दो हफ्ते में 10% बढ़ी कंज्यूमर गुड्स की बिक्री, ऑनलाइन में 35% ग्रोथ
सीजन के शुरुआती दो सप्ताह में देश भर में बिक्री में लगभग 10% का उछाल देखा गया। हालांकि ऑफलाइन की तुलना में ऑनलाइन बिक्री में वृद्धि ज्यादा है। इसमें अभी तक 35% ग्रोथ दर्ज हुई है। कुछ सेगमेंट में बिक्री पिछले साल की तुलना में 60% तक ज्यादा हुई है।
नई दिल्ली, एस.के. सिंह। इस साल त्योहारी सीजन में लोग भारत में ही बने सामान ज्यादा खरीद रहे हैं। चाइनीज सामान सस्ता होने के बावजूद उनकी डिमांड बहुत कम है। स्थिति यह है कि कारोबारी चाइनीज कंपनियों को ऑर्डर देने से बच रहे हैं। ऐसे में भारतीय कंपनियों के लिए यह सीजन काफी उत्साहजनक साबित हो रहा है। सीजन के शुरुआती दो सप्ताह में देश भर में बिक्री में लगभग 10% का उछाल देखा गया। हालांकि ऑफलाइन की तुलना में ऑनलाइन बिक्री में वृद्धि ज्यादा है। इसमें अभी तक 35% ग्रोथ दर्ज हुई है। ऑनलाइन के कुछ सेगमेंट में तो बिक्री पिछले साल की तुलना में 60% तक ज्यादा हुई है। एक और अच्छी बात यह है कि छोटे शहरों से भी अच्छी डिमांड निकल रही है। कंज्यूमर सेंटिमेंट से पता चलता है कि त्योहार के बाकी दिनों में भी बिक्री का यह ट्रेंड बना रहेगा।
चाइनीज कंपनियों को 50 हजार करोड़ का नुकसानः कैट
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने जागरण प्राइम को बताया कि दिवाली के सीजन में पिछले वर्षों में भारत में 50-55 हजार करोड़ रुपये के चाइनीज सामान की बिक्री होती थी। लेकिन अब खरीदारों का व्यवहार बदला है और चीन से आयातित सामान की मांग कम हुई है। चाइनीज सामान सस्ता होने के बावजूद ग्राहक भारत में ही बने सामान की मांग करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में बने एफएमसीजी उत्पाद, उपभोक्ता वस्तुएं, खिलौने, बिजली के उपकरण, फिक्सचर, रसोई के सामान, सजावटी वस्तुएं, गिफ्ट, मिठाई-नमकीन, टेपेस्ट्री, बर्तन, घड़ियां, फिक्सचर, मिट्टी के दीये और दीवाली पूजा के सामान की बिक्री में बड़ा इजाफ़ा होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि ग्राहकों के व्यवहार को देखते हुए इस बार कारोबारियों ने चीन की कंपनियों को न के बराबर ऑर्डर दिया है। बाजार में अभी जो चाइनीज सामान मिल रहे हैं, वह पिछले साल के बचे हुए हैं। इस लिहाज से चाइनीज कंपनियों को इस बार त्योहारों में 50,000 करोड़ रुपये की बिक्री का नुकसान हो सकता है।
पूरे सीजन में 1.25 लाख करोड़ के कारोबार की उम्मीद
खंडेलवाल ने बताया कि अभी तक की बिक्री पिछले साल के त्योहारी सीजन की तुलना में 10% ज्यादा है। उन्होंने कहा, “कोरोना के दो वर्ष के बाद इस वर्ष बाजार में ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। एफएमसीजी, नमकीन-मिठाई, खिलौने, गारमेंट, कॉस्मेटिक, नवरात्रि की पूजा सामग्री, होम फर्निशिंग, फर्नीचर, इंटीरियर साज सज्जा की वस्तुएं, लकड़ी एवं प्लाईवुड, बिल्डर हार्डवेयर, बिजली का सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में व्यापार में वृद्धि दिखाई दी है।” खंडेलवाल ने उम्मीद जताई कि इस साल त्योहारों में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होगा। पिछले साल कोरोना के कारण यह 75,000 करोड़ रुपये तक सिमट गया था।
ईकॉमर्स कंपनियों को कई तरह के सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन उपलब्ध कराने वाली कंपनी यूनिकॉमर्स ने जागरण प्राइम को बताया कि त्योहारी सीजन शुरू होने के पहले 10 दिनों में ईकॉमर्स बिक्री 35% बढ़ी है। सबसे ज्यादा ग्रोथ पर्सनल केयर और इलेक्ट्रॉनिक सेगमेंट में है। पिछले साल की तुलना में इन दोनों में 60% से ज्यादा की ग्रोथ है। FMCG सेगमेंट में भी अच्छी खासी बिक्री हो रही है और इसमें 41% की वृद्धि हुई है। हेल्थ और फार्मा सेगमेंट में बिक्री 37% बढ़ी है। हालांकि फैशन में अभी तक ग्रोथ सिर्फ 10% है।
यूनिकॉमर्स के अनुसार रोचक बात यह है कि टियर-3 शहरों से (वॉल्यूम के लिहाज से) ऑर्डर 40% बढ़ा है। टियर-2 शहरों से डिमांड में 24% बढ़ोतरी देखने को मिली है। यूनिकॉमर्स के अनुसार टियर-2 और टियर-3 शहरों का मार्केट शेयर 60% के आसपास है।
महंगाई के बावजूद ज्यादा खर्च करना चाहते हैं लोग
त्योहारों में आगे बिक्री और बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। कंसल्टेंसी फर्म डेलॉय ने ‘ग्लोबल स्टेट ऑफ कंज्यूमर ट्रैकर’ सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि महंगाई के बावजूद हर वर्ग के लोग ज्यादा खर्च करने के लिए तैयार हैं। वे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और होम फर्निशिंग सामान खरीदना चाहते हैं। डेलॉय ट्रैकर के अनुसार अगस्त में किए गए सर्वे में 78% उपभोक्ताओं ने कहा कि वे अगले छह महीने में वाहन खरीदना चाहते हैं। इनमें से 84% ने कहा कि वे नई गाड़ी खरीदेंगे। लोग ट्रैवल और होटल स्टे पर भी ज्यादा खर्च करने को इच्छुक हैं।
RBI ने अपनी नई मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा है कि त्योहारी सीजन में शहरों में गैर-जरूरी चीजों की डिमांड बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। दूसरी छमाही में मांग और बढ़ने की उम्मीद है। कैपिटल गुड्स (मशीनरी) का आयात और घरेलू उत्पादन बढ़ना, स्टील और सीमेंट की खपत बढ़ना निवेश का माहौल बेहतर होने का संकेत है।