पीड़िता का पक्ष सुने बगैर दु्ष्कर्म के आरोपी को जमानत देने पर निचली अदालत को फटकार, दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द किया आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें पीड़िता का पक्ष सुने बगैर दुष्कर्म के मामले में जमानत दे दी थी। अदालत ने कहा कि अपराध घटित होने के बाद अभियोजन पक्ष को कार्यवाही में सुनवाई का अवसर नहीं देना पीड़ित के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने महिला की याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पीड़िता का पक्ष सुने बगैर दुष्कर्म के मामले में आरोपित को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि अपराध घटित होने के बाद अभियोजन पक्ष को कार्यवाही में सुनवाई का अवसर नहीं देना, पीड़ित के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन होगा।
न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने जून 2022 के जमानत आदेश को रद करते हुए यह भी कहा कि आरोपित दो सप्ताह के भीतर निचली अदालत के समक्ष नई जमानत याचिका दायर करने का हकदार होगा।
महिला ने कहा- नहीं दी गई आवेदन की प्रति
अदालत ने उक्त टिप्पणी व आदेश निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली महिला की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। महिला ने कहा था कि न तो उसे जमानत आवेदन की प्रति दी गई और न ही आदेश पारित करने से पहले उसे मामले की सुनवाई की तारीख के संबंध में कोई सूचना दी गई। मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर अभियोजन पक्ष ने पीड़िता का समर्थन किया।