प्रधानमंत्री ने दिल्ली में नेशनल कैडेट कोर यानी एनसीसी की रैली को संबोधित करते हुए यह जो कहा कि कभी बेटियों की भागीदारी केवल सांस्कृतिक आयोजनों तक सीमित रहती थी, लेकिन आज भारत की बेटियां जल, थल, नभ और अंतरिक्ष में भी अपनी क्षमता का लोहा मनवा रही हैं, वह वर्तमान का यथार्थ भी है और बदलते भारत की नई तस्वीर भी। इसकी एक झलक गणतंत्र दिवस पर भी देखने को मिली थी।

75वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर निकली परेड में पहली बार तीनों सेनाओं की महिला सैनिकों के दल ने भागीदारी की। यह भी उल्लेखनीय है कि जब कर्तव्य पथ पर नारी शक्ति की ओर से अपनी सामर्थ्य का परिचय दिया जा रहा था, तब सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु परेड की सलामी ले रही थीं। गत दिवस एनसीसी की वार्षिक रैली में भी यह दिखा कि नारी शक्ति कैसे हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही है। इस रैली में 24 देशों के कैडेट तो थे ही, देश के अलग-अलग हिस्सों में स्वयं सहायता समूह चलाने वाली महिलाएं भी अतिथि के रूप में थीं।

निःसंदेह ऐसा नहीं है कि युवतियां केवल सेनाओं, अर्द्ध सैनिक बलों और पुलिस में ही अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं। जीवन के हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ रही है। शासन-प्रशासन के साथ उद्योग-व्यापार जगत और तकनीक एवं विज्ञान के क्षेत्र में भारत की महिलाएं अपने कदम आगे बढ़ा रही हैं। वे खेल जगत में भी अपनी छाप छोड़ रही हैं। वे केवल विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी ही नहीं कर रही हैं, बल्कि अपनी उत्कृष्टता भी साबित कर रही हैं। इसरो के चंद्र और सूर्य अभियानों में महिला विज्ञानियों की महती भूमिका किसी से छिपी नहीं।

इसमें कोई संदेह नहीं कि देश के शहरी समाज में तो हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी उन्हें वैसा प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है, जैसा अपेक्षित और आवश्यक है। यह ठीक है कि सरकार प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन इसी के साथ समाज को भी यह देखना होगा कि बेटियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

इससे इन्कार नहीं कि कार्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन अभी उनकी संख्या उतनी नहीं, जितनी होनी चाहिए। हाल के एक आंकड़े के अनुसार वर्तमान में देश में महिला श्रम बल की भागीदारी 37 प्रतिशत है। इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि जब महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर कार्य करेंगी, तो इससे केवल वही सशक्त नहीं होंगी, बल्कि घर-परिवार और समाज भी सक्षम बनेगा। जब ऐसा होगा, तब देश की भी सामर्थ्य बढ़ेगी। स्पष्ट है कि नीति-नियंताओं के साथ समाज को यह समझना होगा कि कार्य बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर ही विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति आसान होगी।