जागरण संपादकीय: महादेव सट्टा एप का संचालक सौरभ चंद्राकर गिरफ्तार, क्या ऑनलाइन सट्टेबाजी पर लगेगी लगाम
समस्या केवल यह नहीं है कि ऑनलाइन सट्टा कंपनियां लोगों को लती बनाकर उनका पैसा हजम कर रही हैं बल्कि यह भी है कि वे मनी लांड्रिंग का काम कर रही हैं। संदेह है कि महादेव सट्टा एप के संचालक ने छह हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया। यह कहना कठिन है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के जरिये मनी लांड्रिंग का यह एकलौता मामला है।
यह अच्छी खबर है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी में लिप्त रहे महादेव सट्टा एप के संचालक सौरभ चंद्राकर को दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया और शीघ्र ही उसे भारत लाया जाएगा, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इससे ऑनलाइन सट्टेबाजी पर लगाम लग सकेगी? यह प्रश्न इसलिए, क्योंकि ऑनलाइन सट्टेबाजी का धंधा बेलगाम हो रहा है। न जाने कितने ऐसे एप हैं, जो लोगों को सट्टा खेलकर लाखों-करोड़ों रुपये जीतने का प्रलोभन देते हैं। आम तौर पर लोग पैसा पाने के बजाय गंवाते ही हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ऑनलाइन सट्टेबाजी का पूरा तंत्र इस तरह काम करता है कि सट्टा खेलने वाला ही घाटे में रहे।
यही कैसिनो में होता था, लेकिन वे सीमित थे और उनमें चुनिंदा लोग ही जाते थे। स्मार्टफोन के जरिये ऑनलाइन सट्टेबाजी की सुविधा तो हर किसी को उपलब्ध है। हालांकि ऑनलाइन सट्टा कंपनियां यह चेतावनी देती हैं कि इसमें जोखिम है और लत लग सकती है, लेकिन प्रायः लोग इसकी परवाह नहीं करते। अंततः इसके दुष्परिणाम वे ही भुगतते हैं। इसका कारण यह है कि ऑनलाइन सट्टा कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए जैसे नियम-कानून चाहिए, उनका अभाव ही अधिक है। समस्या केवल यह नहीं है कि ऑनलाइन सट्टा कंपनियां लोगों को लती बनाकर उनका पैसा हजम कर रही हैं, बल्कि यह भी है कि वे मनी लांड्रिंग का काम कर रही हैं। संदेह है कि महादेव सट्टा एप के संचालक ने छह हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया। यह कहना कठिन है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के जरिये मनी लांड्रिंग का यह एकलौता मामला है।
यदि सरकार ऑनलाइन सट्टेबाजी के कारण हो रहे आर्थिक-मानसिक नुकसान से वास्तव में चिंतित है तो फिर उसे सक्रियता दिखानी होगी। वह इससे अनभिज्ञ नहीं हो सकती कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के कई रूप हैं। ऑनलाइन गेमिंग भी सट्टेबाजी का जरिया बन गई है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग को साफ तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है। सट्टेबाजी का जरिया बने कुछ ऑनलाइन गेम इसलिए बेरोक-टोक खिलाए जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें कौशल का पर्याय मान लिया गया है।
निःसंदेह कुछ ऑनलाइन गेम कौशल का पर्याय हो सकते हैं और हैं भी, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे जुआ खिलाने वालों के हथियार बन जाएं। सरकार को चेतना होगा और ऑनलाइन गेमिंग का नियमन इस तरह करना होगा कि वे लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने का जरिया न बनें। यह ठीक नहीं कि संदिग्ध किस्म की ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों का प्रचार जाने-माने खिलाड़ी और कलाकार कर रहे हैं। इसका कोई मतलब नहीं कि हेय दृष्टि से देखा जाने वाला जुआ यदि तकनीक के सहारे मोबाइल पर खिलाया जाने लगे तो उसे वैध और स्वीकार्य मान लिया जाए। बुराई बुराई ही होती है, वह चाहे जिस रूप में हो। स्पष्ट है कि इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि महादेव एप संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया है।