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Congress President Election: कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए चुनाव आज, शशि थरूर पर भारी मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव लिए 22 साल के अंतराल के बाद सोमवार को मतदान डाले जाएंगे। इस चुनावी मैदान में पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने- सामने हैं। पार्टी के इस पद के लिए मतदान सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक होगा।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 17 Oct 2022 05:41 AM (IST)
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सोमवार को होगा कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव। (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने के लिए देशभर के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि सोमवार को मतदान करेंगे, मतगणना बुधवार को होगी। आमने-सामने के मुकाबले में गांधी परिवार के करीबी मल्लिकार्जुन खड़गे फिलहाल शशि थरूर से आगे दिख रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान शशि थरूर कई बार चुनाव में समान अवसर नहीं दिए जाने की शिकायत कर चुके हैं। बुधवार को मतों की गिनती के बाद कांग्रेस को 24 वर्ष बाद गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष मिलेगा।

65 से अधिक बनाए गए मदान केंद्र

22 वर्ष बाद होने जा रहे कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय समेत पूरे देश में 65 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस की मौजूदा कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी मुख्यालय स्थित मतदान केंद्र पर मतदान करेंगी। वहीं, भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी कर्नाटक के बेल्लारी स्थित संगनाकल्लु में यात्रा कैंप में बनाए गए मतदान केंद्र पर मतदान करेंगे। राहुल के साथ ही उनके साथ यात्रा पर चल रहे 40 प्रतिनिधि भी अपना वोट डालेंगे।

शशि थरूर खेमे ने की थी शिकायत

शशि थरूर खेमे की शिकायत के बाद चुनाव में उम्मीदवार के साथ पसंद की प्राथमिकता के आधार पर एक या दो लिखकर मतदान की प्रक्रिया को बदल दिया गया है। दरअसल मतपत्र पर एक नंबर के सामने मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम है और नंबर दो के सामने शशि थरूर का। ऐसे में मतदान के दौरान उम्मीदवार के नाम के आगे एक या दो लिखने के विकल्प से मल्लिकार्जुन खड़गे को बढ़त मिलने की आशंका रहती। इसके बाद प्रतिनिधियों के उम्मीदवार के नाम के सामने 'सही' का निशान लगाने का विकल्प दिया गया है।

जी-23 बना रहा था पार्टी में लोकतंत्र बहाली का दवाब

2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे की वजह से कांग्रेस का अध्यक्ष पद खाली था और सोनिया गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। वहीं कांग्रेस के भीतर वरिष्ठ नेताओं का जी-23 ग्रुप पार्टी के भीतर अंदरूनी लोकतंत्र की बहाली के लिए दवाब बनाता रहा। इसी दबाव का नतीजा है कि आखिरकार कांग्रेस को चुनाव का एलान करना पड़ा। जाहिर है इसी चुनाव प्रक्रिया के दौरान जी-23 एक तरह से खत्म हो गया और उसके अधिकांश नेता नामांकन के दौरान खड़गे के साथ खड़े दिखे। वैसे इस दौरान उम्मीदवार के चयन के लिए सियासी सरगर्मी तेज रही।

अशोक गहलोत उत्तराधिकारी के रूप में हुए दौर से बाहर

अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उत्तराधिकारी के रूप में सचिन पायलट की राह रोकने की कोशिश में दौड़ से बाहर हो गए और अंतत: 80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे को मैदान में उतारा गया। लेकिन केरल से सांसद शशि थरूर ने मैदान में उतरकर मुकाबले को रोचक बना दिया। झारखंड के विधायक केएन त्रिपाठी ने पर्चा भरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की, लेकिन उनका नामांकन एक अक्टूबर को जांच के बाद खारिज कर दिया गया।

प्रचार के दौरान खड़गे का साथ दिखे अधिकांश प्रदेश अध्यक्ष

वैसे तो गांधी परिवार आधिकारिक रूप से दोनों उम्मीदवारों से समान दूरी बनाए रखने का दावा कर रहा है। लेकिन शशि थरूर लगातार चुनाव प्रचार में भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान अधिकांश प्रदेश अध्यक्ष व वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ खड़े दिखे और शशि थरूर के साथ चंद युवा प्रतिनिधि ही नजर आए। इसके बावजूद कांग्रेस में बदलाव के नाम पर शशि थरूर मतदान की अपील करते रहे।

गांधी परिवार का डीएनए और कांग्रेस का खून एक

गांधी परिवार के साथ दूरी की आशंका को खत्म करते हुए उन्होंने साफ किया कि गांधी परिवार का डीएनए और कांग्रेस का खून एक है। थरूर ने खड़गे को यथास्थितिवादी करार दिया। वहीं, खड़गे ने सभी को साथ लेकर और गांधी परिवार के मार्गदर्शन में कांग्रेस को मौजूदा हालात से बाहर निकालने का एलान किया। 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर के अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस के भीतर से नेता पैनी निगाह रखे हुए हैं। उनके लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष आने से कांग्रेस की कार्यशैली में बदलाव होगा या फिर यथास्थिति जारी रहेगी।

शशि थरूर की ताकत और कमजोरी

ताकत: लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीते हैं। तार्किक, करिश्माई और मुखर।- मध्यम वर्ग के बीच खासे लोकप्रिय।- संयुक्त राष्ट्र में काम किया है। मंत्री के रूप में भी कार्य का अनुभव।

कमजोरी: पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले जी-23 का हिस्सा रहे हैं।- गांधी परिवार के समर्थकों का समर्थन मिलने की संभावना कम।- हिंदी में बहुत अच्छे नहीं, विवादों से पीछा नहीं छूटता।

मल्लिकार्जुन खड़गे की ताकत और कमजोरी

ताकत : लंबा संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव, लगातार 10 बार चुनाव जीते। गांधी परिवार के प्रति वफादार, कांग्रेस में अग्रणी दक्षिण भारतीय चेहरा।- हिंदी ठीक ढंग से बोल सकते हैं।

कमजोरी : गुलबर्ग क्षेत्र के बाहर कोई चुनावी आधार नहीं। करिश्माई नेता के रूप में पहचान नहीं। पार्टी अध्यक्ष के रूप में गांधी परिवार से हो सकते हैं नियंत्रित।

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