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कर्ज न लौटाने पर फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंटों ने बेटे को बनाया बंधक, दंपती ने बेटी सहित दी जान

उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहां फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंटों के उत्पीड़न से दुखी होकर कर्ज में डूबे दंपती और उनकी 16 वर्षीय बेटी ने आत्महत्या कर ली। रिकवरी एजेंट किस्त जमा नहीं कर पाने को लेकर आए-दिन ग्रामीणों के सामने गाली-गलौज करने के साथ ही परिवार को धमकी दे रहे थे। इस घटना से सनसनी फैल गई है।

By Kesav Tyagi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Tue, 03 Sep 2024 07:36 AM (IST)
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बेटे को घर से उठाकर ले गए एजेंट तो माता-पिता व बहन ने चुनी मौत। फोटो - जागरण।

जागरण संवाददाता, हापुड़। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की थी कि फाइनेंस कंपनियों के रिकवरी एजेंट गुंडों के गिरोह की तरह काम करते हैं। इसके बावजूद रिकवरी एजेंटों की गुंडई कम नहीं होती दिख रही है।

ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के हापुड़ में सामने आया है। यहां फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंटों के उत्पीड़न से दुखी होकर कर्ज में डूबे दंपती व उनकी 16 वर्षीय बेटी ने जान दे दी। एजेंट किस्त जमा नहीं कर पाने को लेकर आए-दिन ग्रामीणों के सामने गाली-गलौज करने के साथ ही परिवार को धमकी दे रहे थे।

चार घंटे तक बनाए रखा था बंधक

घटना से एक दिन पूर्व रिकवरी एजेंटों ने दंपती के बेटे को अगवा कर चार घंटे तक बंधक बनाकर रखा था। इस मामले में अभी तक फाइनेंस कंपनी के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। एसपी ज्ञानंजय सिंह का कहना है कि तहरीर मिलने पर रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

गांव सपनावत के संजीव राणा के पुत्र रिंकू ने बताया कि वह गाजियाबाद में एमबीए की पढ़ाई कर रहा है, जबकि उसकी बहन पायल 11वीं की छात्रा थी। मां प्रेमवती, पिता व भाई पिंटू मेहनत मजदूरी करके घर का खर्च चला रहे थे।

10,308 रुपये प्रतिमाह थी किस्त

करीब पांच माह पूर्व पिता ने एमबीए में दाखिला के लिए मेरठ रोड स्थित फाइनेंस कंपनी से 3.50 लाख रुपये का लोन लिया था। इसके लिए उन्होंने अपना मकान गिरवी रखा था। इसकी 10,308 रुपये प्रतिमाह की किस्त तीन माह तक जमा की गई।

पिछले दो माह से वह आर्थिक तंगी के चलते किस्त जमा नहीं कर सके। इससे फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट आए-दिन उसके घर आकर किस्त जमा करने का दबाव बनाने लगे। कई बार ग्रामीणों के सामने गाली-गलौज कर पूरे परिवार को बेइज्जत भी किया।

इससे परेशान दंपती 15 दिन पहले उसके मामा के घर अलीगढ़ के इमरतपुर गए, ताकि लोन की किस्त का इंतजाम करके रिकवरी एजेंटों के उत्पीड़न से बचा जा सके। किस्त जमा करने में देरी होने पर प्रतिदिन 1,180 रुपये का जुर्माना लगाया जाता था।

रिंकू को घर से उठाकर बंधक बना लिया

इसी बीच 30 अगस्त को रिकवरी एजेंटों ने रिंकू को घर से उठाकर बंधक बना लिया और फोन कर किस्त नहीं देने पर बेटे को जेल भेजने की धमकी दी। दंपती के गिड़गिड़ाने पर करीब चार घंटे बाद उसे छोड़ा। 31 अगस्त की शाम माता-पिता व बहन घर पहुंचे तो रिंकू ने बताया कि एजेंटों ने किस्त जाम करने के लिए दो दिन का समय दिया है।

इससे परेशान रिंकू के पिता संजीव राणा, माता प्रेमवती और बहन पायल ने जहर खा लिया। घटना के वक्त रिंकू बच्चों को पढ़ाने के लिए कोचिंग सेंटर गया था। जबकि भाई पिंटू किसी काम के सिलसिले में जिला बुलंदशहर के गुलावठी गया था। स्वजन ने तीनों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया। जहां से उन्हें मेरठ के एक प्राइवेट अस्पताल रेफर कर दिया गया।

इस बीच संजीव राणा की मौत हो गई, जिनका स्वजन ने पोस्टमार्टम कराए बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया। इसके बाद रविवार देर रात पायल और सोमवार सुबह माता प्रेमवती की भी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद इन दोनों के शव शव का भी अंतिम संस्कार कर दिया गया।

क्या बोले जिम्मेदार?

इस बात की जानकारी अभी नहीं मिली है। संजीव राणा के पुत्रों से जानकारी ली जाएगी। पीड़ित पक्ष की तहरीर मिलने पर ही मामले में आगे की कार्रवाई हो सकेगी। - ज्ञानंजय सिंह, एसपी