Gyanvapi Case: ASI की सर्वे रिपोर्ट पर मस्जिद पक्ष का बड़ा बयान, यह किसी अदालत का फैसला नहीं...
Gyanvapi Case अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के संयुक्त सचिव का कहना है कि एएसआइ ने अपनी ख्याति के अनुरूप ही रिपोर्ट दी है। यह तो सिर्फ रिपोर्ट है किसी अदालत का फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट लगभग 839 पन्नों की है। इसके अध्ययन में समय लगेगा और विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। इसके बाद उच्च अदालतों में विचार के लिए ले जाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के सर्वे में हिंदू मंदिर होने के स्पष्ट प्रमाण मिलने के बीच अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद (मस्जिद पक्ष) के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि यह रिपोर्ट है, अदालत का फैसला नहीं। इस रिपोर्ट के अध्ययन और विश्लेषण में समय लगेगा। अंजुमन इंतेजामिया विशेषज्ञों की राय लेकर इस प्रकरण पर उच्च अदालत में जाने का विचार बना लिया है।
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के संयुक्त सचिव का कहना है कि एएसआइ ने अपनी ख्याति के अनुरूप ही रिपोर्ट दी है। यह तो सिर्फ रिपोर्ट है, किसी अदालत का फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट लगभग 839 पन्नों की है। इसके अध्ययन में समय लगेगा और विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। इसके बाद उच्च अदालतों में विचार के लिए ले जाया जाएगा। यासीन ने कहा कि यह मस्जिद 804-42 हिजरी में जौनपुर के रईस मुत्तकी ने बनवाई थी।
यानी अकबर से लगभग 150 वर्ष पहले से मुसलमान वहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं। आगे भी पढ़ते रहेंगे। हम प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991 के आधार पर इस मुकदमे को लड़ रहे हैं। आगे भी लड़ते रहेंगे। इतिहास की बात करें तो हम सैकड़ों साल से वहां नमाज पढ़ रहे हैं। हमारी जिम्मेदारी मस्जिद को आबाद रखने की है। सब्र से काम लेना होगा। हमारे मुल्क में चंद लोग हैं, जो मुसलमान व मुसलमानों के किसी तरह के अधिकार को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।
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