Delhi High Court ने अवैध हिरासत और उत्पीड़न की याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा, बिना वारंट हुई थी शख्स की गिरफ्तारी
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता एम सूफियान सिद्दीकी ने तर्क दिया उनके मुवक्किल और उनके पति को दोषी पुलिस अधिकारियों ने गैरकानूनी तरीके से सम्मानपूर्वक जीने के उनके अधिकार से वंचित कर दिया है। अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल के पति को 16 नवंबर को सादे कपड़ों में पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने बिना वारंट के अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बीते माह हत्या के प्रयास से जुड़े मामले में पकड़े गए एक व्यक्ति की पत्नी की ओर से दायर पति की अवैध गिरफ्तारी व शारीरिक उत्पीड़न और यातना को लेकर अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने निर्देश दिया कि संबंधित पुलिस थाने के सीसीटीवी फुटेज सहित प्रासंगिक सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित किया जाए और रिकार्ड में रखा जाए। पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख से पहले स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई फरवरी में होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता एम सूफियान सिद्दीकी ने तर्क दिया उनके मुवक्किल और उनके पति को दोषी पुलिस अधिकारियों ने गैरकानूनी तरीके से सम्मानपूर्वक जीने के उनके अधिकार से वंचित कर दिया है। अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल के पति को 16 नवंबर को सादे कपड़ों में पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने बिना वारंट के अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था।
मौलिक और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन
उन्होंने तर्क दिया कि पुलिस अधिकारियों का आचरण याचिकाकर्ता के पति के मौलिक और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि घटना में कुछ उच्च पदस्थ अधिकारियों सहित दोषी पुलिस अधिकारियों को बेनकाब करने के लिए गहन जांच की आवश्यकता है, जिन्होंने पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी फुटेज जैसे महत्वपूर्ण सुबूत के साथ छेड़छाड़ की और पुलिस और अर्धसैनिक संसाधनों का दुरुपयोग किया।
मनमाने ढंग से गिरफ्तार करने का आरोप
याचिकाकर्ता ने कहा कि उनके पति नोमान को 16 नवंबर 2023 को एक मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि गिरफ्तारी और हिरासत के लगभग 36 घंटे बाद नोमान को एक मजिस्ट्रेट अदालत के सामने पेश किया गय था। मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें हत्या के प्रयास सहित भारतीय दंड संहिता के तहत कथित अपराध करने के लिए दर्ज झूठे मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।