Jammu Kashmir News: ‘दिलरुबा और दिलनशीं’ नहीं जा रहे बांग्लादेश, ‘अमेरिकन’ भी कश्मीर घाटी में ही ठहरा
Jammu Kashmir News सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फैयाज अहमद मलिक का कहना है कि इस समय बांग्लादेश के सेब व्यापारी कश्मीर में आना शुरू हो जाते थे लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है। स्थानीय व्यापारी भी बांग्लादेश के हालात को देखते हुए अपने स्तर पर माल भेजने से हिचक रहे हैं। लगभग 10 दिन पहले यहां से आठ ट्रक सेब बांग्लादेश के लिए रवाना किया गया था।
नवीन नवाज, श्रीनगर। ‘दिलरुबा और दिलनशीं’ बांग्लादेश जाते-जाते रुक गए हैं। ‘अमेरिकन’ भी फिलहाल कश्मीर में ही ठहर गया है। बांग्लादेश में जारी उथल-पुथल और हिंसा के दौर ने कश्मीर में सेब व्यापारियों और उत्पादकों की नींद उड़ा दी है, क्योंकि कश्मीर से निर्यात होने वाले कुल सेब का 60 प्रतिशत बांग्लादेश में ही जाता है।
दिलरूबा, दिलनशीं और अमेरिकन, कश्मीर में पैदा होने वाली सेब की वह प्रजातियां हैं, जिनकी बांग्लादेश में ज्यादा मांग रहती है। कश्मीर में सेब का मौसम शुरू हो चुका है। जल्द तैयार होने वाली प्रजातियों का सेब बाजार में आ चुका है। अगले चंद दिनों में सेब का मौसम पूरी तरह आ जाएगा।
अगस्त से नवंबर तक कश्मीर में फ्रूट सीजन कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान ही कश्मीर से देश के विभिन्न हिस्सों में सबसे ज्यादा फल भेजा जाता है।
माल भेजने पर हिचक रहे व्यापारी
सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फैयाज अहमद मलिक ने कहा कि इस समय बांग्लादेश के सेब व्यापारी कश्मीर में आना शुरू हो जाते थे, लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है। स्थानीय व्यापारी भी बांग्लादेश के हालात को देखते हुए अपने स्तर पर माल भेजने से हिचक रहे हैं।
लगभग 10 दिन पहले यहां से आठ ट्रक सेब बांग्लादेश के लिए रवाना किया गया था। उसके बाद से यहां बांग्लादेश के लिए निर्यात बंद है।
स्वाद के कारण बांग्लादेश में काफी लोकप्रिय
फैयाज अहमद मलिक ने बताया कि दिलरूबा, दिलनशीं और अमेरिकन सेब अपने आकार, रंग, खुशबु और स्वाद के कारण बांग्लादेश में काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा यह ज्यादा दिनों तक ताजा बने रहते हैं। बांग्लादेश में हमें अपनी पैदावार का दाम भी अच्छा मिलता है।
उन्होंने बताया कि जब यहां सेब का सीजन पूरी तरह बहाल होता है तो सोपोर से ही रोजाना लगभग 30 ट्रक सेब बांग्लादेश के लिए रवाना होते हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर कश्मीर में बांग्लादेशी व्यापारी अगस्त से सितंबर के अंत तक ठहरते हैं।यह भी पढ़ें- कड़ी सुरक्षा के बीच पुंछ पहुंचा बुड्ढा अमरनाथ श्रद्धालुओं का पहला जत्था, स्वामी विश्वात्मानंद बोले- डरने की जरूरत नहीं
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