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नए भवन में न पहुंचा एसएनसीयू, जच्चा-बच्चा की बढ़ी मुसीबत

नहीं मिली एसएनसीयू हटाने को मंजूरीमहिलाओं व बच्चों की बढ़ी परेशानी

By JagranEdited By: Updated: Sun, 14 Aug 2022 10:27 PM (IST)
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नए भवन में न पहुंचा एसएनसीयू, जच्चा-बच्चा की बढ़ी मुसीबत

नए भवन में न पहुंचा एसएनसीयू, जच्चा-बच्चा की बढ़ी मुसीबत

संवादसूत्र, बलरामपुर : छह माह पहले जिला महिला अस्पताल से एसएनसीयू (सिक न्यू बार्न यूनिट) को हटाकर नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने के प्रस्ताव को अब तक नहीं मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसके चलते गर्भवती, धात्रियों व नवजात की परेशानी बढ़ गई है। भले ही महिला चिकित्सालय को जिला स्तरीय अस्पताल का दर्जा मिल गया है, लेकिन यहां सुविधाएं अब भी ब्लाक स्तरीय अस्पताल की ही मिल रही है। 30 बेड वाले इस अस्पताल में जिले के गंभीर स्थिति वाली प्रत्येक गर्भवती को प्रसव के लिए रेफर किया जाता है। पूरे माह में करीब 75 आपरेशन व 300 गर्भवती का प्रसव कराया जाता है। मरीजों व तीमारदारों की भीड़ के चलते अस्पताल की बिल्डिंग छोटी पड़ जाती है। खचाखच भरे अस्पताल में मरीजों व तीमारदारों को खड़े होने की जगह नहीं मिल पाती है। यही नहीं, इसी अस्पताल के ही पीछे हिस्से में एसएनसीयू का संचालन हो रहा है। यहां बच्चे को भर्ती कराने वाली महिलाओं को बाहर बैठकर इंतजार करना पड़ता है। इस परेशानी को देखते हुए जिला महिला अस्पताल की अधीक्षक डा.विनीता राय ने छह माह पहले अस्पताल से एसएनसीयू को हटाकर पीछे बनी नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती तो प्रसव समेत अन्य चिकित्सा सुविधाएं भी बेहतर से मिलती। साथ ही एसएनसीयू वार्ड के लिए भी पर्याप्त जगह मिल जाता है लेकिन यह प्रस्ताव शासन में जाकर लटक गया। नहीं मिली मंजूरी : सीएमएस डा.विनीता राय ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड को शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है। अस्पताल के लिए भवन छोटा पड़ने से मरीजों को भर्ती करने की जगह तक नहीं बचती। तीमारदारों को जमीन में ही लेटने की जगह नहीं मिल पाती है ।