सच से ज्यादा असरकारी झूठ, नक्कारखाने में तूती की तरह हो गई है हालत
आप कह सकते हैं कि सच की हालत नक्कारखाने में तूती की तरह हो गई है। इसी बात को थोड़ा और पुख्ता तरीके से समझाने के लिए एक शायर ने लिखा है मैं सच बोलकर भी हार जाऊंगा और वह झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा। आप जहां तक संभव हो सके अपने खाली समय में लोगों को ज्यादा से ज्यादा झूठ बोलने के लिए प्रेरित करिए।
रंगनाथ द्विवेदी। भारतीय क्रिकेट की लीग यानी आइपीएल की तरह से ही अब झूठ बोलने वाले व्यक्तियों के लिए भी कोई लीग आयोजित करने की जरूरत है। इससे हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों से एक से बढ़कर एक योग्य झूठ बोलने वाली प्रतिभाएं निकल कर हमारे सामने आएंगी। इनका उपयोग राजनीतिक दल और विभिन्न देसी-विदेशी कंपनियां कर सकेंगी, क्योंकि दोनों को ही बड़े-बड़े दावे करने पड़ते हैं। प्रायः ये दावे झूठे ही साबित होते हैं। देसी-विदेशी कंपनियां बढ़-चढ़कर दावे करके अपने घटिया से घटिया उत्पाद को भी खरीदने के लिए उपभोक्ताओं की गाढ़ी कमाई उनकी जेब से बाहर निकलवाने में माहिर हैं। इसका उदाहरण आप यत्र–तत्र–सर्वत्र देख सकते हैं। फेस क्रीम और फेस वाश बनाने वाली कंपनियां सवा महीने में महिलाओं के खूबसूरत और गोरी हो जाने का दावा इतनी दमदार तरीके से करती हैं कि फिर उस क्रीम को अपने चेहरे पर लगाने का मोह महिलाएं कई वर्षों तक नही त्याग पातीं।
हमें यह भी पता है कि कैसे कुछ लोगों और खासकर नेताओं को झूठ के सहारे दिन दूनी और रात चौगुनी सफलता मिलती है। आज झूठ सच से ज्यादा असरकारी है। अगर झूठ बोलने से सफलता मिलने की यही स्थिति रही तो एक दिन सच बोलने वाले शायद चिराग लेकर ढूंढ़ने से भी नहीं मिलेंगे। मोबाइल फोन के इस जमाने में शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे झूठ न बोलना पड़ता हो। कभी किसी को पार्क में टहलते हुए भी यह कहना पड़ता है कि वह मीटिंग में है और कभी यह कि आपकी आवाज ही नहीं आ रही है। कभी यह कहकर टरकाया जाता है कि मैं अभी दस मिनट में आप को फोन करता हूं। ये दस मिनट कई बार दस दिन बीत जाने के बाद भी नहीं आते। झूठ बोलने के मामले में एकछत्र राज केवल पुरुषों का ही नहीं है। महिलाएं भी झूठ बोलने के मामले में पुरुषों के कान काट रही हैं। हालत यह है कि कहीं- कहीं पुरुष इस मामले में महिलाओं से उन्नीस पड़ रहे हैं। कुछ झूठ पर तो महिलाओं का इतना अधिकार है कि कुछ पूछिए मत। अगर आपको विश्वास न हो तो कभी किसी महिला से उसकी उम्र पूछकर देखिए।
आज झूठ का भविष्य सच से कहीं ज्यादा उज्ज्वल है। एक तरह से आप कह सकते हैं कि सच की हालत नक्कारखाने में तूती की तरह हो गई है। इसी बात को थोड़ा और पुख्ता तरीके से समझाने के लिए एक शायर ने लिखा है, "मैं सच बोलकर भी हार जाऊंगा और वह झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा।" आप जहां तक संभव हो सके, अपने खाली समय में लोगों को ज्यादा से ज्यादा झूठ बोलने के लिए प्रेरित करिए। पहले हमारे देश के लोग कहते थे कि पढ़ोगे-लिखोगे होगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे होगे खराब, लेकिन आज खेलने वाले कहां से कहां पहुंच जा रहे। वे करोड़ों में बिक रहे हैं। इसलिए बदलते समय को पहचानिए और अपनी दिनचर्या में झूठ को भी शामिल करिए, क्योंकि पता नहीं कब बीते कल का झूठ आने वाले कल की हकीकत बन जाए।
मैं 2024 में झूठ बोलने की लीग शुरु होने की पैरवी इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि इसी वर्ष लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे समय में हमारे नेताओं द्वारा उच्च क्वालिटी के झूठ बोले जाते हैं। अब तो उन्हें घोषणा पत्र का हिस्सा बनाने में भी संकोच नहीं किया जाता। चुनाव जीतने के बाद हवा- हवाई वायदों को पूरा करने से बचने के लिए भी कुछ ऐसा कहकर झूठ ही बोला जाता है कि हमारा मतलब यह नहीं, वह था। यह भी कहा जाता है कि हम पांच साल के लिए सत्ता में आए हैं, इसलिए कम से कम चार साल तो इंतजार करिये। चुनाव जीतने के लिए झूठ बोलने की समस्त विधाओं का प्रयोग किया जाता हैं। ऐसा ही प्रयोग अदालतों में किया जाता है। अदालत में झूठे गवाह पेश करना आम हो गया है। इसी तरह कई बार गवाह पहले कही गई अपनी बात से मुकर जाते हैं। एक तरह से वे या तो पहले झूठ बोल रहे होते हैं या बाद में। किसी गवाह के अपनी बात से पीछे हट जाने पर यह नहीं कहा जाता कि वह झूठा था, बल्कि यह कहा जाता है कि वह मुकर गया। ऐसा कहकर एक तरह से झूठ को सम्मान ही दिया जाता है।