5000 मिसाइलें, 6000 बम, 5000 इमारतें गिरने से गाजा की हवा जहरीली; मिट्टी-पानी का प्रदूषण दूर होने में वर्षों लगेंगे
युद्ध हमारे वातावरण पर प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों तरीके से प्रभाव डालते हैं। प्रत्यक्ष प्रभाव तो विस्फोटकों से हवा में फैलने वाली जहरीली गैसें इमारतों और उद्योग धंधों को नुकसान आदि के रूप में होता है। परोक्ष प्रभाव में पेड़-पौधों पानी मिट्टी आदि को नुकसान होता है जिसका असर युद्ध के बाद दशकों तक रहता है। गाजा में करीब 5000 इमारतें ध्वस्त हो गई हैं।
एस.के. सिंह, नई दिल्ली। इस समय इजरायल और हमास के बीच जो युद्ध चल रहा है, उससे जान-माल का तो नुकसान हो ही रहा है, उसका एक और पहलू पर्यावरण को होने वाला नुकसान है। इजरायल-हमास ही नहीं, किसी भी युद्ध का पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ता है। पर्यावरण पर रक्षा क्षेत्र के असर की चर्चा बहुत कम होती है, क्योंकि डिफेंस को बाकी सब बातों से ऊपर माना जाता है। हालांकि बम, गोला-बारूद आदि के इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली ग्रीनहाउस गैसें बड़ी मात्रा में निकलती हैं और इनका असर भी लंबे समय तक रहता है। यहां विशेषज्ञों से बातचीत और विशेषज्ञ संस्थाओं की स्टडी के आधार पर हम बता रहे हैं कि किसी युद्ध का पर्यावरण पर कितना प्रभाव पड़ता है।