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Gorakhpur: अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद कानाफूसी तेज, शिकायतकर्ता भी जा चुका है जेल; पहले भी पड़ चुके हैं छापे

प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक का कार्यालय महाप्रबंधक कार्यालय के सामने ही हैं। अगल-बगल कई विभागों के दफ्तर हैं। शाम को आफिस बंद होने के समय सीबीआइ छापा की जानकारी होते ही कार्यालयों में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने चुप्पी साध ली और मोबाइल फोन पर इस संबंध में कुछ भी बोलने से कतराने लगे। कर्मचारियों में देर शाम तक कानाफूसी होती रही। देररात तक लोग तरह-तरह के कयास लगाते रहे।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Wed, 13 Sep 2023 12:53 PM (IST)
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रेल अधिकारी केसी जोशी के घर सीबीआइ के छापे के दौरान दस्तावेज के साथ आवास पर आते-जाते लोग l जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर: विजिलेंस टीम ने 23 मार्च 2023 को गोरखपुर स्थित पूर्वोत्तर रेलवे के स्टोर डिपो और यांत्रिक कारखाने में छापेमारी की थी। दिल्ली से पहुंची छह सदस्यीय टीम देर शाम तक कार्यालयों का निरीक्षण कर संबंधित फाइलें खंगालकर साथ ले गई थी। मामले में स्टोर डिपो के अधिकारी का स्थानांतरण भी हुआ था।

स्टोर डिपो में जेम पार्टल पर सामान खरीद-बिक्री तथा लोकल खरीद में अनियमितता, किसी विशेष एजेंसी को लाभ पहुंचाने, रेलवे के वाहनों और उपकरणों के नाम पर हेराफेरी की शिकायत पर विजिलेंस टीम ने छापेमारी की थी।

शिकायत यह भी थी कि रेलवे अस्पताल में दवा की सप्लाई में एक कंपनी को विशेष लाभ पहुंचाया गया है। रेलवे के एक बड़े क्रेन को निष्प्रयोज्य बता प्राइवेट क्रेन को कार्य के लिए लगाया गया है। जेई के पदों पर पदोन्नति के लिए आयोजित परीक्षा में भी धंधली और लेनदेन का मामला सामने आया था।

यह भी पढ़ें: रेलवे में बड़े भ्रष्टाचार का होगा पर्दाफाश, पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारी 5 लाख के साथ गिरफ्तार

बंगला नंबर 23 पर पसरा रहा सन्नाटा

प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक के बंगला नंबर 23 पर सन्नाटा पसरा रहा। लग ही नहीं रहा था कि बंगले में कोई रहता है। सीबीआइ टीम आवश्यकतानुसार विभाग के संबंधित अधिकारियों और क्लर्कों को बुला रहे थे। रात नौ बजे के आसपास पूछताछ पूरी होने के बाद स्टोर डिपो के एक अधिकारी को वापस कर दिया। दस बजे के आसपास विभाग के पांच रेलकर्मियों को फाइल के साथ बंगले पर बुलाया, जो साढ़े दस बजे तक बाहर नहीं निकले थे।

गेट के सामने मीडिया के लोगों की भीड़ देखकर कुछ राहगीर रुक जा रहे थे, लेकिन रेलवे सुरक्षा बल के तैनात दो जवान उन्हें रुकने नहीं दे रहे थे। बंगले के सामने वाले रेलवे आवासों में हलचल थी, लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर बंगले के अंदर अंदर क्या चल रहा है। दिन से ही गाड़ियां बंगले के अंदर-बाहर हो रही हैं।

अधिकारियों ने साधी चुप्पी, कर्मचारियों में कानाफूसी

प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक का कार्यालय महाप्रबंधक कार्यालय के सामने ही हैं। अगल-बगल कई विभागों के दफ्तर हैं। शाम को आफिस बंद होने के समय सीबीआइ छापा की जानकारी होते ही कार्यालयों में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने चुप्पी साध ली और मोबाइल फोन पर इस संबंध में कुछ भी बोलने से कतराने लगे। कर्मचारियों में देर शाम तक कानाफूसी होती रही। देररात तक लोग तरह-तरह के कयास लगाते रहे।

शिकायतकर्ता भी रंगदारी मांगने में जा चुका है जेल

शिकायतकर्ता भी शहर के एक वरिष्ठ चिकित्सक से रंगदारी मांगने के मामले में जेल जा चुका है। दारोगा के साथ मिलकर चिकित्सक को झूठे मुकदमे में फंसाने की साजिश रचकर रुपये वसूलने का आरोप था। तत्कालीन एसपी सिटी की जांच के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

गोरखपुर में पहले भी पड़ चुका है CBI छापा

  • 19 फरवरी 2013: पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय स्थित स्क्रैप डिपो में CBI टीम ने छापेमारी की थी।
  • 01 मई 2014: दिल्ली से आई CBI टीम ने पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी निर्माण के कार्यालय में छापेमारी की थी।
  • 22 जनवरी 2016 : CBI ने पूर्वोत्तर रेलवे के निर्माण संगठन विभाग के एक डिप्टी चीफ इंजीनियर के चेंबर में छापेमारी की थी।
  • 08 आक्टूबर 2016 : CBI पूर्वोत्तर रेलवे के निर्माण संगठन विभाग में अनियमितता की जांच करने गोरखपुर पहुंची थी।
  • 15 फरवरी 2017 : CBI की टीम ने पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक व पूर्व मुख्य जनसंपर्क अधिकारी से पूछताछ की थी।