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Pakistan: मानवाधिकार आयोग ने ईसाई परिवार पर हमले की निंदा की, कहा- हिंसा के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत

यह पिछले महीने एक भीड़ के हमले के मद्देनजर आया है जहां नजीर मसीह के परिवार पर ईशनिंदा के आरोप में हमला किया गया था। मामला 25 मई का है। मजाहिद कॉलोनी में एक छोटी जूता फैक्ट्री के मालिक नजीर मसीह और उनके बेटे सुल्तान मसीह पर कुरान के पन्नों का अपमान करने साथ ही कुरान के पन्नों को अपने कारखाने के सामने फेंकने का आरोप लगाया गया।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Tue, 18 Jun 2024 10:30 PM (IST)
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एचआरएफपी ने सरगोधा की घटना में शामिल 52 हमलावरों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत पर चिंता व्यक्त की है।
एएनआई, फैसलाबाद (पाकिस्तान)। ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान (एचआरएफपी) ने ईसाइयों के खिलाफ धार्मिक उत्पीड़न की परेशान करने वाली घटनाओं को उजागर करते हुए एक विस्तृत तथ्य-खोज रिपोर्ट प्रकाशित की है। एचआरएफपी एक समूह है जो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, महिलाओं और हाशिए के समुदायों की आवाज उठाता है।

यह पिछले महीने एक भीड़ के हमले के मद्देनजर आया है, जहां नजीर मसीह के परिवार पर ईशनिंदा के आरोप में हमला किया गया था। मामला 25 मई का है। मजाहिद कॉलोनी में एक छोटी जूता फैक्ट्री के मालिक नजीर मसीह और उनके बेटे सुल्तान मसीह पर कुरान के पन्नों का अपमान करने साथ ही कुरान के पन्नों को अपने कारखाने के सामने फेंकने का आरोप लगाया गया।

इन आरोपों से कई व्यक्तियों, मौलवियों और इस्लामी छात्रों को उकसाने का काम किया। गुस्साए लोगों ने मसीह परिवार पर हमला बोल दिया। उनके व्यवसाय और घर में तोड़फोड़ कर दी। पीड़ितों के अनुसार, कुरान के पन्ने जानबूझकर उनके कारखाने के सामने बिखेरे गए थे। आरोप लगाने वालों ने हमला करने के लिए तेजी से भीड़ जुटाई।

भीड़ के हमले से नज़ीर मसीह, सुल्तान मसीह और उनके परिवार गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें एम्बुलेंस द्वारा अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन वहां पर भी भीड़ ने वाहन पर हमला कर दिया। जिसके बाद नज़ीर मसीह ने दम तोड़ दिया। हत्या निराधार ईशनिंदा के आरोपों के कारण हुई है।

इस मामले में एचआरएफपी ने सरगोधा की घटना में शामिल 52 हमलावरों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। आतंकवाद निरोधक अधिनियम (एटीए) 1997 और पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) के तहत 44 पहचाने गए और 400 अज्ञात संदिग्धों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज किए जाने के बावजूद, पुलिस जांच और अदालती कार्यवाही सुस्त रही।