स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। वह ऐसे ब्रिटिश हैं जो हिन्दी भी बोल और समझ लेते हैं। हिन्दी फिल्में देखते हैं। भारतीय खाना उन्हें पसंद है और अकसर स्ट्रीट फूड का लुत्फ उठाते रहते हैं। उनके वीडियोज को सोशल मीडिया पर हजारों की संख्या में लाइक्स मिलती हैं। क्रिकेट उनका पैशन है, लेकिन वह कबड्डी भी खेल लेते हैं। उन्हाेंने अपने कैरियर की शुरुआत इतिहास के शिक्षक के रूप में की थी, लेकिन अब वह कैरियर डिप्लोमैट हैं। ये हैं भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस। जागरण प्राइम ने उनसे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों, प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता, भारत की जी-20 अध्यक्षता, ब्रिटेन में भारत विरोधी प्रदर्शन समेत कई मुद्दों पर बात की। भारत विरोधी प्रदर्शन पर एलिस ने कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकारों ने बीते शुक्रवार को ही दिल्ली में मुलाकात की है, जिसमें इस मामले पर भी चर्चा हुई। यूके सरकार किसी भी प्रकार के चरमपंथ को लेकर बहुत सख्त है। पेश है बातचीत में प्रमुख अंश:

भारत और यूके के द्विपक्षीय संबंध बीते कुछ वर्षों से लगातार बेहतर हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र क्या हैं?

भारत मेरे जीवन के तीन सबसे प्रमुख देशों में से एक है। दो अन्य देश अमेरिका और चीन हैं। यूके के लिए भारत सबसे महत्वपूर्ण देशों में से एक है। दोनों देशों के रिश्ते बहुआयामी हैं। इसमें एक छोर पर डिफेंस तो दूसरे छोर पर सस्टेनेबिलिटी है। इसमें हेल्थ, क्लाइमेट चेंज, ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट आदि शामिल हैं। सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच तेजी से सहयोग बढ़ रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भारत बहुत तेजी से ग्रोथ कर रहा है। साथ ही भारत का असर दुनिया पर तेजी से बढ़ रहा है।

भारत ने पिछले वर्ष जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की। वैश्विक चुनौतियों और समावेशी आर्थिक विकास की जरूरत को ध्यान में रखते हुए, भारत के नेतृत्व में जी-20 क्या भूमिका निभा सकता है?

दुनिया के सामने इस समय कई चुनौतिया हैं। चाहे क्लाइमेट-चेंज की बात हो या स्वास्थ्य का मुद्दा हो, जरूरी है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले मुल्क साथ आएं। करीब एक तिहाई देश इस समय सुस्त होती अर्थव्यवस्था का सामना कर रहे हैं, इसलिए ग्रोथ भी जरूरी है। इन सब के चलते जी-20 का महत्व बढ़ जाता है। मुझे लगता है कि भारत बिल्कुल सही समय पर जी-20 का अध्यक्ष बना है। भारत के पास सभी तरह की शक्तियां हैं। भारत के पास लोगों को प्रभावित करने की ताकत है। दुनियाभर के लीडर भारत आ रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी दुनियाभर के देशों में जा रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता का यह सही समय है। हां, यह काम चुनौतिपूर्ण जरूर है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की वजह से दुनिया में महंगाई बढ़ी है। खाने की वस्तुएं और फर्टिलाइजर महंगे हुए हैं। इसका असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ा है, पर हम आगे बढ़ रहे हैं। हम भारत की जी-20 अध्यक्षता के पुरजोर समर्थक हैं। हम भारत के साथ मिलकर काम करेंगे।

आर्थिक सहयोग भारत-ब्रिटेन संबंधों की बुनियाद रहा है। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के प्रमुख क्षेत्र क्या हैं? दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए क्या किया जा रहा है?

भारत और यूके दुनिया की पांचवी और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। भारत और बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। अभी हमारा फोकस मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर है। एफटीए को लेकर अब तक 12 दौर की वार्ता हो चुकी है। अभी जब हम बात कर रहे हैं लंदन में प्रधानमंत्री एफटीए को लेकर ब्रिटिश अधिकारियों के साथ एक बैठक करने जा रहे हैं। एफटीए दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था में अरबों पाउंड का योगदान देगा। दोनों देशों के बीच पहले से ही काफी बड़ी मात्रा में व्यापार हो रहा है। बीते वित्तीय वर्ष में दोनों देशों के बीच 36 अरब पाउंड का ट्रेड हुआ। निवेश की बात करें तो भारत यूके में एक बड़ा निवेशक है। नई परियोजनाओं के मामले में तो भारत यूके में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक है। इसी तरह, यूके भी भारत में बड़ी मात्रा में निवेश कर रहा है। उदाहरण के लिए, टाटा समूह यूके में निवेश कर रहा है, तो रॉल्स रॉयस और यूनिलीवर भारत में निवेश बढ़ा रही हैं। हाल में रिलायंस ने यूके की बैटरी टेक्नालॉजी कंपनी में निवेश किया है। आप देख सकते हैं दोनों देशों में इन्वेस्टमेंट रिलेशन कितना बड़ा बन चुका है। एफटीए इसे और बढ़ाने में मदद करेगा।

दोनों देशों के लिए मुक्त व्यापार समझौते को अहम माना जा रहा है। ऐसे में इसमें देरी क्यों हो रही है? किन मुद्दों पर बात अटक रही है?

तकनीकी मुद्दों के चलते व्यापार समझौतों में अकसर समय लगता है। भारत और यूके के बीच जिस मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बात चल रही है, वह बहुत व्यापक है। मेरा ख्याल है कि भारत ने अब तक जितने भी एफटीए किए हैं, यह उन सबसे बड़ा है। इसमें 30 अलग-अलग चैप्टर हैं, जिस पर चर्चा हो रही है। वस्तुओं के आयात पर टैक्स में कमी, वस्तु बाजार तक पहुंच, सेवा बाजार तक पहुंच आदि पर चर्चा जारी है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच वर्कर्स की अस्थायी आवाजाही को लेकर बातचीत चल रही है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही चीजें तय हो जाएंगी।

शिक्षा यूके-भारत संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। एक समय यूके उच्च शिक्षा के मामले में भारतीय छात्र-छात्राओं की पहली पसंद था। फिर अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा के सामने इसने मार्केट गंवा दिया। अब कुछ वर्षों से फिर से यूके जाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है। आप आने वाले वर्षों में इस साझेदारी को किस प्रकार विकसित होते हुए देखते हैं?

ये दोनों देशों के बीच सबसे मजबूत लिविंग ब्रिज है। पिछले साल हमने 1.38 लाख भारतीय स्टूडेंट्स को वीजा जारी किए। कुछ साल पहले यह संख्या महज 20 हजार थी। इस हिसाब से देखें तो ये एक बड़ी उछाल है। उच्च शिक्षा के लिए यूके आने वाले छात्रों के मामले में चीन को पीछे छोड़ भारत नंबर एक देश बन गया है। यूके की यूनिवर्सिटीज का आकर्षण बढ़ने की एक वजह यह है कि स्टूडेंट्स को पढ़ाई के बाद दो-तीन साल तक काम करने की अनुमति मिल गई है। मैं चाहता हूं कि यूके के स्टूडेंट भारत आकर पढ़ाई करें। ज्यादा से ज्यादा युवा ब्रिटिशर्स को नए भारत के बारे में जानना चाहिए। हालांकि, एजुकेशन पार्टनरशिप सिर्फ छात्रों के आवागमन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। हमें रिसर्च और तकनीकी विकास पर भी साथ काम करना चाहिए और यह शुरू भी हो चुका है। बर्मिंघम यूनिवर्सिटी और आईआईटी मद्रास आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर साथ काम कर रहे हैं। यूके के अन्य विश्वविद्यालय भी भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ संगठित भागीदार पर काम कर रहे हैं। हमने पहले भी ऐसा किया है, उदाहरण के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने आईआईटी दिल्ली की स्थापना के समय इसके विकास में योगदान दिया था। हम आधुनिक भारत में फिर ऐसा कर सकते हैं।

ब्रिटेन में खालिस्तान और पाकिस्तान परस्त लोगों द्वारा भारत विरोधी प्रदर्शन बढ़ रहा है। भारत सरकार इसे लेकर नाखुश है। क्या इस प्रकार की घटनाएं यूके-भारत संबंधों के लिए हानिकारक हैं? इनसे निपटने के लिए ब्रिटिश सरकार क्या कर रही है?

दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकारों ने बीते शुक्रवार को ही दिल्ली में मुलाकात की, जिसमें इस मामले पर भी चर्चा हुई है। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि यूके सरकार किसी भी प्रकार के चरमपंथ को लेकर बहुत सख्त है। हमने ऐसे कानून बनाएं हैं, जो सभी तरह के चरमपंथ से कड़ाई से निपटते हैं। वह ये नहीं देखते कि यह किस प्रकार का चरमपंथ है। हमारे पास चरमपंथ से निपटने के लिए कई उपाय हैं। अगर कोई कानून तोड़ता है हम उसे गिरफ्तार करते हैं, जैसा कि मार्च में भारतीय उच्चायुक्त के घर के बाहर प्रदर्शन करने पर किया गया। हम नियामक का इस्तेमाल करते हैं, अगर कोई अवांछित सामग्री टीवी पर प्रसारित की जाती है। हमने उन चैरिटी संस्थाओं पर भी एक्शन लिया है, जो स्कूल के नाम पर फंड जुटा रही थीं और उसका इस्तेमाल चरमपंथ के लिए कर रही थीं।

भारत में बतौर ब्रिटिश उच्चायुक्त आपको दो साल से अधिक हो चुके हैं। आप इस दौरान के अपने कुछ अनुभव साझा करेंगे?

मुझे भारत आए ढाई साल हो गए हैं। भारत में ये मेरा दूसरा प्रवास है। पहली बार मैं इंदौर में बतौर इतिहास का शिक्षक बन कर आया था। उस समय मैं 18 साल का था। इस बार मैं बहुत बड़े घर में रहता हूं। मेरी भूमिका भी अलग है। मुझे भारत बहुत पसंद है। भारत की पुरानी संस्कृति, लाजवाब खाना, पुराना इतिहास मुझे बहुत लुभाता है।

यूके और भारत के बीच खेल संबंधों का इतिहास है, खासकर क्रिकेट में। द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में खेल किस तरह योगदान देते हैं?

क्रिकेट भी दोनों देशों के बीच एक लिविंग ब्रिज है। ये भारत और यूके के बीच एक जानी-पहचानी संस्कृति का हिस्सा है। बहुत कम देश हैं जाे क्रिकेट को इस तरह एनजॉय करते हैं। जोस बटलर और सैम करन ब्रिटिश क्रिकेट के साथ आईपीएल में भी शानदार खेल दिखा रहे हैं। दूसरे खेलों की बात करें तो नीरज चोपड़ा यूके में अपनी प्रैक्टिस कर रहे हैं, क्योंकि वहां अच्छी सुविधाएं मौजूद हैं। मेरी सभी प्रकार के भारतीय खेलों में रुचि है। हमने हाल में उच्चायोग में कबड्डी का आयोजन किया था। खेल दोनों देशों को नजदीक लाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।