Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

'हम जिम्मेदार लोगों को निलंबित करेंगे', नाले में गिरने से मां-बच्चे की मौत पर हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

Delhi High Court में आज मां और बेटे की मौत के मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई में दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी और एमसीडी डिप्टी कमिश्नर मौजूद रहें। बता दें गाजीपुर में खोड़ा कालोनी निवासी तनुजा बिष्ट और उनके तीन साल के बेटे प्रियांश की नाले में डूबकर जान चली गई थी। तेज बारिश होने के कारण सड़कों पर भारी जलभराव हुआ था।

By Vineet Tripathi Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Tue, 06 Aug 2024 01:40 PM (IST)
Hero Image
Delhi Crime: जलभराव से मां-बेटे की गई थी जान, कोर्ट ने की सुनवाई। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गाजीपुर के खोड़ा में नाले में गिरने से मां व बच्चे की मौत मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बैरिकेडिंग और गंदे नाले को दिल्ली नगर निगम की जमकर खिंचाई की।

अदालत ने घटना को चौंकाने वाली स्थिति बताया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में अगली सुनवाई पर दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी और एमसीडी डिप्टी कमिश्नर को अदालत में मौजूद रहने का आदेश दिया।

एमसीडी को कहिए कि बिलों की करें जांच-कोर्ट

अदालत (Delhi High Court) ने कहा कि तस्वीरों को देखिए, नालों की सफाई कई सालों से नहीं हुई। इस नालों की सफाई के बदले मोटी रकम दी जा रही है। कोई जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि एमसीडी को कहिए कि बिलों की जांच करें। अदालत ने कहा कि एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारी निगरानी की अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। इसी ठीक करें वरना हम जिम्मेदार लोगों को निलंबित करेंगे।

जनहित याचिका दायर कर दोषी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है और बाढ़ के उपायों सहित सभी चल रहे नाली निर्माण के ऑडिट की भी मांग की गई है। यह मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उठाया गया। अदालत ने मामले को पांच अगस्त को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।

निगम व डीडीए दोनों विभाग एक-दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा

मूसलधार वर्षा के दौरान 31 जुलाई की देर शाम गाजीपुर में खोड़ा कालोनी निवासी तनुजा बिष्ट व उनके तीन वर्षीय बेटे प्रियांश की नाले में डूबकर मौत हुई थी। इस हादसे को पांच दिन गुजर चुके हैं। दिल्ली पुलिस यह तक पता नहीं लगा पाई है कि जिस जगह पर हादसा हुआ है वह नाला निगम व डीडीए में से किसका है।

दोनों विभाग एक दूसरे को जिम्मेदार तो बता रहे हैं, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं है नाला उनके विभाग का है। जिस तरह से ओल्ड राजेंद्र में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत के बाद विभागों की नींद टूटी थी और तेजी से कार्रवाई की थी। वह तेजी गाजीपुर वाले हादसे में दिखाई नहीं दे रही है।

अभी भी हादसे की संभावना बरकरार 

निगम व डीडीए ने पुलिस (Delhi Police) के सामने अपना पक्ष नहीं रखा है। हादसे के बाद एसडीएम मयूर विहार संजय कुमार ने डीडीए, पीडब्ल्यूडी और निगम के अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया था। विभागों को आदेश दिए थे कि नाले पास अपने विभाग का नाम लिखकर एक बोर्ड लगाएं, ताकि पता चल सके कौन सा नाला किस विभाग का है।

निगम ने नाले के पास बोर्ड लगा दिया है, उसपर विभाग के नंबर भी लिखे हुए हैं। इस बोर्ड के जरिये बताया है कि कहां से उसकी सीमा शुरू होती है। हादसे के बाद निगम ने खानापूर्ति करते हुए अपने हिस्से के खुले नाले पर कुछ जगह लकड़ी के बैरिकेड लगाए थे, लेकिन अधिकतर नाला अभी भी खुला हुआ है। हादसे की संभावना बरकरार है।

यह भी पढ़ें: New Delhi Fire News: जौनपुर में टेंट के गोदामों में लगी भीषण आग, चार कार जलकर हुई राख; लाखों का हुआ नुकसान