दवाओं की कीमत घटाने, हेल्थ बजट जीडीपी के ढाई फीसदी करने की मांग नहीं हुई पूरी, विशेषज्ञों की राय रिसर्च बढ़ेगा
केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर की गई घोषणाओं को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि दिए गए सुझाव को नहीं माना गया। देश की अर्थव्यवस्था और जरूरत के हिसाब से हेल्थ सेक्टर को बजट नहीं मिला। दूसरी तरफ विशेषज्ञों का कहना है कि हेल्थ सर्विस को बढ़ाने वाला बजट पेश किया गया है इससे ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ाने में मदद मिलेगी।
संदीप राजवाड़े, नई दिल्ली।
केंद्रीय बजट में इस बार स्वास्थ्य सेक्टर बड़ी आस लगाए बैठा था। इसकी वजह थी कि भारत समेत दुनिया कोरोना की आपदा से हाल ही में उबरी थी तो भारत में बीते कुछ समय में लाइफस्टाइल डिजीज जैसे डायबिटीज, हार्ट अटैक, कैंसर, लिवर के मामले तेजी से बढ़े हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि कुछ मोर्चों को छोड़कर हेल्थ बजट को आशातीत हासिल नहीं हुआ है। फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण (एचपीवी) और सिकल सेल जैसे अभियान को लेकर घोषणा की गई थी, लेकिन इस बजट में कोई जिक्र नहीं किया गया। स्वास्थ्य बजट में पिछले साल की तुलना में 12.50 फीसदी अधिक राशि दी गई है। इस बार का हेल्थ बजट 90,958.63 करोड़ रहा। हेल्थ को लेकर बड़ी घोषणाओं में कैंसर की तीन दवाओं से पूरी तरह कस्टम ड्यूटी हटाना और एक्स-रे मशीनों में उपयोग होनेवाली एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों पर मूल सीमा शुल्क में बदलाव करने की घोषणा रही।
इस बजट को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि हमारी तरफ से वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर स्वास्थ्य बजट की बेहतरी के लिए कुछ सुझाव व मांग की गई थी। इस बजट में उन्हें पूरी तरह से दरकिनार किया गया है। हमारी मांग थी कि देश में जरूरत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जीडीपी का ढाई फीसदी हेल्थ बजट में शामिल किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे दवा की कीमतों में कमी करने से बहुत बड़ी आबादी को राहत मिलती। विशेषज्ञों का कहना है कि सकारात्मक विकास के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में वृद्धि वाला बजट पेश किया गया है। इससे मेडिकल फील्ड में रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा।
कुछ एक्सपर्ट ने बताया कि 2017 की नेशनल हेल्थ पॉलिसी में साल 2024-25 तक हेल्थ सेक्टर पर जीडीपी का 2.5% खर्च करने टारगेट सेट किया गया था। इसके मुताबिक स्वास्थ्य का बजट इस वर्ष 3.3 लाख करोड़ रुपए होना चाहिए था, लेकिन इसे सिर्फ करीबन 91 हजार करोड़ रुपए ही रखा गया है। यह जरूरत का 27 फीसदी ही है। 23 जुलाई को पेश किए केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कैंसर की तीन जरूरत वाली दवाओं पर कस्टम ड्यूटी जीरो करने की घोषणा की। इससे फेफड़ों और पित्त नली के कैंसर के लिए दी जाने वाली डुरवालुमैब, ईजीएफआर म्यूटेशन के लिए फेफड़ों के कैंसर की दवा ओसिमर्टिबिन और स्तन कैंसर के लिए ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन कस्टम ड्यूटी हटाने की बात कही गई है। इससे यह दवा अब कम कीमत पर मिलेगी। इसके अलावा बजट में एक्स-रे मशीनों में उपयोग के लिए एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों पर मूल सीमाशुल्क में बदलाव करने की घोषणा की गई है। इस बार बजट में हेल्थ को 90,958.63 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 87,656.90 करोड़ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और 3,301.73 करोड़ रुपए स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग को दिया गया है। हेल्थ के बजट में से आयुष मंत्रालय को 3,712.49 करोड़ आवंटित किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के लिए 36,000 करोड़ रुपए और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाय) के लिए 7,000 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इसके अलावा बजट में दिल्ली एम्स को 4,523 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। बजट में आईसीएमआर को 2,732.13 करोड़ रुपए मिला है। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के लिए 200 करोड़ रुपए, टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए 65 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इसके साथ ही सरकार की तरफ से मेडिकल फील्ड में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए अलग से फंड रखने की घोषणा की गई है।
बजट से एचपीवी और सिकलसेल अभियान गायब, हेल्थ सेक्टर निराशा हुईः आईएमए प्रेसिडेंट
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरवी अशोकन ने कहा कि हमारी तरफ से हेल्थ बजट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारण को सुझाव व मांग को लेकर पत्र लिखा गया था। इसमें हमने अनुरोध किया था कि बजट में स्वास्थ्य के लिए जरूरत के अनुसार देश की जीडीपी का 2.5 फीसदी की राशि आवंटित की जाए, इससे स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोत्तरी होगी। लेकिन पेश किए बजट में हेल्थ सेक्टर को जितनी राशि मिली है, वह जीडीपी के 1.1 या 1.2 के आसपास ही है। इसके अलावा भारत की अर्थव्यवस्था चार ट्रिलियन की ओर बढ़ रही है, ऐसे में हेल्थ बजट को भी बढ़ाना था। इस बजट से हेल्थ को लेकर निराशा हुई है। कैंसर की तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी को जीरो करना अच्छी पहल है, इससे कैंसर मरीजों को लगने वाली तीन मुख्य दवाएं सस्ती होंगी। इसके अलावा हमने मांग की थी कि अन्य सभी दवा की कीमतों में जीएसटी कम किए जाए, जो अभी 12 से लेकर 18 फीसदी तक लग रही है। इसे लेकर अब जीएसटी काउंसिल की बैठक में बात रखी जाएगी। कैंसर की तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने की पहल अच्छी है। मेडिसिन की कीमत कम करने के लिए इस पर लगने वाले जीएसटी को कम किया जाना था, इससे दवाओं की कीमत कम होती। यह बजट हेल्थ के लिए कुछ निराश करता है।
सकारात्मक विकास के साथ स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने वाला साबित होगा बजटः निदेशक प्रो. हिमांशु राय, आईआईएम इंदौर
इंदौर आईआईएम के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25 कई सकारात्मक विकासों के साथ भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को भी सुदृढ़ बनाने के प्रयास और सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के लिए 6,800 करोड़ से 7,300 करोड़ रुपए किया गया है, यह बड़ी आबादी तक हेल्थ सर्विस को बढ़ाने में अहम होगा। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में आवंटन 31,550 करोड़ से बढ़कर 36,000 करोड़ रुपए किया गया है, इससे प्राइमरी हेल्थ सर्विस मजबूत होगी।
प्रोफेसर राय ने कहा कि हालांकि पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) और पीएम स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के बजट में कमी आई है, लेकिन यह अन्य क्षेत्रों में की गई सकारात्मक प्रगति को प्रभावित नहीं करता है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के लिए अपरिवर्तित बजट डिजिटल स्वास्थ्य अवसंरचना को बनाए रखने और विकसित करने पर स्थिर ध्यान केंद्रित करने का संकेत देता है। स्वास्थ्य के लिए आवंटित बजट संतुलित है, जो भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निरंतर प्रगति को बढ़ावा देगा। मेडिकल फील्ड में महत्वपूर्ण प्रोग्राम और रिसर्च के लिए यह बजट एक मजबूत आधार तैयार करेगा।
दवाओं की कीमत कम करने की पहल नहीं की गई, सुझाव पर ध्यान नहीं दियाः डॉ. शिवकुमार, आईएमए
आईएमए के वाइस वाइस प्रेसिडेंट डॉ़. शिवकुमार उत्तुरे ने कहा कि वित्त मंत्री को सुझाव दिया था कि हेल्थ बजट बढ़ाना चाहिए था। इसे लेकर कुछ भी नहीं किया है। पिछले बार भी जो सरकार की तरफ से हेल्थ का बजट बढ़ाया गया था, इसमें सेनेटरी का फंड भी शामिल किया गया था। इसे लेकर हमने अलग करने की मांग की थी। दवाओं को लेकर जीएसटी काउंसिल में कुछ राहत देने को लेकर वित्त मंत्री से हमारी तरफ से बात की जाएगी। हमने पत्र में बताया है कि भारत में मरीज को 70 फीसदी खर्चा ओपीडी इलाज व दवा में ही होता है। इसे लेकर कम करना चाहिए था। हमें लगा था कि कोविड के दौरान हेल्थ की समस्याओं को लेकर अनुभव को देखते हुए इस बार हेल्थ का बजट बढ़ाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण और सिकल सेल अभियान को लेकर इस बजट में कुछ नहीं बोला गया, इस बारे में कोई बात ही नहीं की गई है।
हेल्थ सर्विस की क्वालिटी सुधारने की दिशा में बेहतर प्रयास, ग्रामीण स्वास्थ्य को प्रोत्साहन मिलेगाः डॉ. अनुपम, शारदा अस्पताल
शारदा अस्पताल के जनरल मेडिसिन विभाग के डॉ. अनुपम आनंद ने कहा कि स्वास्थ्य को लेकर पेश किया गया बजट संतुलित रहा। इसमें पिछले बार की तुलना में राशि बढ़ाई गई है, जो स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए जरूरी है। बजट में वित्त मंत्री ने कैंसर के इलाज को लेकर तीन दवाओं पर बुनियादी सीमा शुल्क खत्म करने से जरूरतंद मरीजों को काफी फायदा होगा। इससे हेल्थ सर्विस की क्वालिटी सुधारने की दिशा में काम कर रही है। इससे ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए विशेष रूप से प्रोत्साहन मिलेगा।