इलेक्ट्रिक व्हीकल को 10 हजार करोड़ रुपये की फेम-3, हाइब्रिड गाड़ियों को भी इन्सेंटिव संभव
इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए बजट में 10 हजार करोड़ रुपये की फेम-3 योजना घोषित की जा सकती है। इसका उद्देश्य लागत कम करके ईवी की मांग को बढ़ावा देने के साथ ही प्रमुख घटकों के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना होगा। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए भी कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। इलेक्ट्रिक के अलावा हाइब्रिड गाड़ियों के लिए भी इन्सेंटिव संभव है।
स्कन्द विवेक धर/एस.के. सिंह, नई दिल्ली। बजट में उम्मीदों को लेकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री दो हिस्सों में बंटती नजर आ रही है। एक तरफ टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियां हैं, जो इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने वाली सरकार की नीति का समर्थन कर रही हैं और इसे ही जारी रखने की मांग कर रही हैं। दूसरी तरफ, मारुति और टोयोटा जैसी कंपनियां हैं, जो सरकार से हाइब्रिड गाड़ियों के लिए भी ईवी के समान इन्सेंटिव की मांग कर रही हैं।
सरकार का रुख कुछ भी रहे, लेकिन इस बात पर कोई दो राय नहीं है कि देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बदलाव के दौर से गुजर रही है। पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों से लोग अब इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियों की ओर रुख करने लगे हैं। हैचबैक और सेडान गाड़ियों की मांग कम हो रही है और यूटिलिटी व्हीकल की मांग ज्यादा हो गई है। जनवरी-जून के दौरान कुल वाहन बिक्री में 48% हिस्सा 10 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली गाड़ियों का था। पिछले साल यह 44% था। ऐसे दौर में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री आगामी बजट में नई टेक्नोलॉजी पर इन्सेंटिव की उम्मीद कर रही है।
टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसे इलेक्ट्रिक कार निर्माता और इलेक्ट्रक टू-व्हीलर निर्माता बजट में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड &) इलेक्ट्रिक व्हीकल (FAME-3) योजना के ऐलान की उम्मीद कर रहे हैं। सरकार 10,000 करोड़ की परिव्यय वाली FAME-3 योजना की घोषणा कर सकती है। इस योजना का उद्देश्य लागत को कम करके ईवी की मांग को बढ़ावा देने के साथ ही प्रमुख घटकों के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना होगा।
इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माता सोकुडो इलेक्ट्रिक इंडिया के सीएमडी प्रशांत वशिष्ठ कहते हैं, “बजट 2024 को लेकर हम बहुत आशावादी हैं। सबसे पहली उम्मीद FAME 3.0 जैसे टार्गेटेड इन्सेंटिव की है, जो रोज़मर्रा के यात्रियों के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को अधिक किफ़ायती बना सकते हैं। इससे हम अपनी बाज़ार उपस्थिति बढ़ा पाएंगे।”
इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्जिंग सॉल्यूशंस प्रदान करने वाली कंपनी टेरा चार्ज के सीईओ अकिहिरो उएदा भी बजट में FAME 3 की उम्मीद कर रहे हैं। उएदा ने कहा, “मुझे आगामी बजट से बहुत उम्मीदें हैं और मैं बहुप्रतीक्षित FAME-3 योजना जैसी अनुकूल नीतियों की प्रतीक्षा कर रहा हूं। 10 हजार करोड़ रुपये के अनुमानित परिव्यय के साथ FAME-3 ईवी उत्पादकों और उपभोक्ताओं को आवश्यक सहायता प्रदान कर सकता है।”
उएदा ने कहा, हम यह भी उम्मीद कर रहे हैं बजट में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए सब्सिडी और टैक्स बेनेफिट जैसे विशिष्ट प्रावधान होंगे, जो हमें चार्जिंग सेवाओं का विस्तार करने और पूरे भारत में चार्जिंग स्टेशनों की तैनाती में तेजी लाने में मदद कर सकते हैं। यह सहायता रेंज की चिंता को कम करने और देश में व्यापक ईवी एडॉप्शन को प्रोत्साहित करेगी।
सोकुडो के वशिष्ठ भी फेम-3 के अलावा, ईवी पर जीएसटी कम करने और अधिक खरीद सब्सिडी की उम्मीद कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे ईवी के एडॉप्शन की दर में महत्वपूर्ण अंतर लाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि हम स्थानीय बैटरी उत्पादन और इनोवेशन के लिए अधिक समर्थन की उम्मीद करते हैं।
हाइब्रिड वाहनों के लिए अतिरिक्त इन्सेंटिव
इलेक्ट्रिक वाहनों को लंबे समय से राज्य और केंद्र सरकार दोनों द्वारा सब्सिडी दी जाती रही है, लेकिन हाइब्रिड वाहनों को उतनी तवज्जो नहीं मिली। हालांकि, बीते कुछ दिनों में सरकार ने हाइब्रिड को लेकर रुचि दिखाई है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी और टोयोटा हाइब्रिड गाड़ियों पर भी इन्सेंटिव मिलने की उम्मीद कर रही हैं।
बता दें, ईवी पर जहां सिर्फ 5% जीएसटी लगता है, वहीं हाइब्रिड गाड़ियों पर जीएसटी की दर 28% है।
सरकार पेट्रोल और डीजल कारों पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही है, ऐसे में हाइब्रिड को आखिरकार आगामी बजट में कुछ प्रोत्साहन मिल सकता है।
कॉमर्शियल वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए ज्यादा प्रोत्साहन
वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने सरकार की वाहन स्क्रैपिंग के लिए ज्यादा प्रोत्साहन की मांग की है। इस पॉलिसी के तहत ऐसे वाहन हैं जो एक निश्चित आयु पार कर चुके हैं, उन्हें प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए स्क्रैप किया जाता है और वाहन मालिक को कुछ इन्सेंटिव मिलता है।
उद्योग संगठन कॉमर्शियल गाड़ियों खासकर ट्रकों और बसों के लिए अधिक प्रोत्साहन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान इन्सेंटिव इतना नहीं है कि वह कॉमर्शियल गाड़ियों की स्क्रैपिंग के लिए प्रोत्साहित कर सके, जबकि यही वाहन अधिकांश उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
इक्वलाइजेशन लेवी नियम में संशोधन
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग करती हैं। वे दूसरे देश स्थित पेरेंट कंपनी से ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन लेते हैं तथा पार्ट्स और कंपोनेंट ऑर्डर करते हैं। कुछ सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन का इस्तेमाल प्रोडक्शन में भी होता है। इन एप्लिकेशन के इस्तेमाल के बदले पेरेंट कंपनी को भुगतान भी किया जाता है। विथहोल्डिंग टैक्स काटने के बाद यह भुगतान बैंकिंग चैनल के माध्यम से होता है।
इस तरह के डिजिटल प्लेटफॉर्म का मकसद ग्रुप कंपनियों के बीच बेहतर संवाद और सर्विसेज का सेंट्रलाइजेशन होता है। दूसरे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की तरह इनका प्रयोग नहीं होता। उद्योग चैंबर फिक्की की सिफारिश है कि इस तरह के डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए होने वाले लेन-देन को इक्वलाइजेशन लेवी के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। यह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में एक कदम होगा।