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China-Taiwan: ताइवान पर कब्जा करने की लगातार कोशिश में चीन, 38 युद्धक विमान उड़ाकर फिर दी 'चेतावनी'

चीन ताइवान पर कब्जा करना चाहता है। इसके लिए लगातार कोशिश की जा रही है। हाल में चीन के 38 लड़ाकू ताइवान के पास से निकले हैं। इसे लेकर ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी किया है। पांच एसयू-30 और दो जे-16 विमान भी शामिल थे।

By Jagran NewsEdited By: Gurpreet CheemaUpdated: Fri, 28 Apr 2023 09:00 AM (IST)
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चीन ने ताइवान के ऊपर से 38 लड़ाकू विमान और अन्य युद्धक विमानों को उड़ाया।

ताइपे, एजेंसी। चीन लगातार ताइवान पर कब्जा करने के लिए अलग-अलग गतिविधियां करने में लगा हुआ है। अब हाल ही में इसे लेकर ताइवान के रक्षा मंत्रालय का भी बयान सामने आया है। इसमें कहा गया है कि चीन की सेना ने ताइवान के पास से करीब 38 लड़ाकू विमान और अन्य युद्धक विमानों को निकाला है।

ऐसा भी कहा गया है कि चीन के लंबे समय से चल रहे युद्ध अभियास के बाद ये विमान पहली बार ताइवान के इतने करीब देखे गए हैं।

नौसेना के छह जहाज भी देखे गए

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि स्वशासित द्वीप लोकतंत्र के खिलाफ चीन की तरफ से किए जा रहे लगातार प्रयासों के बीच शुक्रवार को नौसेना के छह जहाज भी देखे गए हैं। बता दें कि बीजिंग इसे अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दावा करता है।

मंत्रालय की ओर से ये भी कहा गया कि करीब 19 विमानों ने द्वीप को अलग करने वाली ताइवान की मिडलाइन से भी उड़ान भरी है। इसमें कहा गया है कि इनमें पांच एसयू-30 और दो जे-16 विमान शामिल हैं। साथ ही इनमें एक ड्रोन और एक टीबी-001 ने द्वीप की भी परिक्रमा की।

अमेरिकी संसद के स्पीकर से मीटिंग के बाद बौखलाया चीन

इससे पहले ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और यूएस हाउस स्पीकर केविन मैक्कार्थी के बीच 5 अप्रैल को एक बैठक हुई थी। इस दौरान ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा था कि उनका द्वीप अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग नहीं था।

उन्होंने इस दौरान लोकतंत्र के खतरे में होने को लेकर भी कही थी। इस बैठक के बाद चीन की ओर से द्वीप को सील तक करने की कोशिश की गई थी। इससे दोनों देशों में आधिकारिक रूप से आदान-प्रदान की संभालवनाएं खत्म हो गई थीं।

करीब 70 सालों तक चीन ने ताइवान पर शासन किया। अब इतने साल शासन करने के बाद चीन ताइवान को अपना हिस्सा ही मानता है। इसीलिए चीन की तरफ से इस पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि ताइवान खुद को एक संप्रभु राज्य मानता है, जबकि चीन इसे अपने देश के एक टूटे हुए प्रांत के रूप में देखता है।