Lok Sabha Elections: गाजियाबाद में दांव पर भाजपा की प्रतिष्ठा, साइकिल के सहारे कांग्रेस तलाश रही जीत
गाजियाबाद सीट पर इस बार भाजपा ने स्थानीय नेता अतुल गर्ग को सियासी अखाड़े में उतारा है। अब अतुल गर्ग के साथ-साथ भाजपा के स्थानीय नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर से डॉली शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है। 2019 के चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो गई थी। हालांकि इस बार कांग्रेस साइकिल के सहारे जीत तलाश रही है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को चुनाव के मैदान में उतार दिया है। हर राजनीतिक दल अपने प्रतिद्वंद्वी दल को चित करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से भारतीय जनता पार्टी ने शहर विधायक अतुल गर्ग को चुनावी मैदान में उतारा है तो कांग्रेस-सपा गठबंधन से डॉली शर्मा मैदान में हैं।
इस बार गाजियाबाद में बदले हुए समीकरण
बहुजन समाज पार्टी ने नए प्रत्याशी नंद किशोर पुंढीर पर दांव लगाया है। भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। यह गाजियाबाद शहर सीट से दो बार के विधायक हैं। कांग्रेस-सपा गठबंधन की प्रत्याशी डॉली शर्मा का यह दूसरा चुनाव है। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार गाजियाबाद लोकसभा संसदीय क्षेत्र में समीकरण बदले हुए हैं।
वर्ष 2009 से अस्तित्व में आई गाजियाबाद लोकसभा सीट से भाजपा ने बाहरी और दिग्गज नेताओं को ही चुनाव के मैदान में उतारा था। इस बार पार्टी स्थानीय नेता अतुल गर्ग को सियासी अखाड़े में उतारा है। भाजपा का स्थानीय संगठन भी काफी दिनों से लोकल प्रत्याशी की मांग कर रहा था। पार्टी ने इस बार उनकी यह मांग पूरी कर दी। अब अतुल गर्ग के साथ-साथ भाजपा के स्थानीय नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। इस बार भाजपा के साथ रालोद का गठबंधन है। यह गठबंधन भी इस चुनाव पर असर डालेगा।
2019 में डॉली शर्मा की जब्त हो गई थी जमानत
भाजपा प्रत्याशी के नामांकन में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति ने यह साबित कर दिया है कि यह सीट भाजपा के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। यही वजह कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए रोड शोर करने गाजियाबाद आ रहे हैं। केंद्र में सत्ता की वापसी के लिए कांग्रेस के लिए भी गाजियाबाद की सीट बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा के अलावा कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसने चार बार जीत का स्वाद चखा है। वर्ष 2019 पिछले चुनाव में डॉली शर्मा ने कांग्रेस के टिकट से मैदान में थी और उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी।
इसलिए इस बार चुनाव जीतना उनके लिए नाक का सवाल बन गया है। पिछले चुनाव में कांग्रेस सियासी रण में अकेले थी। इस बार कांग्रेस के साथ सपा का गठबंधन है। इससे कांग्रेस और सपा के कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है। कांग्रेस पार्टी भी चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। मतदाताओं के बीच अपना माहौल बनाने के लिए कांग्रेस की स्टार प्रचारक राहुल गांधी भी गाजियाबाद आ सकते हैं। पिछले चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन था और गाजियाबाद लोकसभा सीट सपा के खाते में आई थी।
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बसपा अकेले लड़ रही है चुनाव
सपा से सुरेश बंसल चुनाव के मैदान में थे और वे दूसरे नंबर पर आए थे। इस बार बसपा अकेले चुनाव के मैदान में है। बसपा ने इस बार नए चेहरे नंद किशोर पुंढीर को चुनाव के मैदान में उतारा है। बसपा ने अपने पुराने फार्मूले सोशल इंजीनियरिंग को अपनाते हुए ही नंद किशोर पुंढीर पर दांव लगाया है। इसके पीछे बसपा का मकसद साफ है कि वह भाजपा और कांग्रेस के कोर वोटरों पर सेंध लगा सके और अपनी जीत का मार्ग प्रशस्त कर सके। अब देखना यह है कि 26 अप्रैल को होने वाले मतदान में किस सियासी दल की रणनीति सफल हो पाती है।
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