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Ahmedabad Bomb Blast 2008: कंचे खेलता शकील कब बम से खेलने लगा नहीं चला पता

2008 Ahmedabad Bomb Blasts Case Verdict अहमदाबाद सीरियल बम धमाकों में शुक्रवार को अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने 38 आरोपितों को फांसी की सजा सुनाई है। इनमें बुलंदशहर बिजनौर और मेरठ के भी एक-एक दोषी को मिली फांसी की सजा।

By Taruna TayalEdited By: Updated: Fri, 18 Feb 2022 10:10 PM (IST)
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2008 Ahmedabad Bomb Blast Case: अहमदाबाद सीरियल बम धमाकों में बुलंदशहर, मेरठ व बिजनौर के आरोपितों को भी मिली सजा

मेरठ, जागरण टीम। Ahmedabad Serial Bomb Blast Case 2008 अहमदाबाद सीरियल बम धमाकों में शुक्रवार को अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने 38 आरोपितों को फांसी की सजा सुनाई है। इनमें बुलंदशहर, मेरठ व बिजनौर के भी एक-एक आरोपित हैं। तीनों ही दोषियों का परिवार वर्षों पहले संबंधित जिलों से चला गया था। गांवों में इनके मकान खंडहर पड़े हैं।

कंचे खेलता शकील कब बम से खेलने लगा नहीं चला पता

बुलंदशहर में औरंगाबाद थानाक्षेत्र के गांव लोहरका निवासी शकील पुत्र यामीन भी फांसी की सजा सुनाई गई है। ग्रामीणों ने बताया कि तीस साल पहले शकील का परिवार गांव छोड़कर दिल्ली के संगम विहार में जा बसा था। बुजुर्ग ग्रमीणों ने कहा कि हमने तो शकील को गलियों में कंचे खेलता देखा था। कंचे खेलने वाला शकील कब बम से खेलने लगा, इसका किसी को इल्म तक नहीं हुआ। शकील तीन भाई हैं। इसमें शकील सबसे बड़ा है। शकील ने दिल्ली से ही ग्रेजुएशन किया है। इस समय गांव में शकील का मकान खंडहर बन गया है। शकील का चाचा हसमुद्दीन भी औरंगाबाद में रहता है। हसमुददीन से शकील के बारे में बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने बात करने से इन्कार कर दिया।

ब्लास्ट से पहले ही शहर छोड़ गया था तनवीर का परिवार

बिजनौर में नजीबाबाद के मोहल्ला पठानपुरा निवासी मोहम्मद तनवीर को भी फांसी की सजा सुनाई गई है। सीरियल ब्लास्ट से पहले ही तनवीर का परिवार शहर छोड़ गया था। इसके बाद से तनवीर जेल में ही है। इसका परिवार अब कहां हैं, कोई नहीं जानता। थाने में भी तनवीर का कोई रिकार्ड नहीं है। मोहल्ले के कुछ लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि तनवीर बम धमाकों से पहले ही काम करने के लिए गुजरात गया था। कुछ दिनों बाद उसका परिवार भी चला गया। तनवीर नजीबाबाद में कारपेंटर का काम करता था। वह अपराधिक प्रवृत्ति का था, नशे का भी आदी था। ब्लास्ट से पहले वह अहमदाबाद गया था। धमाकों के बाद उसे अहमदाबाद से ही दबोच लिया गया था।

42 साल पहले गांव छोड़ गया था जियाउर रहमान का परिवार

मेरठ के परीक्षितगढ़ थाना क्षेत्र के अगवानपुर निवासी जियाउर रहमान भी दोषियों में शामिल है। जियाउर रहमान का परिवार 42 साल पहले गांव छोड़कर दिल्ली के ओखला चला गया था। 22 वर्षीय जियाउर रहमान को भी जामिया दिल्ली से गिरफ्तार किया था। अगवानपुर गांव में जियाउर रहमान के चाचा फजलुर्रहमान मजार पर रहते हैं। उनका कहना है कि जियाउर रहमान के पिता अब्दुल रहमान लोक निर्माण विभाग में तैनात थे। रिटायर होने के बाद 1975 में उनका परिवार अगवानपुर से दिल्ली चला गया था। 1980 में परिवार के लोगों ने अपना पुश्तैनी मकान भी बेच दिया था। दिल्ली में पढ़ाई करते समय ही जियाउर रहमान को गिरफ्तार किया गया था।