बुजुर्गों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना होगा आसान, पुरानी बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड 4 साल से घट कर 3 साल हुआ
नए नियमों के तहत अब 65 साल से ज्यादा वालों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना आसान हो सकता है। वहीं किसी बीमारी के लिए कवर का वेटिंग पीरियड 4 साल का था इसे 36 महीने किया गया है। पहले अगर 8 साल तक किसी बीमारी के बारे में पता नहीं लगता था तो 8 साल बाद इंश्योरेंस कंपनी किसी क्लेम के लिए मना नहीं कर सकती थी।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। अधिक लोगों को स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने एक प्रमुख खंड से "65 वर्ष" का उल्लेख हटा दिया है, जिसके तहत बीमाकर्ताओं को पॉलिसीधारकों को कम से कम 65 वर्ष की आयु तक स्वास्थ्य कवर प्रदान करने की आवश्यकता होती है। नियामक के इस हालिया संशोधन के बाद जागरण प्राइम ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या बदलाव आएगा, क्या इस कदम से हजारों बिना बीमा वाले वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य कवरेज पाने में मदद मिलेगी, 70 वर्ष की उम्र में पहली बार स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदना आसान होगा या नहीं, जैसे सवालों के जवाब तलाशने के लिए विशेषज्ञों से बात की। उनका कहना है कि आईआरडीएआई के संशोधित नियम बीमा कंपनियों को बाजार की बदलती जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने, व्यापार संचालन को सरल बनाने और पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ तपन सिंहल कहते हैं कि अधिकांश नागरिक स्वास्थ्य बीमा से कतराते हैं क्योंकि उन्हें नियम और शर्तें भ्रमित करने वाली लगती हैं, खासकर जब बात पहले से मौजूद बीमारियों के साथ-साथ प्रतीक्षा अवधि की हो। नए विनियमन का उद्देश्य स्वास्थ्य बीमा को और अधिक समावेशी बनाना है, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, विकलांगों और पुरानी बीमारियों वाले व्यक्तियों के लिए। यह अधिक नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा चुनने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए नए स्वास्थ्य बीमा नियम में क्या नया बदला है ?
1 अप्रैल, 2024 को लागू हुए अपने नवीनतम नियमों में, बीमा नियामक ने किसी व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए 65 वर्ष की सीमा को हटा दिया। पिछले स्वास्थ्य बीमा विनियम, 2016 में, IRDAI ने बीमाकर्ताओं को कम से कम 65 वर्ष की आयु तक व्यक्तियों को पॉलिसी पेश करने के लिए कहा था। इसमें कहा गया है, "सभी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां आम तौर पर कम से कम 65 वर्ष तक की प्रवेश आयु प्रदान करेंगी।" इसलिए, बीमा कंपनियों को 65 वर्ष की आयु तक के लोगों के प्रस्तावों पर विचार करना था। हालांकि, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी बेचने पर कभी कोई रोक नहीं थी।
हकीकत में, बीमा खरीदने की योजना बना रहे वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ भी नहीं बदला है। वे बीमा उत्पाद खरीद सकते थे, भले ही उनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक हो। हालांकि, बाजार में उत्पादों की संख्या सीमित थी। अब, अधिक बीमा कंपनियां वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से डिजाइन और समर्पित उत्पाद लेकर आ सकती हैं।
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम कहते हैं कि IRDAI ने हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर कई बड़े बदलाव किए हैं। इनमें तीन सबसे महत्वपूर्ण है। इस बदलाव में सबसे बड़ी राहत सीनियर सिटीजन को मिली है। नए नियमों के तहत अब 65 साल से ज्यादा वालों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना आसान हो सकता है। वहीं किसी बीमारी के लिए कवर का वेटिंग पीरियड 4 साल का था, इसे 36 महीने किया गया है। तीसरा बड़ा बदलाव है कि पहले अगर 8 साल तक किसी बीमारी के बारे में पता नहीं लगता था तो 8 साल बाद इंश्योरेंस कंपनी किसी क्लेम के लिए मना नहीं कर सकती थी। अब इस अवधि को घटाकर पांच साल कर दिया गया है ।
पॉलिसीबाजार.कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस के बिजनेस हेड सिद्धार्थ सिंघल इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं। उन्होंने कहा कि नए बदलाव स्वास्थ्य बीमा और स्वास्थ्य सेवा तक आसान पहुंच प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर आयु सीमा हटाने से अधिक से अधिक वरिष्ठ नागरिक अब व्यापक स्वास्थ्य कवरेज तक आसानी से पहुंच सकते हैं। पहले, कई मौजूदा उत्पादों में प्रवेश आयु के रूप में 65 वर्ष की सीमा लगाई गई थी, जिससे पहली बार खरीदारों के रूप में वृद्ध व्यक्तियों की स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठाने की क्षमता सीमित हो गई थी। IRDAI का यह सकारात्मक कदम बुजुर्गों के लिए बीमा के माध्यम से अपने स्वास्थ्य और वित्तीय कल्याण की सुरक्षा के द्वार खोलता है।”
भले ही बीमा कंपनियां 65 वर्ष से अधिक आयु वालों को पॉलिसियां प्रदान करती हों, एक वरिष्ठ नागरिक के लिए, 70 वर्ष की आयु में अपनी पहली बीमा पॉलिसी खरीदना कितना आसान होगा?
नई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए, वरिष्ठ नागरिकों को पूर्ण चिकित्सा जांच करानी होगी। यदि उन्हें पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ जाएगा। यदि चिकित्सा जांच के परिणाम उच्च जोखिम दिखाते हैं तो बीमाकर्ता को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को अस्वीकार करने का अधिकार है।
क्या बुजुर्गों की पॉलिसी का प्रीमियम अधिक होगा ?
चूंकि बुजुर्ग लोगों को आमतौर पर पहले से ही बीमारियां होती हैं और उन्हें बार-बार चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए बीमा कंपनियां उन्हें कवर करने के लिए आमतौर पर अधिक प्रीमियम वसूलती हैं। नियम और शर्तें अक्सर अपेक्षाकृत युवा लोगों की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों के लिए अधिक कठोर होती हैं। वरिष्ठ नागरिकों को कुछ चिकित्सकीय स्थितियों के उपचार के क्लेम के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि भी मिल सकती है।
नियम बदलने से क्या अब वरिष्ठ नागरिकों को बीमा देना कंपनियों के लिए अनिवार्य होगा ?
ध्यान रखें कि किसी बीमाकर्ता के लिए 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां देना अब भी अनिवार्य नहीं है। यह पूरी तरह से बीमा कंपनी पर निर्भर करेगा। बीमाकर्ताओं के पास अब भी पॉलिसी जारी करने पर नियंत्रण है। इसलिए, यदि किसी बीमाकर्ता को लगता है कि किसी के लिए पॉलिसी जारी करना बहुत बड़ा जोखिम है, तो वे ऐसा करने से इनकार कर सकते हैं।
इसका वरिष्ठ नागरिकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है ?
एक महत्वपूर्ण बात जो आपको ध्यान में रखनी चाहिए कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिज़ाइन की गई पॉलिसियां 60 वर्ष से कम आयु वालों को बेची जाने वाली पॉलिसी से महंगी होती हैं। कई विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवेश आयु के पैमाने में बदलाव वरिष्ठ नागरिकों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। नए नियमों के बाद, प्रीमियम राशि अपेक्षाकृत महंगी हो सकती है क्योंकि बीमा कंपनियां वरिष्ठ नागरिकों के लिए लक्षित उत्पाद पेश कर सकेंगी। बीमा कंपनियों द्वारा डिजाइन किए गए उत्पादों की प्रकृति के कारण वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम में वृद्धि संभव है।
वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी कैसे खरीद सकते हैं?
किसी भी मौजूदा स्वास्थ्य समस्या वाले ग्राहकों को सर्वोत्तम कवरेज और बीमा की लागत प्राप्त करने के लिए कई बीमाकर्ताओं द्वारा दी जाने वाली कवरेज का मूल्यांकन करना चाहिए। सिद्धार्थ सिंघल कहते हैं कि कुछ पैरामीटर जिन पर उन्हें विचार करना चाहिए वे हैं नेटवर्क कवरेज, कमरे के किराए की सीमा, बीमारी की उप-सीमाएं, उपभोज्य कवर और अन्य पॉलिसी नियम और शर्तें जो दावे के समय भुगतान को कम कर सकती हैं।
क्या कंपनियां क्षतिपूर्ति आधारित पॉलिसी पेश कर सकती हैं ?
अब से, कोई भी बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति-आधारित स्वास्थ्य पॉलिसी की पेशकश नहीं कर सकेगी, जहां कंपनी को अस्पताल के खर्च का भुगतान करना होगा। अब से, वे केवल लाभ-आधारित पॉलिसियाँ प्रदान कर सकती हैं जिसके तहत कवर की गई बीमारी का दावा किए जाने पर पॉलिसीधारक को एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है।
क्या कैंसर या एड्स से पीड़ित लोग इंश्योरेंस ले सकेंगे ?
IRDAI की ओर से जारी किए गए सर्कुलर के मुताबिक बीमा कंपनियों को पहले से किसी भी प्रकार की चिकित्सीय स्थिति वाले व्यक्तियों को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां देने का आदेश भी दिया गया है। इसमें बीमा कंपनियां कैंसर, हार्ट और एड्स जैसी गंभीर बीमारियों वाले मरीजों को पॉलिसी जारी करने से मना नहीं कर सकती हैं।
अगर किसी बीमारी का पता पॉलिसी लेने के कुछ साल बाद पता चलता है इस स्थिति में कंपनियां आनाकानी तो नहीं करेगी ? क्या वेटिंग पीरियड में भी कोई बदलाव हुआ है ?
सर्कुलर के अनुसार, इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस वेटिंग पीरियड को भी 48 महीने के बजाय घटकर 36 महीने कर दिया है। सिंहल कहते हैं कि पीईडी प्रतीक्षा अवधि को 48 महीने से घटाकर 36 महीने करने से, अधिक व्यक्तियों द्वारा स्वास्थ्य बीमा का विकल्प चुनने की संभावना है, जिससे देश में बीमा की पहुंच बढ़ेगी।
मोरेटोरियम अवधि में भी क्या कोई बदलाव किया गया है ?
आईआरडीए ने मोरेटोरियम अवधि को भी 8 साल से घटाकर 5 साल कर दिया है। एक बार जब सक्रिय स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की अधिस्थगन अवधि समाप्त हो जाती है, तो बीमाकर्ता धोखाधड़ी को छोड़ अन्य किसी आधार पर पॉलिसी द्वारा कवर किए गए किसी भी दावे को अस्वीकार नहीं कर सकता है।
क्या पॉलिसी को वापस किया जा सकता है ?
पॉलिसी खरीदने के बाद अगर किसी ग्राहक को पॉलिसी पसंद नहीं आती, तो वह उसे एक निश्चित समय में लौटा सकता है।
क्या कम किया गया समय नई और पुरानी सभी पॉलिसियों पर भी लागू होगा?
स्वास्थ्य बीमा पर नई कम प्रतीक्षा अवधि से पुराने और नए दोनों पॉलिसीधारकों को लाभ होगा। पहली बार पॉलिसीधारकों के लिए, इस बदलाव का मतलब है कि उन्हें आगे चलकर कम प्रतीक्षा अवधि का लाभ मिलेगा। मौजूदा पॉलिसीधारकों को भी लाभ होगा, क्योंकि पॉलिसी नवीनीकरण पर नए 3-वर्षीय खंड के साथ संरेखित करने के लिए प्रतीक्षा अवधि कम हो जाएगी।
इंश्योरेंस नियमों में बदलाव का असर क्या आने वाले समय में प्रीमियम पर भी पड़ेगा ?
नई गाइडलाइन के चलते अब बीमा कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ाने जा रही हैं। इसके चलते प्रीमियम में न्यूनतम 1000 रुपये तक का इजाफा हो सकता है। कुछ कंपनियों ने प्रीमियम में बढ़ोतरी के संकेत भी देने शुरू कर दिए हैं। एचडीएफसी एरगो ने हाल ही कहा कि वह प्रीमियम में 7.5 फीसदी से लेकर 12.5 फीसदी तक इजाफा करने जा रही है। कंपनी ने कस्टमर्स को भेजे एक ईमेल में कहा है कि पॉलिसीधारक की उम्र और परिवार के सदस्यों के आधार पर प्रीमियम में बढ़ोतरी की जाएगी। नए नियमों और मेडिकल कॉस्ट में हुए इजाफे के चलते यह फैसला लिया गया है।
कई बार कंपनियां जानकारी न देने जैसे अन्य बहानों के आधार पर क्लेम खारिज कर देती हैं। नए नियमों में इसे लेकर क्या है ?
नए नियमों के अनुसार, इंश्योरेंस कंपनियां लगातार 60 महीने की कवरेज के बाद बीमा क्लेम को खारिज नहीं कर सकेंगी, बशर्ते क्लेम धोखाधड़ी वाला न हो।
क्या प्रीमियम की रकम देने के तरीके में भी किसी तरह का बदलाव है ?
किस्तों में प्रीमियम भुगतान की सुविधा भी है। नोटिफिकेशन के अनुसार, इंश्योरेंस कंपनियों को पॉलिसीधारकों की सुविधा के लिए किस्तों में प्रीमियम भुगतान की पेशकश करने की अनुमति है।
आयुर्वेद, होम्योपैथी जैसी प्रणाली में कवरेज मिलेगा ?
आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसी प्रणालियों के तहत इलाज को बिना किसी लिमिट के बीमा राशि का कवरेज मिलेगा।
नई पॉलिसी में क्या कोई कस्टमाइज प्लान बनाने की सुविधा है ?
बीमा नियामक ने बीमाकर्ताओं से वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों, प्रसूति, छात्रों और अन्य समूहों के लिए अनुकूलित चिकित्सा बीमा उत्पाद डिजाइन करने को कहा है। यह बीमाकर्ताओं को अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और इन विशिष्ट समूहों के लोगों को उनकी आवश्यकताओं के लिए सर्वोत्तम स्वास्थ्य बीमा योजना चुनने में सक्षम करेगा।
मैं पिछले 6 वर्षों से लगातार अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण कर रहा हूं, क्या मेरी बीमा कंपनी मधुमेह के लिए मेरे दावे को अस्वीकार कर सकती है?
नहीं, IRDAI द्वारा प्रकाशित नए नियमों के अनुसार, यदि आप बिना किसी रुकावट के अपनी पॉलिसी का नवीनीकरण कर रहे हैं तो आपकी स्वास्थ्य बीमा कंपनी पहले से मौजूद बीमारियों के दावे को अस्वीकार नहीं कर सकती है। आईआरडीएआई ने कहा है कि 60 महीने के निरंतर कवरेज के बाद, कोई बीमाकर्ता किसी दावे से इनकार नहीं कर सकता जब तक कि वह यह साबित न कर दे कि दावा धोखाधड़ी वाला है। यह बात पहले से मौजूद बीमारियों (पीईडी) के मामले में भी लागू होती है!
यह रेगुलेशन कब से प्रभावी होंगे ?
यह रेगुलेशन एक अप्रैल, 2024 से लागू हो चुके हैं।
किसी भी शिकायत या दावे के लिए कहां संपर्क कर सकते हैं ?
नया विनियमन वरिष्ठ नागरिकों की शिकायतों और दावों से निपटने के लिए एक विशेष चैनल भी स्थापित करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उनकी जरूरतों का तुरंत समाधान किया जा सकें। आप IRDAI के पास भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।