स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। भारत की इकोनॉमी समग्र रूप में अच्छा प्रदर्शन कर रही है और करेगी। अच्छा टैक्स कलेक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर में ज्यादा निवेश, ये दोनों इकोनॉमी में बेहतरी के इंडिकेटर होते हैं। इसके अलावा, देश का सर्विस सेक्टर मजबूत है। मैन्युफैक्चरिंग के लिए आई पीएलआई स्कीम भी सफल साबित हुई है। ये सब फैक्टर बताते हैं कि अगले 10 वर्ष भारत की इकोनॉमी के लिए स्वर्णिम काल साबित होंगे। जाने-माने शेयर बाजार विशेषज्ञ और आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज के संस्थापक चेयरमैन आनंद राठी ने जागरण प्राइम के सीनियर एडिटर स्कन्द विवेक धर के साथ इंटरव्यू में यह बातें कहीं। पेश है बातचीत के मुख्य अंश...

जियो पॉलिटिकल हालात, महंगाई के मोर्चे पर मिल रही राहत, मंदी की आशंका में कमी को देखें तो ग्लोबल इकोनॉमी किधर जाती नजर आ रही है?

ग्लोबल इकोनॉमी के बारे में पहले जो अनुमान था, ग्रोथ नीचे जाने की जो आशंकाएं थीं, वह निश्चित रूप से कम हुई हैं। सबसे बड़ा जो इम्प्रूवमेंट नजर आ रहा है, वह है महंगाई में कमी। पूरी दुनिया में महंगाई कम हो रही है और इसके कारण ब्याज दरें और बढ़ने की आशंका भी कम हुई है। अमेरिका ने भी दरें बढ़ाना बंद कर दिया है। यूके और यूरोप पर थोड़ा प्रेशर है, वहां अभी दरें थोड़ी और बढ़ेंगी। लेकिन कुल मिलाकर कहें तो ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला अब बंद हो गया है। अगले 6 से 12 महीने में दरें घटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जहां तक रूस-यूक्रेन युद्ध का सवाल है, तो इसका कोई सॉल्यूशन सामने नजर नहीं आ रहा है। लेकिन ऐसा भी नहीं लग रहा कि यह बढ़कर किसी विश्व युद्ध या परमाणु युद्ध में तब्दील हो जाएगा। आशंका थी कि इस युद्ध के चलते यूरोप में एनर्जी संकट आ जाएगा, लेकिन वहां पिछला ठंड का मौसम तो निकल ही गया।

दूसरी बड़ी जियो पॉलिटिकल समस्या ताइवान और चीन की है। इसमें एक अच्छी चीज दिख रही है कि चीन और अमेरिका के संबंधों में थोड़ा सुधार हो रहा है। इसलिए मंदी का डर बहुत कम हो गया है। ब्याज दरें बढ़ने की आशंका भी कम हो गई है, बल्कि अगले वर्ष से ब्याज दरें घटने की संभावना है। हालांकि, मुझे नहीं लगता कि अगले दो साल तक वर्ल्ड इकोनॉमी की ग्रोथ ढाई फीसदी से ऊपर जाएगी। साल 2025 से वर्ल्ड इकोनॉमी में फिर से गति आने की उम्मीद है।

भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर आपका प्रोजेक्शन क्या है?

भारत की इकोनॉमी दुनिया में सबसे अच्छी चल रही है। सबसे ज्यादा ग्रोथ हमारे यहां है। हमारे सारे इंडिकेटर्स मजबूत हैं। महंगाई तेजी से नीचे आई है। ब्याज दरें जितनी बढ़नी थीं, रिजर्व बैंक ने बढ़ा दी हैं। मुझे नहीं लगता कि दरों में और बढ़ोतरी होगी। दूसरे देशों के साथ भारत के संबंध भी बहुत अच्छे होते जा रहे हैं। भारत की इकोनॉमी व्यापक रूप में अच्छा प्रदर्शन कर रही है और करेगी। अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का एक बड़ा इंडिकेटर होता है टैक्स कलेक्शन। जून में इनकम टैक्स में 11% की ग्रोथ रही है। टैक्स कलेक्शन अच्छा होना और इंफ्रास्ट्रक्चर में ज्यादा निवेश होना, ये दोनों बताते हैं कि इकोनॉमी अच्छा कर रही है और करने वाली है। देश का सर्विस सेक्टर मजबूत है। अब सरकार जिस तरह से मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रही है, उसका भी असर दिखेगा। मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए आई प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) स्कीम सफल साबित हुई है। घरेलू खपत और निर्यात की जरूरत के लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का विस्तार देश के लिए जरूरी है। मेरा अनुमान है कि अगले 10 वर्ष भारत की इकोनॉमी के लिए स्वर्णिम काल साबित होंगे।

भारत के सर्विस सेक्टर में आईटी का बड़ा योगदान है, लेकिन पिछले एक साल से यह इंडस्ट्री दबाव में है। इसके शेयर भी गिरे हुए हैं, आईटी को लेकर आपका क्या नजरिया है?

जब भी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर आता है तो लोगों को लगता है कि आईटी पर खर्च कम हो जाएगा। इस वजह से आईटी शेयरों में थोड़ी नरमी आई थी। लेकिन, इधर इंटरनल ग्रोथ भी अच्छी हुई है। इसलिए आईटी पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा। अब तो स्थितियां आईटी के लिए बेहतर हो रही हैं। रुपया कमजोर होने का फायदा आईटी कंपनियों को मिलेगा। आईटी की नॉलेज भारत की मजबूती है और इससे यह बिजनेस निश्चित ही बढ़ता जाएगा। इसलिए आईटी स्टॉक ऑल वेदर हैं। इन्हें आप हमेशा अपने पोर्टफोलियो में रख सकते हैं।

कौन से फैक्टर हैं जिन पर हमें निगाह रखने की जरूरत है, जो आगे भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार दोनों की दिशा तय करेंगे?

इंडिया में जब ग्रोथ आती है तो सभी सेक्टर में आती है। हालांकि, अभी जो सेक्टर अच्छे नजर आ रहे हैं उनमें एक है बैंक और एनबीएफसी। बैंकों की बैलेंसशीट काफी मजबूत हो गई है। एनपीए कम हो रहे हैं। पुराने एनपीए की रिकवरी होती जा रही है। इन्सॉल्वेंसी एक्ट आने के बाद काफी दबाव बढ़ा है। इसलिए बैंकिंग-फाइनेंस सेक्टर अच्छा प्रदर्शन करेगा। दूसरा सेक्टर जो अच्छा करेगा, वह है इन्फ्रास्ट्रक्चर। इसके कारण सीमेंट, स्टील और संबंधित सेक्टर भी अच्छा कर रहे हैं। इसके अलावा, कैपिटल गुड्स के भी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।

एसआईपी के जरिए बड़ा फ्लो बाजार में आ रहा है। कहीं ये ब्लू चिप कंपनियों के शेयरों को गुब्बारे की तरह फुला तो नहीं देगा?

इंडिया में अब भी इक्विटी में बचत का एक छोटा हिस्सा ही आ रहा है। ज्यादातर हिस्सा रियल एस्टेट और सोने में जाता है। रियल एस्टेट में लिक्विडटी की समस्या है और रिटर्न भी उतना आकर्षक नहीं रहा। सोने में छह महीने जबरदस्त तेजी आती है, फिर महीनों रुकी रहती है। जबकि इक्विटी में औसतन 12 से 15 फीसदी का सालाना रिटर्न मिल जाता है। इसलिए अभी इसमें निवेश और आएगा।

जिस साल आपने आनंद राठी समूह की स्थापना की, तब सेंसेक्स 4500 के करीब था, आज 63 हजार के पार है। इसे एक लाख तक पहुंचने में कितना समय लगेगा?

सेंसेक्स एक लाख तक कब पहुंचेगा, यह अनुमान लगाना तो बड़ा कठिन है, लेकिन अगले पांच साल में यह एक लाख के पार पहुंच जाना चाहिए। उससे पहले हो जाए जो बहुत बढ़िया। बाजार उस दिशा में बढ़ भी रहा है। अगले 25 साल भारत के हैं, ऐसे में बाजार तो साथ देगा ही।