Cheetahs Tail Facts: चीते की पूंछ रफ्तार बढ़ाने में करती है मदद, जानिए इसके बारे में कुछ खास बातें
Cheetahs Tail Facts 75 साल बाद देश में चीते लौट आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कुनो नेशलन पार्क में नामीबिया से लाए गए चीते छोड़ दिए। यह चीते कूनो पालपुर अभयारण्य के कोर एरिया में क्वारंटाइन बाड़े में रहेंगे।
By GeetarjunEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 08:00 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। 75 साल बाद देश में चीते लौट आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कुनो नेशलन पार्क में नामीबिया से लाए गए चीते छोड़ दिए। यह चीते कूनो पालपुर अभयारण्य के कोर एरिया में क्वारंटाइन बाड़े में रहेंगे। बाड़ों में चीते एक महीने रहेंगे। इनमें तीन नर और पांच मादा चीते शामिल हैं। इन सभी की उम्र दो से साढ़े पांच साल के बीच की है।
चीता दुनिया का सबसे तेज भूमि स्तनपायी है। एक चीता केवल तीन सेकंड में शून्य से 60 मील प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकता है। माना जाता है कि जंगली चीते लगभग 70 मील प्रति घंटे की गति तक पहुंचने में सक्षम होते हैं, हालांकि वे केवल 30 सेकंड के लिए ही उस गति को बनाए रख सकते हैं। ये कैट्स तेज गति के साथ फुर्तीले होते हैं। शिकार की खोज में तुरंत और अचानक मुड़ सकते हैं।
पूंछ के बारे में कुछ बातें
चीतों का शरीर 1.1 मीटर और 1.4 मीटर लंबा होता है। साथ ही इनकी पूंछ की लंबाई 65 सेमी से 80 सेमी तक होती है। इनका वजन 34 किग्रा से लेकर 54 किग्रा तक होता है। नर चीते थोड़े भारी होते हैं। चीतों की पूंछ उन्हें तेज गति प्रदान करने में बहुत मदद करती है क्योंकि यह उन्हें हवा में भी तेज गति से दौड़ने के दौरान शरीर के मूवमेंट करने में मदद करती है।
चीतों की हल्की पूंछ एक पतवार की तरह काम करती है, और उसके अर्ध-वापस लेने योग्य पंजे पीछा के दौरान स्थिरता प्रदान करने के लिए एक धावक के जूते पर स्पाइक्स की तरह काम करते हैं।
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— ANI (@ANI) September 17, 2022
- दुनिया में 7,100 चीतों का अनुमान है।
- एक स्वस्थ चीता 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है।
- 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किया गया था।
- ये रात में ठीक से देख नहीं पाते, इसलिए दिन में शिकार करते हैं।
- देश में 12,852 तेंदुए हैं जो बिग कैट फैमिली की प्रजातियों में सबसे ज्यादा हैं।
- 1972 में, देश में चीतों को फिर से बसाने के लिए पहला वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम बनाया गया था।
- 1985 में, भारत के वन्यजीवों द्वारा ईरान से चीतों को लाने की कवायद की गई, लेकिन यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई।
- चीता परियोजना को 2008 में पुर्नोत्थान किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।