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Champai Soren: शिबू सोरेन के 'हनुमान' कहे जाते हैं चंपई सोरेन, केवल एक बार हारे चुनाव; BJP सरकार में रहे मंत्री

Champai Soren मैट्रिक पास चंपई सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1991 में सबसे पहले निर्दलीय चुनाव जीते थे। इसके बाद उन्होंने 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव जीता। वर्ष 1991 से लेकर 2019 के विधानसभा चुनाव तक इनकी केवल वर्ष 2000 में हार हुई। चंपई भाजपा के नेतृत्व में बनी अर्जुन मुंडा की सरकार में झामुमो कोटे से मंत्री रहे।

By Neeraj Ambastha Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 02 Feb 2024 11:30 PM (IST)
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शिबू सोरेन के 'हनुमान' कहे जाते हैं चंपई सोरेन, केवल एक बार हारे चुनाव; BJP सरकार में रहे मंत्री

राज्य ब्यूरो, रांची। Champai Soren Political Career झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री बनने वाले चंपाई सोरेन दिशोम गुरु शिबू सोरेन के 'हनुमान' माने जाते हैं। ये झामुमो के वर्तमान विधायकों में सोरेन परिवार के सबसे अधिक विश्वसनीय हैं। झारखंड आंदोलन में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ये 'टाइगर' के नाम से भी जाने जाते हैं।

मैट्रिक पास चंपई सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1991 में सबसे पहले निर्दलीय चुनाव जीते थे। इसके बाद उन्होंने 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव जीता। वर्ष 1991 से लेकर 2019 के विधानसभा चुनाव तक इनकी केवल वर्ष 2000 में हार हुई।

भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में भी रहे मंत्री

चंपई भाजपा के नेतृत्व में बनी अर्जुन मुंडा की सरकार में झामुमो कोटे से मंत्री रहे। बाद में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस व झामुमो की बनी गठबंधन सरकार में खाद्य आपूर्ति एवं परिवहन मंत्री रहे। पिछली हेमंत सरकार में इन्हें कल्याण एवं परिवहन विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी।

चंपई ने वर्ष 2019 में जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं मिली थी। सात संतानों (चार बेटे और तीन बेटियों) के पिता चम्पाई का पेशा खेती है। इनके पिता का नाम सिमाल सोरेन तथा माता का नाम मानको सोरेन है।

लोकसभा चुनाव के दौरान इनके द्वारा चुनाव आयोग को शपथपत्र के माध्यम से दी गई जानकारी के अनुसार, इनके पास 2.28 करोड़ की संपत्ति है, जबकि 76.50 लाख की देनदारी है। इनके विरुद्ध एक मामला लंबित है।

शपथ ग्रहण से पहले गुरुजी से लिया आशीर्वाद

चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन से उनके मोरहाबादी स्थित आवास पर मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। चंपई ने मुलाकात के बाद कहा कि गुरुजी उनके आदर्श हैं। झारखंड आंदोलन में उनके साथ वे भी जुड़े थे। वे गुरुजी के शिष्य हैं।

वहीं, शपथ ग्रहण के बाद चंपई सीधे मोरहाबादी मैदान गए जहां बापू वाटिका में गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद बिरसा चौक स्थित भगवान बिरसा की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया। इसके बाद नई सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक में सम्मिलित हुए। कैबिनेट की बैठक के बाद वे पाकुड़ के लिए रवाना हो गए।

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