चंद्रयान-3 की कामयाबी ने अनंत अंतरिक्ष के द्वार खोले, अंतरिक्ष के बारे में जानने के लिए और लोग प्रेरित होंगे
मंगल ग्रह या उससे आगे उपग्रह भेजने के लिए चांद को बेस स्टेशन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। चांद पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की तुलना में छठे हिस्से के बराबर है इसलिए प्रयास कम करने होंगे। हालांकि चंद्रयान-3 इस दिशा में पहला कदम होगा। इसके बाद और भी कई कदम सफलतापूर्वक उठाने पड़ेंगे उसके बाद ही हम उस लक्ष्य तक पहुंच सकेंगे।
एस.के. सिंह, नई दिल्ली। आखिरकार चांद की चाहत में चकोर (विक्रम लैंडर) अपने सफर के 41वें दिन उस तक पहुंच ही गया। किसी चकोर के पंख की ही तरह उसने आहिस्ता-आहिस्ता चांद के आंगन में कदम रखे। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लांच होने के बाद देश ही नहीं, समूचा विश्व व्यग्र नजरों और तेज धड़कते दिलों से इस पल का इंतजार कर रहा था। मन के किसी कोने में डर भी था कि कहीं चंद्रयान-2 की तरह इस बार भी आखिरी पलों में मिशन नाकाम न हो जाए। लेकिन पिछली बार से सीख लेकर खामियां सुधारने के बाद इसरो के वैज्ञानिक इस बार शुरू से काफी आश्वस्त थे। चंद्रयान-3 बार-बार संदेश भी दे रहा था, “सब ठीक है और तय शेड्यूल के मुताबिक चल रहा है।”