संदीप राजवाड़े, नई दिल्ली।

दिल्ली-एनसीआर की बहुमंजिला इमारतें देखने में तो बहुत मनमोहक लगती हैं, लेकिन भीषण गर्मी ने इन इमारतों की पानी और बिजली की अव्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। 17 जून की रात गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार स्थित गौर सिद्धार्थम सोसायटी में इस भयानक गर्मी में 18 घंटे बत्ती गुल रही। बच्चों-बड़ों के लिए यह 18 घंटे किसी त्रासदी से कम नहीं थे। हालात ऐसे थे कि गर्मी से लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। राहत के लिए कुछ लोग रात एक बजे स्वीमिंग पूल खुलवाकर घंटों तक उसमें पड़े रहे। सोसायटी के क्लब हाउस में इमरजेंसी लाइट बैकअप होने के कारण कुछ लोग रात तीन बजे से अगले दिन की दोपहर बिजली आने तक बच्चे-बुजुर्ग और पेट्स के साथ वहीं बिस्तर-चटाई लेकर बैठे रहे। सुबह तक लाइट न आने पर बिल्डर प्रबंधन से अपनी मांग व अव्यवस्था सुधारने को लेकर 45 डिग्री की जलती धूप में सड़क पर बैठकर धरना दिया। आखिर क्या हुआ उस 18 घंटे के दौरान.. कैसे रहवासी भीषण गर्मी में तड़पते रहे.. कैसे एक-एक पल उन्होंने बच्चे व घर के बीमार व्यक्तियों के साथ काटे...।

दिल्ली-एनसीआर का सिद्धार्थ विहार एरिया.. 17 जून की रात करीबन आठ बजे यहां गौर सिद्धार्थम सोसायटी की बिजली गुल हो गई। रहवासियों का लगा कि अक्सर गर्मी में लोड बढ़ने या बिजली विभाग की कटौती के कारण लाइट गुल हुई होगी। घरों में लगे इनवर्टर से पंखे, टीवी, फ्रिज चलते रहे। सोसाइटी के वाट्सएप ग्रुप में भी लाइट गुल होने और बिजली कब आएगी यह चर्चा शुरू हो गई। नेवी से रिटायर्ड रावत जी ने बताया कि अभी सोसायटी के इलेक्ट्रीशियन से बात हुई है, 15-20 मिनट में बिजली आ जाएगी। कोई कहता मिला कि बिजली विभाग में फोन कर दिया है। इसी तरह के मैसेज चलते रहे।

रात 11 बजने को थे, न बिजली आई न उसका कोई अपडेट मिल रहा था। कयास ही लगाए जा रहे थे कि कुछ मिनट में आ जाएगी। कुछ देर में इनवर्टर का बैकअप भी खत्म हो गया। सोसायटी मैनेजमेंट के लोग भी नहीं बता पा रहे थे कि फॉल्ट कहां से हुआ है। तब तक बिजली विभाग के कर्मचारी व इंजीनियर आए। उन्होंने बताया कि बिजली की सप्लाई हो रही है, दिक्कत ट्रांसफॉर्मर में है। फॉल्ट ठीक करने पर भी बार-बार बिजली गुल हो रही थी। रात 12 बजे के बाद लोगों को पता चला कि लाइट आज रात नहीं आएगी। लोग चार घंटे से गर्मी से परेशान थे। घरों से छोटे बच्चों के रोने की आवाज आने लगी। पूरी रात बिजली न आने की बात सुनकर उनका सब्र जवाब देने लगा। गर्मी के कारण घर में रहना मुश्किल हो रहा था और लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही थी। कुछ परिवार तो गर्मी से परेशान होकर दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले अपने रिश्तेदारों- दोस्तों के घर चले गए, जहां लाइट थी।

स्वीमिंग पूल में रात काटते रहे रहवासी, दोपहर तक डूबे रहे

गर्मी से राहत के लिए रहवासी मैनेजमेंट से रात में ही स्वीमिंग पूल खोलने की डिमांड करने लगे। लोगों की नाराजगी से बचने के लिए मैनेजमेंट ने पहली बार रात एक बजे सोसायटी का स्वीमिंग पूल खोला। पांच घंटे से परेशान लोग परिवार के साथ स्वीमिंग में पूल में छलांग मारते दिखाई दिए। जो जिस कपड़े में था, उसी में पानी में उतर कर कुछ राहत की सांस लेने लगा। बच्चे और युवा तो ऐसे खुशी मना रहे थे जैसे उनकी बड़ी लाटरी लग गई हो, मानो प्यासे को पानी मिल गया हो। कुछ लोग स्वीमिंग पूल के चारों तरफ पानी में पैर डाल कर बैठ गए। अगले दिन दोपहर एक बजे तक यही नजारा था।

क्लब हाउस में लाइट होने से स्टेशन की तरह भीड़, चटाई-बिस्तर लेकर पहुंचे

ढाई हजार परिवार तो स्वीमिंग पूल में नहीं समा सकते थे। दूसरी तरफ कुछ बुजुर्गों की तबीयत भी बिगड़ने लगी थी। सोसायटी के क्लब हाउस में पावर बैकअप होने के कारण वहां लाइट व एसी चल सकते हैं। रहवासी रात में ही उसे भी खोलने मांग करने लगे। बड़ी मान-मनौव्वल के बाद रात तीन बजे क्लब हाउस खोला गया। जिसे जहां जगह मिली, वह चादर-चटाई लेकर बैठ गया।

नजारा ऐसा था कि टेबल टेनिस के टेबल के नीचे, बिलियर्ड टेबल के नीचे लोग जहां जगह पाते, वहीं बैठ जा रहे थे। दो-चार माह के बच्चे से लेकर बीमार बुजुर्ग के साथ लोग अपने पेट्स को लेकर भी वहीं आ गए। देखते ही देखते वहां भीड़ लग गई। क्लब हाउस किसी रेलवे स्टेशन का वेटिंग रूम लग रहा था। सारी रात कोई दीवार के सहारे टिका रहा तो कोई चटाई पर ही सो रहा था। लोगों को उम्मीद थी कि सुबह तक कुछ न कुछ हो जाएगा। लेकिन सुबह पता चला कि अब भी बिजली आने में देरी होगी तो लोग नाश्ता और खाने का सामान लेकर आ गए और वहीं खाने लगे।

65 साल के जैन जी को हार्ट अटैक आया था। स्टेंट लगवाकर वे 17 जून की शाम को ही घर आए तो देखा कि लाइट गुल थी। परिवारवाले रात भर हाथ से पंखा झलते रहे। सुबह होते-होते उनकी तबीयत बिगड़ने लगी तो घरवाले उन्हें लेकर क्लब हाउस पहुंचे। किसी तरह उनके बैठने की जगह मिल पाई। यह नजारा सिर्फ एक बीमार व्यक्ति के साथ नहीं था, अधिकतर लोग ऐसे ही परेशान थे। लोगों की नाराजगी देख बिल्डर मैनेजमेंट के लोग भी मेंटेनेंस ऑफिस बंद कर भाग खड़े हुए। अगले दिन भी रात तक लाइट आएगी कि नहीं, इसे लेकर कोई पुख्ता सूचना न होने पर कई परिवारवालों ने रात को सोने के लिए होटल में कमरा तक बुक कर लिया था। कुछ परिवार बच्चों-बुजुर्गो के साथ मॉल में चले गए, जिससे कि उन्हें यहां की गर्मी से कुछ राहत मिल पाए। कुछ वर्क फ्रॉम होम काम करने वाले भी गर्मी से राहत पाने की जुगत में ऑफिस निकलते दिखाई दिए।  

45 डिग्री की तपती धूप में बुजुर्गों, महिलाओं ने सड़क पर धरना दिया

सुबह तक बिजली नहीं आई तो रहवासियों ने सोचा कि बिल्डर मैनेजमेंट से बात करनी चाहिए। कुछ लोगों ने बिल्डर ऑफिस को ई-मेल भेज कर बिजली व्यवस्था जल्द दुरुस्त करने की बात कही, लेकिन वहां से कोई खास रिस्पांस नहीं मिला। तब करीब 9 बजे लोग सोसायटी के मेन गेट के सामने सड़क पर धरने पर बैठ गए। उन्होंने बिल्डर मैनेजमेंट के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। उनमें 70 साल के बुजुर्ग से लेकर साल-छह महीने के बच्चों के साथ महिलाएं भी शामिल थीं।

दिन चढ़ने के साथ जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा था, वैसे-वैसे लोगों का पारा भी चढ़ रहा था। रास्ते पर बढ़ती भीड़ देख पुलिस भी आ गई। तपती गर्मी में लोग सड़क पर बैठ गए और जल्द बिजली लाने की मांग करने लगे। मीडिया की भी भीड़ लग गई। तब तक मैनेजमेंट की तरफ से सिर्फ आश्वासन मिल रहा था।

किसी तरह करीब 18 घंटे बाद दोपहर डेढ़ बजे बिजली आई। उसमें भी शर्त थी कि पहले एक घंटे कोई अपने घर में एसी नहीं चलाएगा। दोपहर से लेकर अगली रात तक बिजली आती-जाती रही।

20 जून को फिर बिल्डर मैनेजमेंट की तरफ से नया ट्रांसफॉर्मर लगाने के नाम पर सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक बिजली गुल रखी गई। आठ घंटे में नया ट्रांसफॉर्मर लगाने की सूचना के बाद फिर 12 घंटे तक लाइट गुल रखी गई। इससे परेशान लोगों ने काम चल रही जगह पर भीड़ लगा ली और यह देख बिल्डर मैनेजमेंट ने पुलिस बुला लिया कि कहीं फिर कोई विवाद न हो जाए। रात 9 के बाद भी लाइट आती-जाती रही, लेकिन गौर सिद्धार्थम के हर रहवासी के लिए 17 जून की रात से 18 जून के दोपहर तक बत्ती गुल होने वे 18 घंटे किसी त्रासदी से कम नहीं थे। कई लोग तो यह भी बोल रहे थे कि अब यहां नहीं रहना है। यहां फ्लैट लेकर गलती कर दी, पिछले तीन साल से हर गर्मी में लाइट की इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा रहा है। रहवासियों का कहना था कि भगवान से प्रार्थना है कि दोबारा ऐसे हालात यहां न देखने को मिलें। जिस तरह बिल्डर मैनेजमेंट द्वारा यहां अव्यवस्था की अनदेखी और लापरवाही की गई है, इससे लोगों को बहुत परेशानी हुई है। 

सावधानः लाइट गुल और बिजली कनेक्शन ब्लॉक करने के नाम पर ठगी के मैसेज

गर्मी के साथ शहर-गांव हर जगह बिजली गुल होने की समस्या भी बढ़ गई है। ऑनलाइन ठगी करने वाले इस परिस्थिति का भी लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। वे बिजली विभाग के नाम बिजली कनेक्शन काटने या ब्लॉक करने के मैसेज भेजते हैं। इस मैसेज में बिजली कनेक्शन काटने से बचने के लिए दिए गए नंबर पर कॉल करने को कहा जाता है। कॉल करने पर वे शहर, बिजली कनेक्शन नंबर आदि की जानकारी लेते हुए ओटीपी बताने के लिए कहते हैं। जैसे ही व्यक्ति ओटीपी नंबर बताता है, उसके बैंक खाते से पैसे निकल जाते हैं।

दिल्ली के साइबर एक्सपर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील पवन दुग्गल ने बताया कि ये फ्रॉड मैसेज होते हैं। लोगों के घरों के बिजली कनेक्शन ब्लॉक करने के नाम पर डराया जा रहा है। झांसे में आकर लोग उन्हें कॉल करते हैं और ओटीपी नंबर भी बता देते हैं। इससे वे ठगी के शिकार हो रहे हैं। इस तरह के मैसेज से बचें, दिए गए फोन नंबर पर कभी कॉल न करें। बिजली विभाग की तरफ से इस तरह के मैसेज कभी नहीं भेजे जाते हैं। पावर कट होने की सूचना जरूर दी जाती है, लेकिन उसमें किसी से संपर्क करने को नहीं कहा जाता है।