नई दिल्ली, संदीप राजवाड़े। कोरोना में पीपीई किट-फेसशील्ड और चश्मे के साथ मास्क पहननने वालों को भाप की दिक्कत से काफी परेशान होना पड़ा। चश्मे-फेसशील्ड में भाप की परत से डॉक्टर- मेडिकल वर्करों को मरीज देखने के साथ पढ़ने में काफी परेशानी हुई। इससे उनका काम भी प्रभावित हो रहा था। 8-10 घंटे पीपीई किट और लगातार मास्क पहनने से यह समस्या और ज्यादा थी। इसे लेकर बेंगलुरु के डॉक्टर्स ने एक स्टडी की और जाना कि किस तरह मास्क पहनने से चश्मा और फेसशील्ड पहनने वालों को राहत मिल सकती है। इसमें बताया गया कि सामान्य तरीके से मास्क पहनने वाले 60 फीसदी मेडिकल स्टॉफ को भाप के कारण देखने में दिक्कत हुई। वहीं तरीका बदलकर टेपिंग मास्क पहनने से करीबन 40 फीसदी को भाप की समस्या से निजात मिली। 28 फीसदी को हल्का भाप की परेशानी हुई। यह स्टडी 31 दिसंबर को इंडियन जर्नल ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित हुई है। इसमें क्रिटिकल केयर यूनिट (आईसीयू) के डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ के बीच मास्क पहनने के तरीके और उससे होने वाली दिक्कतों के साथ हर पहलुओं का अध्ययन किया गया। स्टडी में पाया गया है कि सामान्य तरीके से मास्क लगाकर चश्मा-फेसशील्ड पहनने वालों की तुलना में मास्क में टेपिंग से बहुत राहत मिली। इससे विजन और रीडिंग दोनों में काफी मदद मिली।

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