नई दिल्ली, विवेक तिवारी । ऋग्वेद के हिरण्यगर्भ सूक्त में उल्लेख है कि सृष्टि हिरण्यगर्भ यानी स्वर्ण के गर्भ से आरंभ हुई थी। वेदों में सोने को हिरण्य कहा गया है। हिंदू धर्म में सोने को सूर्य की शक्ति का प्रतीक भी मानते हैं। सोना संपन्नता का भी प्रतीक है और संपन्नता के साथ सौभाग्य तथा वैभव प्रदान करने वाले पर्व के तौर पर ही दिवाली मनाई जाती है। दिवाली का त्योहार धनतेरस से लेकर भाई दूज तक होता है। वैसे तो धनतेरस के दिन सोना खरीदने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार कुछ खास वजहों से इस दिन सोना खरीदना काफी फायदेमंद हो सकता है। लेकिन सोने का इस्तेमाल ज्वैलरी और निवेश तक ही सीमित नहीं, हमारी जरूरत की अनेक चीजों में इसका प्रयोग किया जाता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में मंदी का डर छा रहा है। महंगाई भी है। इन वजहों से सोने के दाम हाल में घटे हैं। इसलिए ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने कहा है कि सोना और चांदी में अभी किया गया निवेश आगे बड़ा रिटर्न दे सकता है। फर्म ने बीते कुछ वर्षों के दौरान सोने के रिटर्न का आकलन भी किया है। इसके मुताबिक 2013 में टेपर टेंट्रम घटनाक्रम हो, 2015-18 में रेट में बढ़ोतरी का चक्र हो, 2019-21 में ब्याज दरों का गिरना हो या 2022 में ब्याज दरों में वृद्धि का मामला हो, सभी स्थितियों में गोल्ड पर रिटर्न पॉजिटिव नहीं रहा। लेकिन मौजूदा ट्रेंड दर्शा रहा है कि आने वाले समय में सोना शानदार रिटर्न देगा।

सोना यूं ही सोना नहीं है। भारतीय संस्कृति में सोने का महत्वपूर्ण स्थान है। इसे समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यही कारण है कि धनतेरस और अक्षय तृतीया पर देशभर में बड़े पैमाने पर सोने की खरीद होती है। यूं तो सोने को पूरी दुनिया में निवेश के बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जाता रहा है, पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मोबाइल फोन से लेकर अंतरिक्ष यान तक हमारी हर विकास यात्रा में सोने की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

सोने ने दिया है शानदार रिटर्न

सोने ने लम्बे समय के लिए निवेश करने वालों को हमेशा शानदार रिटर्न दिया है। 1950 में 10 ग्राम सोने की कीमत 99 रुपये थी जो 1960 में 112 रुपये हो गई। इन दस सालों में सोने की कीमत में लगभग 13 फीसदी का उछाल देखा गया। 1960 से 1970 के बीच सोने की कीमत 112 रुपये से बढ़कर 184.50 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। इस दौर में सोने की कीमत में 65 फीसदी का उछाल आया। 1970 से 1980 के बीच सोने पर रिटर्न बहुत ही शानदार रहा। इन दस सालों में सोने की कीमत 184.50 रुपये से बढ़कर 1,330 रुपये प्रति दस ग्राम हो गई थी। यानी इसने करीब 620 फीसदी रिटर्न दिया। 1980 से 1990 तक सोने पर 140 फीसदी रिटर्न मिला और कीमत 1330 रुपये से बढ़कर 3200 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गई। 1990 से 2000 तक इसने करीब 37.50 फीसदी रिटर्न दिया। 1996 में कीमत 5,160 रुपये तक पहुंच गई थी, लेकिन इसके बाद गिरावट आई। दशक समाप्त होते-होते कीमत 4,045 रुपये प्रति दस ग्राम रह गई। 2000 से 2010 तक सोने की कीमत 4400 रुपये से बढ़कर 18,500 रुपये तक पहुंच गई। यानी करीब 320 प्रतिशत रिटर्न मिला। 2010 से 2020 तक सोने की कीमतों में औसतन 162 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। इस दौरान सोना 48651 प्रति दस ग्राम पहुंच गया था।

अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी है सोना

NASA के मुताबिक सेटेलाइट के बाहरी हिस्से में सोने की परत लगाई जाती है। ये परत ही सेटेलाइट को सूरज की गर्मी से बचाती है। सोना सूरज की ज्यादातर किरणों को परावर्तित कर देता है। वहीं अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनॉट के हेलमेट के वाइजर में भी सोने की परत का इस्तेमाल होता है जो उन्हें सूरज के खतरनाक रेडिएशन से बचाता है। वहीं, सेटेलाइट के कई पुर्जों में भी बेहतर विद्युत सुचालक के तौर पर सोने का इस्तेमाल होता है।

मेडिकल साइंस के लिए सोना है वरदान

दुनिया की कई सभ्यताओं में सोने का इस्तेमाल इलाज के लिए किया जाता रहा है। चीन में पारंपरिक तौर पर सोने का इस्तेमाल दिल की धड़कन बढ़ने पर, दौरे और त्वचा संक्रमण में किया जाता रहा है। वहीं हमारे आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म का इस्तेमाल फेफड़े, दिल और पाचन संबंधी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। यह दिल को मजबूती देने का काम करता है। सिर्फ यही नहीं, स्वर्ण भस्म हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। किराली आयुर्वेदिक समूह की प्रबंध निदेशक डॉक्टर गीता रमेश के मुताबिक आयुर्वेद में सोने की भस्म को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए काफी अच्छा माना गया है। बचपन से ही सोने की भस्म का इस्तेमाल छोटी मात्रा में करने पर निष्क्रिय कोशिकाएं भी सक्रिय हो जाती हैं। बच्चों के बेहतर विकास और कुपोषण को दूर करने के लिए भी ये काफी उपयोगी है। आयुर्वेद में सोने की भस्म और इससे बनी दवाओं का इस्तेमाल त्वचा में चमक पैदा करने और याददाश्त को तेज करने के लिए भी किया जाता है।

आपके मोबाइल में भी है सोना

आज दुनिया भर में मोबाइल लोगों की मूलभूत जरूरतों में शामिल हो गया है। आपके स्मार्टफोन को बनाने में भी सोने का इस्तेमाल होता है। टेक कंपनी यूमिकोर के मुताबिक 35 पुराने मोबाइल में से 1 ग्राम सोना निकाला जा सकता है। मोबाइल के अंदर इस्तेमाल होने वाले सिम के सर्किट पर भी सोने की एक पतली परत लगाई जाती है। दरअसल एक बेहतर सुचालक तो है ही फोन से बार बार निकालने और लगाने पर सिम घिसती नहीं है जिससे सर्किट बोर्ड खराब नहीं होता। आईआईटी खड़गपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉटर अमित कुमार दत्ता के मुताबिक सोना एक बेहतरीन सुचालक है। आपको अगर फोन करते समय बेहतर कनेक्टिविटी चाहिए तो इक्यूपमेंट्स में सोने का इस्तेमाल करना ही होगी। हालांकि बेहद कम मात्रा में सोने का इस्तेमाल टेलिकॉम इंस्टूमेंट्स में किया जाता है।

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की रफ्तार तय करता है सोना

आज के समय में बाजार में आ रही गाड़ियों में कई तरह के आधुनिक फीचर्स दिए जा रहे हैं। इन फीचर्स के लिए कई तरह के सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक चिपबोर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन सेंसर्स और इलेक्ट्रॉनिक चिपबोर्ड को बनाने में सोने का इस्तेमाल किया जाता है। पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री पर जोर दिया जा रहा है। इन गाड़ियों में ज्यादातर फीचर इलेक्ट्रॉनिक चिप पर निर्भर होते हैं। ऐसे में आने वाले समय में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सोने की मांग बढ़ेगी। SIAM के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल सुगातो सेन के मुताबिक आज की गाड़ियों में बहुत सारे फीचर्स दिए जा रहे हैं। इसके लिए गाड़ियों में कई महंगी धातुओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। SIAM लगातार कुछ महंगी धातुओं की कीमत पर रिपोर्ट भी तैयार करता है जिसका इस्तेमाल ऑटोमोबाइल कंपनियां करती हैं।

इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री में सोना

सोने के बिना इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री की कल्पना बेहद मुश्किल है। दरअसल इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक चिप और सर्किट बोर्ड में बेहतर सुचालक के तौर पर सोने का ही इस्तेमाल किया जाता है। 2019 के लिए यूएसजीएस मिनरल कमोडिटी रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में अमेरिका में इस्तेमाल होने वाले सोने का लगभग 37% इलेक्ट्रॉनिक्स में था। बुलियन और ज्वेलरी इंडस्ट्री में सोने का इस्तेमाल लगभग 50 फीसदी तक था। इलेक्ट्रॉनिक्स किसी भी अन्य कमोडिटी की तुलना में सोने का अधिक उपयोग करता है। आपके स्मार्टफोन के साथ ही ज्यादातर बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जैसे लैपटॉप और डेस्कटॉप कंप्यूटर और आपके टीवी।

(निवेश का कोई भी फैसला करने से पहले सलाहकार की राय अवश्य लें। किसी भी नुकसान के लिए jagran.com जिम्मेदार नहीं होगा)