Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

दिल्ली में Monkeypox की एंट्री के बाद मचा हड़कंप, बुखार को न लें हल्के में; लक्षण दिखें तो बरते ये सावधानियां

Monkeypox Symptoms कोरोना के बाद मंकीपॉक्स फैलने लगा है। इसे लेकर लोगों में डर देखा जा रहा है। लोग इसके लक्षण और इलाज के बारे में डॉक्टरों से परामर्श ले रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमित होने के 21 दिन बाद भी इसके लक्षण सामने आ सकते हैं।

By Abhishek TiwariEdited By: Updated: Tue, 26 Jul 2022 03:47 PM (IST)
Hero Image
Monkeypox Symptoms: मंकीपॉक्स के दिखें लक्षण तो बरते ये सावधानियां

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के बाद अब मंकीपॉक्स (Monkeypox) का खतरा उत्पन्न हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अब तक दुनियाभर के 75 देशों में 16 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

WHO के मुताबिक मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। इस वायरस से संक्रमित होने पर मनुष्य के शरीर पर चेचक जैसे दाने निकल आते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है। यह वैरियोला वायरस फैमिली का हिस्सा है।

इसके लक्षण क्या हैं? (Monkeypox Symptoms)

  • मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान के लक्षण दिखते हैं।
  • वायरस के लक्षण दिखने का समय 6 से 13 दिन का होता है, लेकिन कई बार यह समय 5 से 21 दिनों तक हो सकती है। 
  • बुखार आने पर एक-दो दिन में इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। शरीर पर दाने निकलने लगते हैं।

मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इसका कोई ठोस इलाज नहीं है।
  • हालांकि चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के संक्रमण के खिलाफ असरदार साबित हुई है।
  • संक्रमित होने पर जानवरों और परिवार के अन्य सदस्यों से दूर बना के रहें।

AIIMS में भी होगी मंकीपॉक्स की जांच

मंकीपॉक्स की दस्तक के बाद अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ही इसकी जांच की व्यवस्था की गई है। राष्ट्रीय वायरोलाजी संस्थान (एनआइवी) पुणे से एम्स में जांच किट भी आ चुकी है। इसलिए अब मंकीपॉक्स का संदिग्ध केस सामने आने पर एम्स में इसकी जांच हो जाएगी। जांच रिपोर्ट भी सैंपल लेने के 24 घंटे में उपलब्ध हो जाएगी।

उल्लेखनीय है कि राजधानी दिल्ली में पहला संदिग्ध मामला सामने आने पर जांच के लिए सैंपल को एनआइवी पुणे भेजा गया था। जांच में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी।

कैसे होती है मंकीपॉक्स की जांच

  • मंकीपॉक्स की पहचान के लिए भी आरटीपीसीआर जांच होती है।
  • जांच के लिए सैंपल मरीज के शरीर पर बने फफोले से लिए जाते हैं।
  • इसके अतिरिक्त नाक और मुंह से भी स्वैब जांच के लिए सैंपल लिया जाता है।

चिकित्सक कहते हैं कि कोरोना के संक्रमण के कारण आरटीपीसीआर जांच की सुविधा अनेक चिकित्सा संस्थानों के साथ निजी लैब में भी हो गई है। इसलिए जरूरत पड़ने पर मंकीपॉक्स की जांच की सुविधा बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

डिस्क्लेमर- यहां दी गई जानकारी डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के आधार पर है। जागरण इसका दावा नहीं करता है। विशेषज्ञों की सलाह लिए बिना कोई भी दवा न लें।