगारी दर पिछले 12 महीने की न्यूनतम दर से 0.5 फीसदी ज्यादा है, तो मंदी आती है। 1970 से यह फार्मूला सही साबित हुआ है।

लेकिन, यह Rule बनाने वाली Claudia Sahm सिर्फ बेरोजगारी के आंकड़े के आधार पर मंदी की आशंका को गलत बताती हैं। उनका कहना है कि कोरोना काल के बाद हालात बदले हैं और अब अधिक लोग रोजगार खोज रहे हैं, इसलिए आंकड़े निराशानजक हैं। अमेरिकी फेड रिजर्व के जेरॉम पॉवेल का भी कहना है कि लेबर मार्केट नॉर्मल हो रहा है और उनकी हालात पर बारीक नजर है।

क्या है एक्सपर्ट की राय

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड में रिसर्च हेड का कहना है कि इस हफ्ते सारा दारोमदार वैश्विक बाजारों पर ही रहेगा। उन्होंने कहा, 'दुनियाभर के बाजार काफी लंबे समय से स्थिर रहे। लेकिन, अब उनमें कमजोरी के कुछ संकेत दिख रहे हैं। यह भारतीय बाजार की मजबूती का इम्तिहान भी होगा, जो बेहतर लिक्विडिटी के चलते अभी तक जुझारू बना हुआ है।'

वहीं, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, 'भारतीय शेयर मार्केट का मूल्यांकन अधिक है। इसके चलते बाजार में कुछ कमजोरी आ सकती है। आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक से ब्याज दरों पर स्थिति कुछ साफ हो सकती है। हालांकि, अभी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों पर यथास्थिति बरकरार रख सकता है।'

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