CM Hemant Soren हेमंत सोरेन सदन में आक्रामक तेवर में नजर आए। उन्होंने एक शायरी से अपनी बात की शुरूआत करते हुए भाजपा को जमकर घेरा। कहा कि हम पांच साल पूरा करेंगे अगली सरकार भी हमारी ही बनेगी। विधानसभा और लोकसभा-राज्यसभा की तुलना मंदिरों से करते हुए सीएम ने कहा कि ये ऐसे मंदिर हैं जहां जनता के सवालों का समाधान निकलता है।
राज्य ब्यूरो, रांची। विधानसभा में शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सदन में आक्रामक तेवर में नजर आए। उन्होंने अपने संबोधन में केंद्रीय एजेंसियों, विपक्षी पार्टी भाजपा और विरोधियों पर जमकर प्रहार किया।
शुरुआत शायरी से की और कहा - हमारे कदम चलते रहेंगे, जबतक सांसें रहेंगी, हम वह मुसाफिर नहीं तो बाधा देखकर चलना छोड़ दें। भाजपा पर उन्होंने लगातार बाधाएं उत्पन्न करने के आरोप लगाए। कहा, इसमें उनकी कोई गलती नहीं। दरअसल, उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा काम आता भी नहीं।
हेमंत ने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद अधिक समय तक राज्य में भाजपा को ही सरकार चलाने का मौका मिला। ऐसे में वही बताएंगे कि झारखंड क्यों देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल हो गया। अलग राज्य बनने के बाद से राज्य में लोग हाथ में राशनकार्ड लेकर भूखे मर रहे थे।
'राज्य सरकार ने किसी को भूखा नहीं मरने दिया'
पिछले चार वर्षों में विपरीत परिस्थितियों में भी राज्य सरकार ने किसी को भूखा नहीं मरने दिया। 20 लाख लोगों को हमने राशन कार्ड मुहैया कराए हैं, जबकि पिछली सरकार ने 11 लाख लोगों के नाम काट दिए थे। सीएम बोले, हमें विरासत में ही समस्याएं मिली हैं। विधानसभा में एसी सिस्टम फेल है। तापमान बनाए रखने के लिए हाल में हीटर चलाना पड़ रहा है।
अलग झारखंड का पहला बजट सरप्लस बजट था तो फिर घाटे का बजट कैसे बनने लगा। विपक्ष पर निशाना साधते हुए सीएम ने कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद से ही डराने-धमकाने का निरंतर प्रयास चलने लगा। एक घंटे बाद से ही कहा जाने लगा कि सरकार नहीं चलेगी, लेकिन आप जान लीजिए कि हमारी सरकार अपना कार्यकाल भी पूरा करेगी और अगली सरकार भी हमारी ही होगी।
विधानसभा और लोकसभा-राज्यसभा की तुलना मंदिरों से
विधानसभा और लोकसभा-राज्यसभा की तुलना मंदिरों से करते हुए सीएम ने कहा कि ये ऐसे मंदिर हैं जहां जनता के सवालों का समाधान निकलता है। विपक्ष को तीन सदस्य निलंबित होने की तकलीफ है, लेकिन दूसरी ओर केंद्र में एक तिहाई सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। ये लोग बोलते कुछ हैं और करते कुछ और हैं।
सदन में स्थानीयता से संबंधित 1932 के विधेयक के सर्वसम्मति से पास होने के बाद भाजपा के नेता राज्यपाल का कान भरने चले गए। उन्हें लगा कि क्योंकि राज्यपाल केंद्र से मनोनीत होते हैं सो वहां उनकी बात सुनी जाएगी। विपक्ष राजभवन जाकर कान भरने का काम करने लगा, लेकिन हम बता दें कि हमारी सरकार दिल्ली और रांची से नहीं चलती, बल्कि झारखंड के पंचायतों व गांवों में बैठे यहां के लोगों की भावनाओं के अनुरूप चलती है।
गरीब, मजबूर लोगों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। विपक्ष के लोगों को बताना चाहिए कि उन्होंने झारखंड को क्या दिया है। इस दौरान भाजपा के विधायक और नेता प्रतिपक्ष बाहर निकल गए। मुख्यमंत्री आगे बोले, विपक्ष की यही समस्या है। अपनी बात बोलना चाहता है लेकिन सच्चाई सुन नहीं सकते।
'केंद्र ने राज्य सरकारों के संसाधन सीमित कर दिए'
लॉकडाउन लगा तो 15-15 लाख लोग बाहर थे। पेट चलाने के लिए काम करना ही होगा। अभी उत्तराखंड में ऐसे ही मजदूर फंसे थे तो राज्य सरकार के अधिकारी लगातार वहां जोकर कैंप किए और उनके सुरक्षित निकलने तक डटे रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकारों के संसाधन सीमित कर दिए हैं।
राजस्व उगाही के जितने दरवाजे थे सभी पर केंद्रीय एजेंसियां बैठा दी गई हैं। वो जानते हैं कि राजस्व बंद होगा तो लोग टूटेंगे। केंद्र सरकार ने खेती-किसानी को बर्बाद करने के लिए तीन काले कानून लांच किए थे। किसानों का आंदोलन हुआ तो तीनों कानून केंद्र सरकार को वापस लेने पड़े।
कानून वापस नहीं होता तो हमें ढूंढ़ने पर भी किसान नहीं मिलते। भाजपा विधायकों के बहिर्गमन पर उन्होंने कहा कि हमने नहीं भगाया, वो खुद भागे हैं। केंद्र में देखिए हमारे सांसदों को कैसे निष्कासित किया गया है। ये सांसद साढ़े 21 करोड़ आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
हमारी सरकार ने किसानों का कर्ज माफ किया। सीएम ने अग्निवीरों की भी चर्चा की। कहा कि अग्निवीरों के बारे में सेना के कई अधिकारियों ने भी सच्चाई उगल दी है। अंत में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम सभी को पार्टी हित से ऊपर उठकर राज्य हित में सोचना होगा।
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