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Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी का वह जुमला, जो आज भी लोगों को है याद; विपक्ष पर किया था कटाक्ष

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आजमगढ़ की तीन बार यात्रा की थी। शहर का जजी मैदान अटल बिहारी वाजपेयी की रैली का गवाह बना था। उस दौरान उनकी कही एक-एक बात उस समय के लोगों को याद है। अटल जी पहली बार 1964 में राष्ट्रीय स्तर पर जनसंघ की ओर से जजी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Wed, 16 Aug 2023 10:41 AM (IST)
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अटल बिहारी वाजपेयी का वह जुमला, जो आज भी लोगों को है याद; विपक्ष पर किया था कटाक्ष

संवाद सहयोगी, आजमगढ़: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आजमगढ़ की तीन बार यात्रा की थी। शहर का जजी मैदान अटल बिहारी वाजपेयी की रैली का गवाह बना था। उस दौरान उनकी कही एक-एक बात उस समय के लोगों को याद है।

अटल जी पहली बार 1964 में राष्ट्रीय स्तर पर जनसंघ की ओर से जजी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। जबकि दूसरी बार 1971-72 और तीसरी बार की 1993-94 की यात्रा पूरी तरह राजनीतिक थी, जिसमें भाजपा की प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर चर्चा हुई थी।

अटल बिहारी वाजपेयी 1993-94 में वाराणसी से आजमगढ़ में आए थे। वर्षों बाद किसी रैली में कई घंटे देर से पहुंचे थे। उस समय उन्हें देखने के लिए दलीय सीमाएं टूट गईं थीं। पूरे शहर में तिल रखने की जगह नहीं थी। उन्होंने कहा था कि उनकी उम्र बढ़ गई है।

वाराणसी से आजमगढ़ आते हुए यह समझ में नहीं पाए कि सड़क गड्ढे में है या गड्ढे में सड़क। उनका यह जुमला आज भी वाराणसी वाया आजमगढ़ होते हुए लुंबिनी तक एनएच-233 को देखकर हर जुबां पर आ जाता है।

पूर्व पीएम अटल जी का आजमगढ़ से रहा गहरा नाता

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आजमगढ़ से गहरा नाता रहा है। ब्लॉक बिलरियागंज के आजमपुर गांव निवासी जयप्रकाश मौर्य के बहनोई पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के चालक रहे। बहनोई के प्रयास से जयप्रकाश मौर्य दिल्ली तक पहुंचे।

लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात के बाद जयप्रकाश मौर्य पूर्व प्रधानमंत्री तक पहुंचे। उन्हें पहले घरेलू कार्य के रूप में नौकरी मिली। धीरे-धीरे ऐसा विश्वास बढ़ा कि निजी सेवक की तरह सारा निजी कार्य देखने लगे। बताते हैं कि विदेश मंत्री के बाद पीएम बनने पर भी अटल बिहारी वाजपेयी के साथ जयप्रकाश मौर्य साथ रहते थे।

यही कारण रहा कि उन्हें पीएमओ में नौकरी भी मिली। अटल जी बीमार हुए तो जयप्रकाश उनके निजी सेवक के रूप में कार्य करते रहे। हालांकि गांव आजमपुर में उनके बड़े भाई पप्पू मौर्य का परिवार यही रहता है लेकिन जयप्रकाश मौर्य अपने पूरे परिवार के अलावा भतीजों को भी दिल्ली में ही व्यवस्थित कर चुके हैं।