Health News: जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरस के खिलाफ किया जाएगा कॉकटेल डोज का परीक्षण, ऐसे करेगा काम
Health News कोविड वैक्सीन की काकटेल डोज के सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के निर्देश पर जेई (जापानी इंसेफ्लाइटिस) के काकटेल डोज के प्रभाव का भी अध्ययन होगा। सात राज्यों के नौ केंद्रों पर होने वाले इस अध्ययन में चीन में बनी एसए 14-14-2 वैक्सीन भारत की जेनवैक व जापान की जीव वैक्सीन शामिल होगी।
गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। कोविड वैक्सीन की काकटेल डोज के सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के निर्देश पर जेई (जापानी इंसेफ्लाइटिस) के काकटेल डोज के प्रभाव का भी अध्ययन होगा। सात राज्यों के नौ केंद्रों पर होने वाले इस अध्ययन में चीन में बनी एसए 14-14-2 वैक्सीन, भारत की जेनवैक व जापान की जीव वैक्सीन शामिल होगी।
यह अध्ययन 3,000 बच्चों पर किया जाएगा। नौ से 24 माह तक के बच्चों के नौ ग्रुप बनाए जाएंगे। गोरखपुर के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी अध्ययन होगा। मीडिया प्रभारी, आरएमआरसी, गोरखपुर डॅा.अशोक पांडेय ने बताया कि तीनों वैक्सीन प्रामाणिक हैं, इसलिए बच्चों पर इनका सीधे प्रयोग किया जाएगा। अध्ययन दो वर्ष चलेगा।
गलती ने संभावनाओं के नए द्वार खोले
दो वर्ष पहले कोविड संक्रमण के दौरान सिद्धार्थनगर में हुई गलती ने संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं। यहां कुछ लोगों को कोविड वैक्सीन की काकटेल डोज गलती से लग गई थी। जांच में उसके परिणाम काफी सकारात्मक मिले थे। आरएमआरसी, गोरखपुर ने आइसीएमआर को जेई वायरस के खिलाफ काकटेल डोज तैयार करने के लिए अध्ययन का प्रस्ताव भेजा था। देश में चीन का टीका अब नहीं मंगाया जा रहा है, इसलिए आरएमआरसी की मांग पर आइसीएमआर ने इसे सिर्फ अध्ययन के लिए चीन से मंगाने का निर्णय लिया है। भारत व जापान के टीके उपलब्ध हैं।
बच्चों की सुरक्षा का रखा जाएगा ध्यान
जेई का पहला टीका नौ से 12 माह और दूसरा टीका 16 से 24 माह के बच्चों को लगाया जाता है। बच्चों के नौ ग्रुप बनाए जाएंगे। तीनों वैक्सीन के लिए तीन ऐसे ग्रुप बनाए जाएंगे, जिसमें एक ही वैक्सीन की दोनों डोज दी जाएगी। अन्य ग्रुपों के बच्चों को अलग-अलग वैक्सीन की पहली व दूसरी डोज दी जाएगी। एक साल तक उनका फालोअप किया जाएगा।