नई दिल्ली, संदीप राजवाड़े।

ठंड की छुट्टियों और दिसंबर- जनवरी के दौरान दिल का दौरा पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है। इस दौरान लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतने को लेकर अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की तरफ से आगाह किया गया है। एसएसएम हेल्थ डॉट कॉम के अनुसार क्रिसमस और जनवरी की छुट्टियों में हार्ट अटैक से ज्यादा लोगों की मौत होती है। भारत के संदर्भ में दिल की बीमारी के विशेषज्ञों का कहना है कि यह सही है कि ठंड के मौसम में हृदयाघात की आशंका सबसे ज्यादा होती है। इस दौरान भारत में सबसे ज्यादा दिल के दौरे के नए मरीज सामने आते हैं। दिसंबर और जनवरी के दौरान यहां पड़ने वाली ठंड, मौसम में बदलाव, प्रदूषण के बढ़ते स्तर और अनियमित शारीरिक गतिविधि, अनहेल्दी खानपान के कारण ज्यादातर केस सामने आते हैं। इस दौरान आउटिंग खासकर ठंड एरिया में जाने को लेकर बीपी व दिल के मरीजों के साथ सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। इससे बचने के लिए हार्ट अटैक आशंका के लिए जरूरी टेस्ट और सावधानी अपनाने से दिल के दौर को रोका जा सकता है।

गुरुग्राम सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. डीके झांब ने बताया कि ठंड में दिल के नए मरीज बढ़ जाते हैं। इसमें 55-60 आयु वाले अधिक होते हैं। पिछले महीनेभर के दौरान यहां दिल्ली- एनसीआर से हार्ट अटैक वाले दिल मरीजों की संख्या सितंबर- अक्टूबर की तुलना में काफी बढ़ गई है। कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) के पूर्व महासचिव और कोलकाता के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देबब्रत रॉय ने बताया कि ठंड का मौसम दिल के दौरे के लिए सबसे खतरनाक होता है। आउटिंग के दौरान अनियमित शारीरिक गतिविधि (जैसे- आउटिंग के दौरान बेहद ठंड एरिया में घूमना, पहाड़ों पर चढ़ना या क्षमता से अधिक शारीरिक कार्य) और अनहेल्दी खानपान से इसकी आशंका बढ़ जाती है। कई रिसर्च में सामने आ चुका है कि अब युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं।

सालभर की तुलना में क्रिसमस और एक जनवरी को हार्ट अटैक से ज्यादा मौत

एसएसएम हेल्थ डॉट कॉम के एक आर्टिकल में बताया गया कि छुट्टियों के दौरान खासकर दिसंबर और जनवरी के माह में दिल का दौरे से सालभर की तुलना में अधिक लोगों की मौत होती है। एसएसएम हेल्थ के कार्डियोलाजिस्ट डॉ. ताडियो डियाज बाल्डेर्मा ने बताया कि दिल के दौरे से सबसे ज्यादा मौतें 24, 25 दिसंबर और एक जनवरी को हुई। उनके अनुसार दिल संबंधी मौतों के लिए ठंड का मौसम बड़ा कारण है, इससे तनाव, बीपी का बढ़ना, फैटी फूड, ड्रिंक सेवन शामिल है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में जोखिम को कम करने के लिए कई बातों पर ध्यान देना चाहिए। दिल के दौरे से जुड़े लक्षण दिखाई देने पर मदद पाने का इंतजार नहीं करना चाहिए, खुद सतर्क रहना होगा। डॉ. बाल्डेर्मा का कहना है कि हम तनाव को कम करने के तरीकों की तलाश कर सकते हैं और इस मौसम में काम करने के कुछ नए तरीकों को शामिल कर सकते हैं। परिवार के साथ शारीरिक गतिविधि, पैदल चलना, खेलना और इंडोर गतिविधियां शामिल कर सकते हैं।

ठंड बढ़ने से इनदिनों दिल के दौरे के 40 फीसदी नए मरीज आ रहेः डॉ. डीके झांब

गुरुग्राम सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. डीके झांब ने बताया कि ठंड हार्ट अटैक का सबसे खरतनाक मौसम होता है। इस दौरान दिल के दौरे वाले मरीजों को संख्या काफी बढ़ जाती है। यह सबसे सावधानी रखने वाला सीजन होता है। हमारे यहां इस दौरान हार्ट अटैक के नए मरीजों की संख्या 30 से 40 फीसदी बढ़ जाती है। इसमें उम्रदराज लोग ज्यादा होते हैं। ठंड में बीपी बढ़ जाता है। शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं।

डॉ. झांब ने बताया कि जहां सितंबर- अक्टूबर में हार्ट अटैक वाले नए मरीज रोजाना एक या दो हो आते थे, दिसंबर अंतिम दो हफ्ते और जनवरी में ठंड बढ़ने से अब रोजाना इनकी संख्या चार से पांच नए मरीजों की हो गई है। ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने और प्रदूषण से सांस लेने में तकलीफ व फेफड़े में परेशानी के केस ज्यादा हैं। इसके अलावा हार्ट फेलियर के मामले भी सामने आ रहे हैं। जहां तक छुट्टियों या आउटर में घूमने के दौरान इसका खतरा बढ़ने की बात है तो मौसम में बदलाव के साथ बेतरतीब रूटीन, अनियमित शारीरिक गतिविधि और अनहेल्दी फैटी फूड इसका बड़ा कारण बनता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

बीपी- प्रदूषण बढ़ने के साथ अचानक मौसम में बदलाव व शारीरिक गतिविधि से खतरा बढ़ा - डॉ. पार्थ चौधरी

नोएडा सेक्टर 27 स्थित कैलाश हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलाजिस्ट डॉ. पार्थ चौधरी का कहना है कि इस सीजन में हार्ट रिस्क बढ़ जाता है। एक्सरसाइज न होना और अनहेल्दी खानपान बढ़ जाता है। इस दौरान ठंड से बीपी का बढ़ना और प्रदूषण दो बड़ी वजह होती हैं। पिछले कई सालों से दिल्ली एनसीआर में देखने आया है कि दिसंबर- जनवरी के दौरान हार्ट के नए मरीजों की संख्या अचानक बढ़ जाती है।

डॉ. चौधरी ने बताया कि ठंड बढ़ने से दिसंबर और जनवरी में अब तक दिल के दौरे वाले नए मरीजों की संख्या 50 फीसदी हमारे हॉस्पिटल में बढ़ गई है। इनमें सिर्फ उम्रदराज या 60 वर्ष से अधिक वाले नहीं हैं, बल्कि युवा आयु वर्ग वाले भी कई मरीज हैं। अचानक मौसम में आए बदलाव, अनियमित शारीरिक गतिविधि और अन्य खानपान, शराब, स्मोकिंग के कारण हार्ट अटैक हो रहे हैं। इन दिनों हर दिन करीबन पांच मरीज नए हार्ट अटैक के आ रहे हैं। इसके अलावा इस सीजन में पुराने मरीजों में हार्ट फेलियर के केस सामने आ रहे हैं, उनके लंग्स में पानी भर जा रहा है, प्रदूषण से उन्हें सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई है। इससे बीपी बढ़ने से दिल के दौरे हो रहे हैं। ऐसे मरीजों का हॉस्पिटलाइजेशन होने की संख्या भी बढ़ी है। यह समय सावधानी और सतर्कता बरतने वाला है।

प्रदूषण से युवाओं में दिल का दौरा ज्यादा, बेतरतीब जीवनशैली से खतराः सीएसआई पूर्व जनरल सेक्रेटरी डॉ. देबब्रत

कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के पूर्व जनरल सेक्रेटरी और सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देबब्रत रॉय बताते हैं कि विंटर सीजन में चेस्ट पेन की समस्या बढ़ जाती है। कई क्लीनिकल स्टडी में सामने आ चुका है कि ठंड में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है और इससे युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है।

उन्होंने बताया कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार ठंड के दौरान फेस्टिवल व छुट्टियों के सीजन में दिल का दौरा ज्यादा बढ़ने की बात सामने आई है। ठंड के दौरान देखा गया है कि लोगों की शारीरिक गतिविधि बहुत कम हो जाती है, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसे मौसम में जब आउटिंग के दौरान मौसम में अचानक आए बदलाव के साथ अनियमित शारीरिक गतिविधि बढ़ने से, फैटी खानपान के साथ अन्य चीजें बढ़ जाती हैं, इससे दिल के दौरा का खतरा बढ़ता है। दिल के मरीजों को ऐसे समय में सावधानी बरतनी चाहिए।

हार्ट अटैक से बचने बीपी, शुगर, कोलेस्ट्रॉल टेस्ट कराएं, नियमित व्यायाम, संतुलित खानपान करें

- कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट्स के अनुसार ठंड के मौसम में दिल के दौरे की आशंका को लेकर सभी आयुवर्ग के लोगों को सतर्क व सावधानी बरतनी चाहिए।

- हार्ट अटैक से जुड़े कोई भी लक्षण होने पर तत्काल विशेषज्ञ को दिखाएं।

- किसी आउटिंग या शादी समारोह में शामिल होने से पहले बीपी, शुगर और कोलेस्ट्रॉल चेक कराएं, इससे दिल के दौरे की आशंका पता चल जाएगी।

- ठंड के मौसम में अचानक शारीरिक गतिविधि, अनियमित खानपान, शराब, ड्रिंक के सेवन से बचें।