अशांत मणिपुर, राज्य और केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी हिंसक तत्वों पर नहीं लग पा रही लगाम
यह सामान्य बात नहीं कि उग्रवादी सुरक्षा बलों पर भी हमला करने में हिचक नहीं रहे हैं। उन्होंने जिस तरह पुलिस के हथियार लूटे वह दुस्साहस की पराकाष्ठा है। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि कुछ लूटे गए हथियार वापस किए गए हैं।
मणिपुर में हिंसा का सिलसिला न थमना गंभीर चिंता की बात है। मणिपुर मे हिंसा जारी रहते हुए एक माह से अधिक का समय बीत गया है। इस हिंसा में सौ से अधिक लोग मारे गए हैं और 50 हजार से अधिक लोग बेघर हुए हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहना कठिन है कि अपना घर-बार छोड़ने को मजबूर लोग कब तक अपने घरों को लौट सकेंगे। यह आसान नहीं, क्योंकि ऐसे अधिकांश लोगों के घर जला दिए गए हैं। हालांकि पीड़ितों में मैती और कुकी, दोनों समुदाय के लोग हैं, लेकिन वे एक-दूसरे पर आरोप लगाकर खुद को निर्दोष बता रहे हैं।
इससे बात बनने वाली नहीं है, क्योंकि सच यह है कि दोनों पक्षों की ओर से हिंसा की गई है। मणिपुर के अशांत-अस्थिर बने रहने का एक कारण म्यांमार के कुकी उग्रवादियों का राज्य में दखल भी है। इसे हर हाल में समाप्त करना होगा। यह ठीक नहीं कि राज्य और केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी हिंसक तत्वों पर लगाम नहीं लग पा रही है। वे जिस तरह रह-रह कर हत्या और हिंसा करने में सक्षम हैं, उससे यही स्पष्ट होता है कि सुरक्षा बलों और सेना की तैनाती के बाद भी उनका दुस्साहस कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
यह सामान्य बात नहीं कि उग्रवादी सुरक्षा बलों पर भी हमला करने में हिचक नहीं रहे हैं। उन्होंने जिस तरह पुलिस के हथियार लूटे, वह दुस्साहस की पराकाष्ठा है। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि कुछ लूटे गए हथियार वापस किए गए हैं, क्योंकि हिंसक तत्व अभी भी घातक हथियारों से लैस हैं। वास्तव में वे उन्हीं के बल पर हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
मणिपुर में कुकी और मैती समुदाय के बीच वैमनस्य किस हद तक बढ़ गया है, इसका पता इससे चलता है कि राज्यपाल की अध्यक्षता वाली शांति समिति के जरिये सद्भाव कायम करने के प्रयास भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। कुकी समुदाय को इस पर आपत्ति है कि मुख्यमंत्री को शांति समिति में क्यों शामिल किया गया? आखिर राज्य के मुख्यमंत्री को शांति-सद्भाव कायम करने की किसी पहल से बाहर कैसे रखा जा सकता है? जो भी हो, शांति समिति में मुख्यमंत्री की भागीदारी का विरोध यही बताता है कि कुकी उन पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।
इन स्थितियों में यह आवश्यक हो जाता है कि केंद्र सरकार राज्य में अपनी सक्रियता बढ़ाए। यह ठीक है कि केंद्रीय गृहमंत्री ने मणिपुर में तीन दिनों तक रहकर वहां के हालात काबू में करने की कोशिश की, लेकिन परिस्थितियां यही बयान कर रही हैं कि केंद्र सरकार को वहां और सक्रियता दिखाने की आवश्यकता है। मणिपुर में मैती और कुकी समुदाय के आपसी वैमनस्य को दूर करने के साथ ही उसके कारणों का निवारण भी किया जाना चाहिए, क्योंकि वहां रह-रहकर हालात बिगड़ते रहते हैं।