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'हिमाचल की त्रासदी भुज भूकंप, केदारनाथ आपदा और जोशीमठ के समान', सीएम सुक्खू का बड़ा बयान

हिमाचल प्रदेश में मानसून से मची तबाही को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस आपदा का आकार भुज भूकंप 2001 केदार नाथ आपदा 2013 और जोशीमठ में भूमि धंसाव 2022 के समान है। प्रदेश की औद्योगिक प्राधिकरण की सड़कें कई जगह क्षतिग्रस्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश को पुनर्निर्माण के लिए विशेष राहत पैकेज की तुंरत जरूरत है।

By Jeet KumarEdited By: Jeet KumarUpdated: Mon, 18 Sep 2023 08:28 PM (IST)
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सीएम सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश में मानसून से हुई तबाही को अभूतपूर्व त्रासदी बताया

शिमला, राज्य ब्यूरो: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश में मानसून से हुई तबाही को अभूतपूर्व त्रासदी बताया। उन्होंने कहा कि इससे पहले कभी इस तरह की आपदा का सामना नहीं हुआ था। इस आपदा का आकार भुज भूकंप 2001, केदार नाथ आपदा 2013 और जोशीमठ में भूमि धंसाव 2022 के समान है।

सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने 14 बिंदुओं को रखते हुए कहा कि हम केंद्र सरकार से भुज भूकंप, केदारनाथ आपदा और जोशीमठ में भूमि धंसाव से पैदा हुई त्रासदी के दृष्टिगत विशेष राहत पैकेज की भांति ही उदार वित्तीय सहायता की आशा करते हैं।

राज्य को पुनर्निर्माण के लिए विशेष राहत पैकेज की तुंरत जरूरत

उन्होंने कहा कि 18 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर पूरे प्रदेश को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया था। उन्होंने कहा कि प्रदेश को पुनर्निर्माण के लिए विशेष राहत पैकेज की तुंरत जरूरत है। ताकि आपदा प्रभावित व्यक्तियों को उनके घरों और आजीविका को फिर से बनाने में मदद मिल सके।

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औद्योगिक प्राधिकरण की सड़कें कई जगह क्षतिग्रस्त

उन्होंने सदन को अवगत करवाया कि प्रदेश के मुख्य औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक प्राधिकरण की सड़कें कई जगह क्षतिग्रस्त हुई। जिससे उद्योगों तक कच्चा माल लाना और तैयार माल बाजार तक पहुंचाना मुश्किल हो गया। यहां तक की उद्योगों में कामगारों को पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो गया था। परिणामस्वरूप उद्योगों के उत्पादन में कमी आई और प्रदेश सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा।

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इस त्रासदी ने कई गांवों को नष्ट कर दिया और गांव रहने योग्य नहीं रहे। एक अनुमान के तहत करीब 200 से अधिक गांव जमीन धंसने से प्रभावित हुए हैं। जिसके कारण पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों को राहत शिविरों में रहना पड़ा है।

कई जिलों में राहत शिविर अभी तक चल रहे

कई जिलों में राहत शिविर अभी तक चल रहे हैं। सड़कों को पहुंचे नुकसान की स्थिति ये है कि अभी तक दो दर्जन से अधिक सड़कें बंद पड़ी है। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन गतिविधियां चरम पर थी और प्राकृतिक आपदा के कारण पर्यटन को भारी नुकसान पहुंचा है।