आतंकवाद के व्यापक नेटवर्क का पर्दाफाश, विस्मय की दृष्टि से देखा जाना स्वाभाविक
बिहार में एक बड़ी आतंकी साजिश के पर्दाफाश होने की खबर ने पूरे देश को चौंका दिया है। पिछले माह जब दरभंगा रेलवे स्टेशन पर एक पार्सल में विस्फोट हुआ था तो कम ही लोगों ने इसे गंभीरता से लिया। किंतु बिहार पुलिस को इसमें आतंकवाद का पहलू दिखा।
अवधेश कुमार। पिछले माह बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए एक बम विस्फोट के मामले में एनआइए ने हैदराबाद से उत्तर प्रदेश के शामली निवासी इमरान खान उर्फ इमरान मलिक और नासिर खान उर्फ नासिर मलिक को गिरफ्तार किया। इसके पहले उसने उत्तर प्रदेश के ही कैराना के दो अन्य संदिग्धों हाजी सलीम और कफील को भी गिरफ्तार किया था। जिस पार्सल में दरभंगा स्टेशन पर विस्फोट हुआ वह सिकंदराबाद दरभंगा एक्सप्रेस से भेजा गया था। इसमें एक सेंसर भी लगाया गया था। वह केमिकल बम जितना शक्तिशाली हो सकता था, पर नहीं बन पाया। इस कारण पार्सल वैन में वह विस्फोट नहीं कर सका अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती थी। अब तक जितनी जानकारी सामने आई है उसके अनुसार नासिर वर्ष 2012 में पाकिस्तान गया था। वहां उसका संबंध लश्कर-ए-तैयबा से हुआ। उसने लश्कर के निर्देश पर ट्रेनों में बड़े विस्फोट करने की योजना पर काम किया था।
कैराना के गिरफ्तार दोनों संदिग्ध हाजी सलीम और कफील के बारे में जानकारी आई है कि कैराना का ही लश्कर आतंकी इकबाल काना पाकिस्तान में रह रहा है। वह भारत में आतंकियों की भर्ती करता है। काना ने ही केमिकल बम बनाने का फार्मूला सलीम के फोन पर भेजा था। इमरान और नासिर ने ही सिकंदराबाद दरभंगा एक्सप्रेस से पार्सल बुक किया था। संयोग कहिए कि सिकंदराबाद स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज में ये चिन्हित हो गए। वहां से भेजे गए पार्सल में कपिल ने जो मोबाइल नंबर लिखाया वह शामली का ही था। पार्सल बम का फोटो पाकिस्तान के उसी नंबर पर भेजा जिससे वीडियो मिली थी और बताया कि काम हो गया। मोबाइल कॉल डिटेल से पता चला है कि पुरानी दिल्ली के कुछ हवाला कारोबारियों के माध्यम से धन भेजे गए थे। पूरी जानकारी सामने आने में अभी समय लगेगा, लेकिन यह बिल्कुल साफ है कि ये ट्रेन में बहुत बड़ा विस्फोट करना चाहते थे। फार्मूले को ठीक प्रकार से इन्होंने इस्तेमाल नहीं किया और केमिकल बम एक साधारण विस्फोटक बनकर रह गया। भयावह नुकसान से भले ही कम बच गए, लेकिन साफ हो गया कि भारत में जिहादी आतंकवाद का खतरा आज भी मौजूद है।
अब सवाल यह है कि दरभंगा ही बम पार्सल क्यों भेजा गया? जब भी दरभंगा मॉडल की चर्चा होती है तो अनेक लोग प्रश्न उठाते हैं कि इसमें दरभंगा नाम क्यों जोड़ा जा रहा है। निश्चित रूप से पूरा दरभंगा या कोई पूरा क्षेत्र आतंक की साजिश में शामिल नहीं हो सकता। लेकिन वहां से अगर पिछले एक-डेढ़ दशक से संदिग्ध के साथ घोषित आतंकी पकड़े जा रहे हैं या उनके सूत्र मिल रहे हैं तो फिर चिंता का विषय यह होना चाहिए, न कि दरभंगा का नाम क्यों आ रहा है। आखिर भारत में अनेक विस्फोटों के अपराधी आतंकी भटकल बंधुओं का सूत्र दरभंगा से क्यों जुड़ा? यासीन भटकल जैसा आतंकी अगर दरभंगा में निकाह कर ले और नेपाल में रहने लगे तो यह गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए। वर्ष 2014 से पहले हुए देश के कई विस्फोटों में जितने आतंकी पकड़े गए थे उनमें से एक दर्जन दरभंगा जिले के ही रहने वाले थे।
हालांकि आतंकवाद का तंत्र बिहार के अन्य जिलों तक विस्तारित है। कई रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार का सीमांचल और मिथिलांचल इलाका आतंकियों के लिए सुरक्षित स्थान बन चुका है। नेपाल से सटे होने के कारण आतंकी इसे अपने लिए ज्यादा सुरक्षित क्षेत्र मानते रहे हैं। वर्ष 2000 में ही सीतामढ़ी से हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकी मकबूल और जाहिर को गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2006 मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोटों के बाद मधुबनी के मोहम्मद कमाल को गिरफ्तार किया गया था जो सिमी का सदस्य था। मोतिहारी से इंडियन मुजाहिदीन के यासीन भटकल और अब्दुल असगर उर्फ हड्डी की गिरफ्तारी ने इस बात की पुष्टी कर दी कि बिहार दुर्दात आतंकियों का भी शरणस्थल बन चुका है। वर्ष 2008 दिल्ली विस्फोटों में मधुबनी के ही सलाउद्दीन की गिरफ्तारी हुई थी। दिल्ली विस्फोट मामले में 2009 में मधुबनी के आतंकी मदनी को भी दिल्ली में ही गिरफ्तार किया था। वर्ष 2011 में मधुबनी के अफजल और अहमद जमाली तथा दरभंगा के कतील सिद्दीकी को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2012 में बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम विस्फोट मामले में बिहार का मोहम्मद कफील अख्तर पकड़ा गया। वर्ष 2012 में ही दरभंगा के नदीम को दिल्ली विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया गया था।
27 अक्टूबर 2013 को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री के घोषित उम्मीदवार और तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना के गांधी मैदान में आयोजित रैली में सिलसिलेवार विस्फोट हुए। इसके बाद बोधगया में मंदिर परिसर में भी आतंकी हमला हुआ। यानी बिहार में आतंक का व्यापक तंत्र पहले से सामने है। दुर्भाग्य से जब-जब बिहार सरकार को आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के लिए कहा गया तो प्रतिक्रिया नकारात्मक ही रही।
दरभंगा में हालिया विस्फोट की जांच में अभी बहुत सारे तथ्य सामने आएंगे। संभव है पिछली आतंकी घटनाओं के भी कुछ नए तथ्य सामने आएं। निश्चित रूप से इनके आधार पर देश के स्तर पर कार्रवाई होगी। लेकिन बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन की भी जिम्मेदारी है कि पिछली घटनाओं की छानबीन में जो प्रमाण सामने आए तथा पुख्ता संदेश चिन्हित हुए उन सबकी एक बार समीक्षा हो। प्रदेश सरकार को केंद्र से समन्वय बनाते हुए अधिकार संपन्न टीम से किसी शीर्ष अधिकारी या न्यायाधीश की निगरानी में समग्र जांच कराकर सफाई अभियान चलाने पर विचार करना चाहिए। ऐसा नहीं करना प्रदेश की सुरक्षा के प्रति अपराध होगा और यह कभी भी हमारे लिए बड़े विध्वंस का कारण बन सकता है। इसके साथ इसमें समूचे देश के लिए तो ज्यादा सतर्क और चौकस रहने की चेतावनी है ही।