स्वदेशी युद्धपोत आइएनएस इंफाल को नौसेना में सम्मिलित करने के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह जो कहा कि अरब सागर में भारत आ रहे जहाज एमवी केम प्लूटो पर हमला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें समुद्र तल से भी खोजकर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, वह आवश्यक था। ऐसा कोई दो टूक बयान इसलिए और भी जरूरी हो गया था, क्योंकि दक्षिणी लाल सागर में भी एमवी साईं बाबा नाम के जहाज को निशाना बनाया जा चुका है। इस समुद्री जहाज के चालक दल के सदस्य भारतीय थे। इन हमलों को देखते हुए ही भारतीय नौसेना ने अरब सागर के विभिन्न क्षेत्रों में तीन युद्धपोत तैनात कर दिए हैं। इसके अलावा समुद्र की टोह लेने वाले विमानों की भी तैनाती की जा रही है।

विभिन्न समुद्री मार्गों पर अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करने के लिए भारत को हर संभव उपाय करने होंगे। ये उपाय न केवल हिंद महासागर में करने होंगे, बल्कि अन्य सागरों में भी। यदि समुद्री जहाजों पर इसी तरह हमले होते रहे तो भारत आने एवं यहां से जाने वाले जहाजों को अपना मार्ग बदलने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। स्पष्ट है कि इसके चलते खर्च बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। यदि भारत में कच्चा तेल लाने वाले समुद्री जहाजों को सुरक्षा कारणों से अधिक दूरी तय करनी पड़ती है तो पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हो सकते हैं। भारत को मित्र देशों की सहायता से यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके हितों की पूर्ति करने वाले सभी समुद्री मार्ग सुरक्षित और सुगम बने रहें।

अमेरिका की मानें तो एमवी केम प्लूटो जहाज पर ईरान से ड्रोन हमला किया गया। ईरान ने अमेरिका के इस दावे को खारिज किया है, लेकिन यह किसी से छिपा नहीं कि यमन के जो हाउती विद्रोही समुद्री जहाजों को निशाना बना रहे हैं, उन्हें उसका समर्थन प्राप्त है। हाउती विद्रोही इजरायल पर बर्बर आतंकी हमला करने वाले हमास के समर्थन में समुद्री जहाजों पर हमले कर रहे हैं। वे इजरायल के साथ हमास की निंदा-आलोचना करने वाले देशों के समुद्री जहाजों को भी निशाना बनाने की धमकियां दे रहे हैं। ईरान जिस तरह हाउती विद्रोहियों को हथियार और पैसा उपलब्ध कराता है, उसी तरह हमास को भी।

एक समय था, जब सोमालिया के हथियारबंद गिरोह समुद्री जहाजों के लिए खतरा बन गए थे। तब भी भारत को समुद्र में सतर्कता बढ़ानी पड़ी थी। अब जब हाउती विद्रोही ईरान जैसे देशों के समर्थन से समुद्र से होने वाले व्यापार के लिए खतरा बन रहे हैं, तब भारत को अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने पर और अधिक ध्यान देना होगा। ऐसा इसलिए भी करना होगा, क्योंकि चीन हिंद महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है। एक ऐसे समय जब भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ रही है, तब उसे अपने आसपास के समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए और अधिक सतर्क होना होगा।