खुशखबरी: अब काला गेहूं मधुमेह रोग का करेगा खात्मा, कैंसर से भी बचाएगा
मधुमेह रोग को झेल रहे लोगों के लिए राहत की खबर है। अब उन्हें काला गेहूं मधुमेह की मार से बचाएगा। यह गेहूं कैंसर में भी राहत देगा। इसकी खेती हरियाणा में भी शुरू हो गई है।
जेएनएन, डबवाली (सिरसा)। मधुमेह के रोगियों के लिए राहत की खबर है। अब काला गेहूं उनको इस रोग से बचाएगा। हरियाणा में किसान अब पारंपरिक गेहूं के साथ ही काले गेहूं की खेती भी कर रहे हैं। कृषि विज्ञानियों के अनुसार इस गेहूं से बनी रोटी खाने से शुगर और कैंसर से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी। डबवाली क्षेत्र के किसानों ने पहली बार करीब 80 एकड़ में इस गेहूं की बिजाई की है।
काले गेहूं के बीज को तैयार करने में जामुन व ब्लू बेरी फल का होता है इस्तेमाल, हरियाणा में भी खेती शुरू
इसकी खेती से उपज भी अधिक मिलेगी। इस गेहूं की की खेती से प्रति एकड़ करीब 15 से 18 क्विंटल उपज मिलेगी। काले गेहूं की रिसर्च साइंटिस्ट डा. मोनिका गर्ग गांव मौजगढ़ में किसान गुरमीत खालसा, गोरीवाला में रामस्वरूप के खेतों में पहुंची।
यह भी पढ़ें: रोहतक की बेटी के बुने हुए रेजा स्टोल के पीएम मोदी भी कायल
मोनिका गर्ग ने जापान में आठ वर्ष बिताकर काले गेहूं पर रिसर्च की है। उनके अनुसार, काले गेहूं का बीज तैयार करने में जामुन और ब्लू बेरी फल के मिश्रण का भी इस्तेमाल किया गया है। इसी कारण इसका रंग काला है और यह घातक हो रहे मधुमेह आैर कैंसर जैसे रोगों से लड़ने में बेहद सक्षम है।
मोटापा कम करेगा काला गेहूं
कृषि विज्ञानी ने बताया कि काला गेहूं पौष्टिक तत्वों से भी भरपूर है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, जिंक, पोटाश, आयरन व फाइबर आदि तत्व पारंपरिक गेहूं के मुकाबले दोगुनी मात्रा में हैं। इस गेहूं की रोटी खाने से शरीर का मोटापा कम होता है। इसे खाने से एसिडिटी से भी छुटकारा मिलता है।
रंग काला, लेकिन रोटी ब्राउन बनेगी
डा. मोनिका के अनुसार यह गेहूं पकने में भी साधारण गेहूं जितना ही समय लेती है लेकिन अगर इसकी बिजाई अगेती की जाए और पकने के समय 30-35 डिग्री के बीच तापमान हो तो इसकी गुणवत्ता और रंग भी अच्छे बनते हैं। इसका रंग देखने में बेशक काला है, लेकिन इसकी रोटी ब्राऊन ही बनती है।
यह भी पढ़ें: हरियाणा में नहीं रुकेगी भर्ती, बिना इंटरव्यू नियुक्त होंगे सात हजार पुलिसकर्मी
-------
'' काले गेहूं से किसानों की आमदनी बढ़ेगी। इसके खाने से स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। अब तक हम जो गेहूं खाते आ रहे थे, उसके व इस गेहूं के स्वाद में कोई अंतर नहीं है। मैं खुद घर पर इसी गेहूं का प्रयोग कर रहा हूं। किसान उत्पादक कंपनी अन्य किसानों को इसके लिए जागरूक करेगी।
- जसवीर सिंह भाटी, चेयरमैन, डबवाली किसान उत्पादक कंपनी।