Rajasthan Election: कौन हैं हेमाराम चौधरी, जिन्हें जनता लड़ाना चाहती चुनाव; समर्थकों ने रो-रोकर सामने रख दी पगड़ी
Rajasthan Election 2023 मारवाड़ के कद्दावर किसान नेता और गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है जिसके बाद उनके समर्थक मनाने में जुटे हैं। बीते दिन हजारों समर्थकों ने खुद एक बड़ी बैठक बुलाकर हेमाराम को मनाने की कोशिश की। मनाते-मनाते लोग रोते हुए भी दिखे।
डिजिटल डेस्क, जयपुर। Rajasthan Election 2023 राजस्थान चुनाव की घोषणा के बाद से सभी पार्टियों ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी है। इसी के साथ विभिन्न सीटों से चुनावी टिकट पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
इस बीच राजस्थान सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल एक नेता ऐसे भी हैं जो चुनाव नहीं लड़ना चाहते, लेकिन उनके समर्थक उन्हें चुनाव लड़वाने के लिए मनाने में जुटे हुए हैं।
हेमाराम ने चुनाव न लड़ने की घोषणा की
दरअसल, ये मारवाड़ के कद्दावर किसान नेता और गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी हैं। हेमाराम ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है, जिसके बाद उनके समर्थक मनाने में जुटे हैं। बीते दिन हजारों समर्थकों ने खुद एक बड़ी बैठक बुलाकर हेमाराम को मनाने की कोशिश की।
रो-रो कर सामने रखी पगड़ी
समर्थक बैठक में हेमाराम को मनाते-मनाते रो पड़े और यहां तक की एक समर्थक ने तो उनके पैरों में अपनी पगड़ी उतार कर रख दी। इन सबके बावजूद हेमाराम नहीं मानें और उन्होंने चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया।
चुनाव न लड़ने की बताई वजह
हेमाराम ने चुनाव न लड़ने की भी वजह बताई है। उन्होंने कहा कि वो इस बार इसलिए चुनाव नहीं लड़ सकते, क्योंकि उन्होंने पिछली बार जनता से किए वादे पूरे नहीं किए। हेमाराम ने कहा कि मैंने कई प्रोजेक्ट शुरू करने की बात कही थी, लेकिन वो नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि जिस जनता ने मुझे यहां तक पहुंचाया, उनके लिए मैं कुछ नहीं कर सका तो मेरा चुनाव लड़ना सही नहीं है।
कौन हैं हेमाराम?
हेमाराम चौधरी अब तक आठ बार चुनाव लड़ चुके हैं और उनमें से सिर्फ दो बार चुनाव हारे हैं। वे हमेशा बड़े अंतर से ही चुनाव जीते हैं। हेमाराम अभी गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और पहले भी गहलोत सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं। इससे पहले वसुंधरा सरकार में नेता विपक्ष की भूमिका निभा चुके हैं।
सचिन पायलट गुट के हैं नेता
हेमाराम सचिन पायलट गुट के नेता माने जाते हैं। सचिन की बगावत के वक्त भी हेमाराम उन्हीं के साथ थे और उन्होंने कई दफा गहलोत को खरी-खोटी सुनाई है। वो इसी नाराजगी में कई बार इस्तीफा भी दे चुके हैं।