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Jammu Kashmir News: ‘दिलरुबा और दिलनशीं’ नहीं जा रहे बांग्लादेश, ‘अमेरिकन’ भी कश्मीर घाटी में ही ठहरा

Jammu Kashmir News सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फैयाज अहमद मलिक का कहना है कि इस समय बांग्लादेश के सेब व्यापारी कश्मीर में आना शुरू हो जाते थे लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है। स्थानीय व्यापारी भी बांग्लादेश के हालात को देखते हुए अपने स्तर पर माल भेजने से हिचक रहे हैं। लगभग 10 दिन पहले यहां से आठ ट्रक सेब बांग्लादेश के लिए रवाना किया गया था।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 08 Aug 2024 09:32 PM (IST)
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Jammu Kashmir News: दिलरूबा, दिलनशीं और अमेरिकन सेब की बांग्लादेश में ज्यादा मांग।

नवीन नवाज, श्रीनगर। ‘दिलरुबा और दिलनशीं’ बांग्लादेश जाते-जाते रुक गए हैं। ‘अमेरिकन’ भी फिलहाल कश्मीर में ही ठहर गया है। बांग्लादेश में जारी उथल-पुथल और हिंसा के दौर ने कश्मीर में सेब व्यापारियों और उत्पादकों की नींद उड़ा दी है, क्योंकि कश्मीर से निर्यात होने वाले कुल सेब का 60 प्रतिशत बांग्लादेश में ही जाता है।

दिलरूबा, दिलनशीं और अमेरिकन, कश्मीर में पैदा होने वाली सेब की वह प्रजातियां हैं, जिनकी बांग्लादेश में ज्यादा मांग रहती है। कश्मीर में सेब का मौसम शुरू हो चुका है। जल्द तैयार होने वाली प्रजातियों का सेब बाजार में आ चुका है। अगले चंद दिनों में सेब का मौसम पूरी तरह आ जाएगा।

अगस्त से नवंबर तक कश्मीर में फ्रूट सीजन कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान ही कश्मीर से देश के विभिन्न हिस्सों में सबसे ज्यादा फल भेजा जाता है।

माल भेजने पर हिचक रहे व्यापारी

सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फैयाज अहमद मलिक ने कहा कि इस समय बांग्लादेश के सेब व्यापारी कश्मीर में आना शुरू हो जाते थे, लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है। स्थानीय व्यापारी भी बांग्लादेश के हालात को देखते हुए अपने स्तर पर माल भेजने से हिचक रहे हैं।

लगभग 10 दिन पहले यहां से आठ ट्रक सेब बांग्लादेश के लिए रवाना किया गया था। उसके बाद से यहां बांग्लादेश के लिए निर्यात बंद है।

स्वाद के कारण बांग्लादेश में काफी लोकप्रिय

फैयाज अहमद मलिक ने बताया कि दिलरूबा, दिलनशीं और अमेरिकन सेब अपने आकार, रंग, खुशबु और स्वाद के कारण बांग्लादेश में काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा यह ज्यादा दिनों तक ताजा बने रहते हैं। बांग्लादेश में हमें अपनी पैदावार का दाम भी अच्छा मिलता है।

उन्होंने बताया कि जब यहां सेब का सीजन पूरी तरह बहाल होता है तो सोपोर से ही रोजाना लगभग 30 ट्रक सेब बांग्लादेश के लिए रवाना होते हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर कश्मीर में बांग्लादेशी व्यापारी अगस्त से सितंबर के अंत तक ठहरते हैं।

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कोई भी अपना पैसा फंसाना नहीं चाहता

मोहम्मद यूसुफ डग्गा नामक एक सेब व्यापारी ने कहा कि उत्तरी कश्मीर में लगभग तीन लाख मीट्रिक टन सेब पैदा होता है और उसमें से लगभग दो लाख मीट्रक टन बांग्लादेश ही जाता है। बीते कुछ वर्षों में कश्मीरी सेब की मांग बांग्लादेश में बड़ी है।

बांग्लादेश के बाद नेपाल और श्रीलंका में कश्मीर का सेब निर्यात होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारत मे ईरानी सेब के आयात से कश्मीर और हिमाचल के सेब की मांग-दाम प्रभावित हुए हैं, उसमें बांग्लादेश के बाजार ने हम कश्मीरी सेब कारोबारियों को सहारा दिया है।

अब बांग्लादेश के हालत से हम चिंतित हैं। बांग्लादेश के कई व्यापारियों के साथ हमने संबंध बना रखे हैं, लेकिन जिस तरह से वहां हालात बने हुए हैं, कोई भी अपना पैसा फंसाना नहीं चाहता और यहां घरेलू बाजार में दाम बराबर नहीं मिल रहे हैं।

माल नहीं गया तो सेब के दाम गिरेंगे

फ्रूट मंडी शोपियां के अध्यक्ष मोहम्मद अमीन पीर ने कहा कि बांग्लादेश ही कश्मीर में पैदा होने वाले सेब का सबसे बड़ा आयातक है। अभी तक कश्मीर से करीब आठ-दस ट्रक की बांग्लादेश के लिए गए थे कि वहां हालात बिगड़ गए।

अगर हम वहां अपना माल नहीं बेच पाए तो घरेलू बाजार में सेब की आवक बढ़ेगी, जिससे दाम भी गिरेंगे। ईरान से सेब आयात ने भी हमारे लिए मुश्किल पैदा कर रखी है। इसलिए यहां बांग्लादेश के हालात से हम सभी प्रभावित हो रहे हैं। दुआ करें कि वहां हालात जल्द ठीक हों और हमारा कारोबार चले।

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