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Ghaziabad: पहले भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े हुए 110 फ्लैट, उड़ाई गई नियमों की धज्जियां; अब जांच अधर में लटकी

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) अधिकारियों की नाक के नीचे जिले में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हुआ है। बिल्डर और प्राधिकरण अधिकारियों की मिलीभगत ने जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई। इसका खामियाजा रेजिडेंट्स आज तक भुगत रहे हैं। वैशाली सेक्टर-9 स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसायटी में बिल्डर ने पहले भ्रष्टाचार की नींव पर 110 फ्लैट खड़े किए। इस मामले में जांच भी अटकी हुई है।

By Vivek Tyagi Edited By: Sonu SumanUpdated: Fri, 01 Mar 2024 05:31 PM (IST)
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गाजियाबाद में पहले भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े हुए 110 फ्लैट, उड़ाई गई नियमों की धज्जियां।

विवेक त्यागी, गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) अधिकारियों की नाक के नीचे जिले में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हुआ है। बिल्डर और प्राधिकरण अधिकारियों के कॉकटेल ने जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई। इसका खामियाजा रेजिडेंट्स आज तक भुगत रहे हैं।

वैशाली सेक्टर-9 स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसायटी में बिल्डर ने पहले भ्रष्टाचार की नींव पर 110 फ्लैट खड़े किए। रेजिडेंट्स की शिकायत पर जीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए, लेकिन जांच अधर में लटकी हुई है। किनके कार्यकाल में अवैध फ्लैटों का निर्माण हुआ।

जांच कमेटी तीन माह में भी जिम्मेदारों के नाम नहीं पता लगा सकी है। दरअसल, बड़ी समस्या यह आ रही है कि जिस समयावधि में अवैध फ्लैटों का निर्माण हुआ। उस समयावधि में कौन-कौन उक्त सब-जोन में तैनात था। इसका रिकार्ड प्राधिकरण में नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है।

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वैशाली सेक्टर-9 स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसायटी में 110 फ्लैटों का निर्माण स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त अवैध रूप से होने के चलते सोसायटी की डीड आफ डिक्लेयरेशन में भी अड़ंगा लगा है। स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त बने फ्लैटों में रहने वाले लोग एओए के चुनाव में वोट नहीं डाल पाते हैं।

सुपरटेक एस्टेट प्रोजेक्ट का नक्शा स्वीकृत

स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त बनाए गए फ्लैटों को नियमित करने और उन्हें एओए चुनाव में मतदान का अधिकार दिलाने के लिए तीन माह पूर्व रेजिडेंट्स ने जीडीए में शिकायत की थी, जिसका संज्ञान लेकर जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह ने तुंरत जांच कमेटी बना दी थी। साल 2003-04 में सुपरटेक एस्टेट प्रोजेक्ट का नक्शा स्वीकृत किया गया था। 247 फ्लैट बनाने की अनुमति दी गई थी।

बिल्डर ने ग्रीन बेल्ट पर भी निर्माण कर दिया

इतने ही फ्लैट का संपूर्ण प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया था। इसके बाद बिल्डर से 247 बड़े फ्लैटों का विभाजन कर नियम विरूद्ध 357 फ्लैटों का निर्माण कर बेच दिए। स्वीकृत नक्शे के मुताबिक ग्रीन बेल्ट के लिए जितनी जमीन छोड़नी थी, उसे भी बिल्डर ने नियमानुसार नहीं छोड़ा और ग्रीन बेल्ट पर भी निर्माण कर दिया था।

बिल्डर ने संशोधित संपूर्ण प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया

खास बात यह है कि वर्ष 2009 में बिल्डर ने संशोधित संपूर्ण प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन उस वक्त जीडीए के अधिकारी व कर्मचारियों ने मिलीभगत होने के कारण बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय मामले का ठंडे बस्ते में डाल दिया। जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जांच कमेटी से पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। इसके लिए कमेटी को रिमाइंडर भेजा जाएगा।

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