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Gyanvapi Case: तहखाने के नीचे मंदिर का सही इतिहास... ज्योर्तिलिंग आदिविश्वेश्वर के बारे में रहस्यमयी बातें आएंगी सामने

Gyanvapi एएसआइ ने स्पष्ट किया है कि मस्जिद से पहले यहां पर बहुत बड़ा हिंदू मंदिर था। 839 पेज की सर्वे रिपोर्ट में कई जानकारी दी है जिसमें से एक जीपीआर सर्वे हिंदू मंदिर की प्राचीनता का राज खोल रहा है। मंदिर के छह मीटर नीचे एक बड़े फर्श के बारे में पता चला है लेकिन ये किस सामग्री से बनाया गया है यह अभी पता नहीं चल पाया है।

By Narender Sanwariya Edited By: Narender Sanwariya Updated: Mon, 29 Jan 2024 07:00 AM (IST)
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Gyanvapi Case: तहखाने के नीचे मंदिर का सही इतिहास... (File Photo)

जागरण संवाददाता, वाराणसी। डेढ़ साल पहले बनारस के बभनियांव गांव में जमीन के नीचे दफन शिवलिंग मिले थे। बीएचयू के आर्कियोलाजिस्ट एवं प्राचीन इतिहास विभाग के प्रो. अशोक कुमार सिंह कहते हैं कि गांव में जिस पैटर्न पर खोदाई हुई थी, उसे अगर ज्ञानवापी में भी अपनाया जाए तो संभव है कि तहखाने के नीचे मंदिर का सही इतिहास पता चल सके।

मंदिर का इतिहास

गांव में एक ट्रेंच लेकर खोदाई की गई तो पहले वहां पर पांच सौ साल पुरानी वस्तुएं मिलीं। फिर खोदाई किए जाने पर एक हजार साल पुरानी, इसके बाद 15 सौ साल और दो हजार साल प्राचीन वस्तुएं और पूजा की सामग्री, मंदिर की दीवार, प्रदक्षिणा पथ आदि मिले थे। जितने नीचे खोदाई की गई, उसी तरह मंदिर का इतिहास भी बदलता गया।

ज्ञानवापी में तहखाने के नीचे मंदिर का इतिहास

ज्ञानवापी के मसले पर जितना नीचे जाएंगे, ज्योर्तिलिंग आदिविश्वेश्वर के बारे में उतनी ही रहस्यमयी बातें सामने आएंगी। प्रो. अशोक कहते हैं कि ज्ञानवापी में तहखाने के नीचे मंदिर का इतिहास उत्खनन के जरिए पता किया जा सकता है। एएसआइ सर्वे में ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे भी कुछ यही इशारा कर रहे हैं। मंदिर के तहखाने के नीचे बड़ा फर्श है। उसके तीन मीटर नीचे भी कुछ ऐसा ही आकार दिखाई पड़ा है।

मंदिर का इतिहास गुप्त काल का

ज्ञानवापी के नीचे मंदिर के दो पुराने फ्लोर भी हैं। तहखाना और एक कुआं भी है, लेकिन यहां आज तक कोई पहुंच नहीं पाया है। जीपीआर सर्वे के मुताबिक, मंदिर का इतिहास गुप्त काल का है। उत्तरी हाल में सर्वे किया गया, यहां नीचे फ्लोर पर कोई बड़ा छिद्र है। फर्श पर मोर्टार यानी कि कोई ठोस चीज का काफी जमाव है, इसके और नीचे आयताकार स्थान है, इसका एक हिस्सा खुला हुआ है। दरवाजा दक्षिण की ओर खुलता है।

पुरातात्विक साक्ष्य

मंदिर के दक्षिणी गलियारे में 4-6 मीटर नीचे जाने पर ऐसा है। ठीक ऐसा ही उत्तरी गलियारे की ओर एक आकार तहखाने से तीन मीटर नीचे है। जहां कहीं भी यदि पुरातात्विक साक्ष्य मिलते हैं तो उनके हर एक मीटर नीचे जाने पर पूरी की पूरी शताब्दी बदलती जाती है। हम समय में पीछे चलते जाते हैं।

सर्वे हिंदू मंदिर की प्राचीनता का राज खोल रहा

एएसआइ ने स्पष्ट किया है कि मस्जिद से पहले यहां पर बहुत बड़ा हिंदू मंदिर था। 839 पेज की सर्वे रिपोर्ट में कई जानकारी दी है, जिसमें से एक जीपीआर सर्वे हिंदू मंदिर की प्राचीनता का राज खोल रहा है। मंदिर के छह मीटर नीचे एक बड़े फर्श के बारे में पता चला है, लेकिन ये किस सामग्री से बनाया गया है। किस राजवंश और सटीक किस साल में बना है, यह अभी पता नहीं चल पाया है।

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