Jharkhand Politics: 'सदन में मुझे बोलने नहीं दिया' विधानसभा स्पीकर पर बिफरे बाबूलाल मरांडी, लगाया ये गंभीर आरोप
स्थानीय और नियोजन नीति पर सदन में पेश किए गए बिल पर सदन में बोलने नहीं दिए जाने पर बाबूलाल ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को दुर्भावना से प्रेरित बताया है। कहा कि इस मामले पर नहीं बोलने दिया जाना सदन के एक वरिष्ठ सदस्य का अपमान है। बाबूलाल ने लोकसभा-राज्यसभा का उदाहरण दे कहा कि वहां यदि कोई वरिष्ठ सदस्य हाथ उठाता तो उन्हें बोलने दिया जाता है।
राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को स्थानीय और नियोजन नीति पर राज्य सरकार द्वारा सदन में पेश किए गए बिल पर बोलने नहीं देने के विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को दुर्भावना से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुझे दो शब्द भी बोलने नहीं देना सदन के एक वरिष्ठ सदस्य के प्रति अपमान है।
बाबूलाल ने कहा कि हम केंद्र में मंत्री, सांसद भी रहे हैं। लोकसभा और राज्यसभा में यदि कोई वरिष्ठ सदस्य बोलने के लिए हाथ उठाते हैं तो उन्हें बोलने का अवसर जरूर दिया जाता है, लेकिन राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दा स्थानीय, नियोजन नीति से संबंधित बिल पर तीन बार हाथ उठाने के बाद भी अध्यक्ष ने बोलने का अवसर नहीं दिया।
मेरे साथ अपमानजनक व्यवहार करना यह अध्यक्ष की निष्पक्षता नहीं, बल्कि दुर्भावना से प्रेरित राजनीतिक व्यवहार है। भले विधानसभा अध्यक्ष मुझे भाजपा का नहीं मानते, लेकिन एक विधायक के नाते हम राज्य के महत्वपूर्ण विषय पर अपनी राय देने का हकदार हैं।
'स्थानीय नीति, नियोजन नीति पर राजनीति नहीं करे हेमंत सरकार'
सदन में राज्यपाल द्वारा सुझावों के साथ लौटाए गए स्थानीय और नियोजन नीति बिल को सदन में दोबारा पेश किए जाने पर बाबूलाल ने कहा कि हेमंत सरकार केवल राजनीति कर रही। इसकी मंशा साफ नहीं है। कहा कि 2004 से 2014 तक केंद्र में यूपीए शासन रहा तथा राज्य में भी अधिकांश समय राष्ट्रपति शासन रहा।
साथ ही हेमंत सोरेन उप मुख्यमंत्री रहे, स्थानीय नीति के मुद्दे पर ही अर्जुन मुंडा की सरकार गिराकर मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन कभी भी नियोजन नीति को लेकर कोई पहल नहीं की। नियोजन और स्थानीयता तय करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। उनकी सरकार ने तो कैबिनेट में निर्णय लेकर नियुक्तियां की थी।
अर्जुन मुंडा की सरकार ने भी नियुक्तियां की और फिर रघुवर दास की सरकार ने 2016 में नीति बनाकर नियुक्तियां की। हेमंत सरकार तो नियमावली के नाम पर केवल युवाओं को धोखा दिया है। कहा कि हेमंत सरकार यदि युवाओं को नौकरी देने का इरादा रखती है तो इसे नीति को उलझाने से बचना चाहिए।