यह अच्छा है कि सरकार और उद्योग जगत मिलकर कुशल मानव संसाधन तैयार करने जा रहे हैं। इसके लिए कौशल विकास मंत्रालय ने मानव संसाधन क्षेत्र की विश्व की जानी-मानी संस्था सोसायटी फार ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट यानी एसएचआरएम के साथ एक अध्ययन शुरू किया है। आशा की जाती है कि इस अध्ययन के उपरांत ऐसे कदम उठाए जाएंगे, जिनसे उद्योग जगत को वैसे हुनरमंद युवा अवश्य मिल सकेंगे, जैसे उसे चाहिए।

इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि उद्योग जगत को वैसे प्रशिक्षित और अपने काम में दक्ष कर्मी नहीं मिल पाते, जो उसकी जरूरत को पूरा करने में समर्थ हों। इसका प्रमाण यह है कि देश के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में अनेक कारखानों के बाहर कुशल कर्मियों की आवश्यकता वाली सूचनाएं चस्पा होती हैं। कौशल विकास मंत्रालय को उन कारणों का निवारण करने के लिए तत्पर रहना चाहिए, जो ऐसी सूचनाओं के लिए जिम्मेदार हैं। इस तथ्य से इनकार नहीं कि देश में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं पैदा हो रहे हैं, लेकिन इसी के साथ एक सच्चाई यह भी है कि उद्योग जगत को जैसे हुनरमंद कर्मी चाहिए, उनका उसे अभाव दिखता है। इसका एक बड़ा कारण यही है कि अपने देश में बड़ी संख्या में छात्र डिग्री-डिप्लोमा लेकर तो निकल रहे हैं, लेकिन वे किसी कौशल से लैस नहीं होते। यही स्थिति केवल इंटरमीडिएट तक पढ़ाई करने वाले छात्रों की भी होती है। कौशल के अभाव के कारण उन्हें रोजगार पाने में कठिनाई होती है। यह कठिनाई इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि सरकारी नौकरियां कम हो रही हैं।

अब जब कौशल विकास मंत्रालय उद्योग जगत के साथ मिलकर कुशल मानव संसाधन तैयार करने की रणनीति बना रहा है, तब फिर इसकी समीक्षा भी आवश्यक है कि राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और ऐसे ही अन्य कार्यक्रम वांछित परिणाम क्यों नहीं दे सके? कहीं इसका कारण यह तो नहीं कि अभी तक सरकार उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श तक सीमित रहती थी? जो भी हो, यह एक सही रणनीति है कि अब अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों के मानव संसाधन विभाग के लोगों से मिलकर उनकी जरूरतों को समझा जाएगा। इसके अतिरिक्त एसएचआरएम की रिपोर्ट के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे।

उचित यह होगा कि छात्रों को स्कूलों में ही कौशल विकास से लैस करने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाए, ताकि पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें नौकरी तलाशने के दौरान अलग से कौशल विकास का प्रशिक्षण न लेना पड़े। चीन ऐसा ही करता है। यदि वह विश्व का कारखाना बना हुआ है तो इसलिए भी कि उसके पास हर क्षेत्र की कंपनियों के लिए कुशल कर्मी हैं। यह सही समय है कि अपने देश में इस पर भी विचार किया जाए कि जो लाखों छात्र प्रतिवर्ष बीए, एमए आदि की डिग्री लेकर निकलते हैं, उन्हें किसी कौशल से कैसे लैस किया जाए।