इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए बढ़ सकता है बजट, अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए भी ऐलान की उम्मीद
केंद्र सरकार देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने की योजना के तहत काम कर रही है। सरकार की प्राथमिकताओं में हाउसिंग रेल सड़क जल हवाई मार्ग के साथ-साथ डिजिटल इंफ्रा शामिल है। केंद्र की विकसित भारत योजना के केंद्र में गति शक्ति योजना शामिल है। इसके तहत देश में एक मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने का काम किया जा रहा है।
नई दिल्ली। अनुराग मिश्र/ विवेक तिवारी । केंद्र सरकार देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने की योजना के तहत काम कर रही है। विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार की प्राथमिकताओं में हाउसिंग, रेल, सड़क, जल, हवाई मार्ग के साथ-साथ डिजिटल इंफ्रा शामिल है। केंद्र की विकसित भारत योजना के केंद्र में गति शक्ति योजना शामिल है। इसके तहत देश में एक मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने का काम किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इस बजट में देरी से चल रहे प्रोजेक्टों में तेजी लाने पर जोर दे सकती है। वहीं अफोर्डेबल हाउसिंग के साथ ही एग्री इंफास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए बड़े ऐलान किए जा सकते हैं। ग्रीन एनर्जी को प्रोत्साहित करने के लिए इसका इंफास्ट्रक्चर विकसित करने पर जोर दिया जा सकता है।
मोदी सरकार का इंफ्रा पर है जोर
केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद अहम है। ये इस बात से समझा जा सकता है कि अंतरिम बजट 2024-25 में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सरकार ने लगभग 11.10 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश का ऐलान किया था। ये 2024-25 के लिए भारत की संभावित जीडीपी का 3.4% है। बीते बजट की तुलना में इसमें लगभग 11 फीसदी का इजाफा गया था। गौरतलब है कि 2023 के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए किए जाने वाले खर्च को लगभग 34 फीसदी तक बढ़ा दिया गया। ऐसे में साफ है कि सरकार हर साल इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट बढ़ा रही है।
तेजी से बढ़ा सड़कों का जाल
केंद्र सरकार ने देश में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है। ये इस बात से समझा जा सकता है कि 2013-14 में प्रतिदिन 11.6 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बन रहे थे वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 28.3 किलोमीटर प्रति दिन तक पहुंच गया। यानी पिछले एक दशक में सड़कें बनने की रफ्तार ढाई गुने से भी ज्यादा बढ़ गई। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक और आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सतीश चंद्रा कहते हैं कि निश्चित तौर पर देश में बड़े पैमाने पर विश्व स्तरीय हाइवे बन रहे हैं। सरकार ने इस दिशा में काफी काम किया है। लेकिन आज हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि हाइवे पर होने वाले हादसों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। 2023 में हाइवे पर लगभग पांच लाख दुर्घटनाएं हुई। इनमें लगभग 168000 लोगों की मौत हुई। ऐसे में सरकार को बजट में सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रावधान करने चाहिए। वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ी समस्या हाइवे के व्यवस्थित न होने की है। देश में अच्छे हाइवे तो बन रहे हैं और उन पर टोल भी वसूला जा रहा है लेकिन सड़कों का मेंटिनेंस ठीक नहीं है। हाइवे पर आपको कई जगह बड़े गड्ढे देखने को मिल जाएंगे। सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।
रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट की नहीं होगी कमी
मोदी सरकार की विकसित भारत की योजना में रेलवे को ग्रोथ इंजन के तौर पर देखा जा रहा है। यही कारण है कि पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार ने रेलवे का बजट लगभग 6 गुना तक बढ़ा दिया है। खास तौर पर रेलवे में मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए निवेश बढ़ाया गया है। रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य रहे विजय दत्त कहते हैं कि केंद्र सरकार के नेश्नल रेल प्लान के तहत रेलवे की माल डुलाई की हिस्सेदारी को 43 फीसदी तक ले जाना है। 2023 में रेलवे की माल ढुलाई में हिस्सेदारी 27 फीसदी थी। रेलवे के फ्रेट ट्रांसपोर्ट को बढ़ाने के लिए रेलवे की ओर से डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर का ज्यादातर काम पूरा कर लिया है। कुछ हिस्से बचे हुए हैं उन पर भी जल्द ही काम पूरा कर लिया जाएगा। उम्मीद है रेलवे के चल रहे प्रोजेक्टों के लिए बजट में ज्यादा प्रावधान होंगे। वहीं रेल गाड़ियों की स्पीड बढ़ाने के लिए जरूरत है कि बड़े पैमाने पर लाइनों की डबलिंग और नई लाइनों का काम बिछाने का काम किया जाए। नई लाइन बिछाने के लिए जमीन अधिग्रहण में पूंजी की काफी जरूरत होती है। उम्मीद है कि सरकार जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस जरूरत का बजट में ध्यान रखेगी। रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तरीय बनाने के लिए देश भर में रेलवे बड़े पैमाने पर काम कर रहा है। ऐसे में बजट में स्टेशन डेवलपमेंट के काम के लिए भी प्रावधान किए जाने की जरूरत है। उम्मीद है कि वित्त मंत्री बुलेट ट्रेन के इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पर्याप्ता बजट आवंटन करेंगी। बुलेट ट्रेन को चलाए जाने के लिए 2026 की समय सीमा निश्चित की गई है।
एविएशन सेक्टर में बड़े निवेश की जरूरत
देश का ऐविएशन सेक्टर तेजी से विकास कर रहा है। भारतीय विमानन बाजार में 2047 तक सालाना करीब 300 करोड़ यात्रियों को सेवा देने की जरूरत होगी। गौरतलब है कि भारत में मध्यम वर्ग से विमानन सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ी है। "एक अनुमान के अनुसार, 2047 तक हमें हर साल करीब 300 करोड़ यात्रियों को ले जाना चाहिए। 1 फरवरी को अपने 2024 के पेश हुए अंतरिम बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के विमानन क्षेत्र के तेजी से होते विकास पर प्रकाश डाला था। उन्होंने बताया था सरकार 517 नए हवाई मार्ग शुरू करने पर काम कर रही है। वहीं हवाई यात्रियों की संख्या में 13 मिलियन की वृद्धि की उम्मीद शामिल है। सीतारमण ने 1,000 से अधिक विमानों के रिकॉर्ड-तोड़ ऑर्डर की बात कही थी। एविएशन एक्सपर्ट ऋषिकेश मिश्रा कहते हैं कि भारत में अभी एविएशन सेक्टर के विकास की काफी संभावना है। आज देश में लगभग 200 एयरपोर्ट हैं अगले 10 सालों में इनकी संख्या 500 तक पहुंच सकती है। भारत में बहुत से ऐसे छोटे एयरपोर्ट हैं जिनका सही से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। सरकार को बजट में इस तरह के एयरपोर्ट को डेवलप करने पर जोर देने के लिए स्कीम का ऐलान करना चाहिए। आज देश के एविएशन सेक्टर में स्किल्ड लोगों की काफी कमी है। ऐसे में स्किल डेवलपमेंट के लिए इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को बजट में ध्यान देना चाहिए। आज देश में कुछ बड़े एमआरओ हैं जहां विमानों का मेंटिनेंस होता है। सरकार को कुछ एमआरओ बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। यहां छोटे विमानों का या किसी खास पुर्जे का मेंटिनेंस किया जा सकता है। इससे एक तरफ जहां रोजगार बढ़ेगा वहीं विमानन उद्योगों को भी कम कीमत में बेहतर सर्विस मिल सकेगी। देश में छोटे विमानों या ट्रेनर विमानों को आयात करने के लिए नियमों को सरल किए जाने की जरूतर है। यदि सरकार ऐसा करती है तो कई छोटी एयरलाइंस रीजनल कनेक्टिविटी के तहत सर्विस शुरू कर सकती हैं। वहीं सरकार को रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत कम से कम 50 फीसदी सीटें आरक्षित करने के प्रावधान करने चाहिए। इससे लोगों को सस्ती और बेहतर सेवा मिल सकेगी।
अफॉर्डेबल हाउसिंग के लिए बने नीति
केंद्र सरकार अर्बन इंफ्रा के विकास और लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए अफॉर्डेबल हाउसिंग के तहत 3 करोड़ घरों का निर्माण का ऐलान पहले ही कर चुकी है। रियल एस्टेट सेक्टर को बजट से उम्मीद है कि मांग बढ़ाने के लिए सरकार अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए ब्याज दरों में कमी या किसी तरह की सब्सिडी का ऐलान कर सकती है। रियल एस्टेट एक्सपर्ट राकेश पुरोहित कहते हैं कि सरकार ने अफोर्डेबल हाउसिंग के तहत मकान बनाने लगभग बंद कर दिए हैं। ज्यादातर बिल्डरों को उनके प्रोजेक्ट में 10 फीसदी मकान इस स्कीम के तहत बेचने का प्रावधान किया गया है। लेकिन ये योजना सफल नहीं रही है। ऐसे में सरकार को नेशनल ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट पॉलिसी जैसी नीतियों के बारे में एक बार फिर से सोचने की जरूरत है। इसके तहत एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ हाउसिंग को डेवलप किया जाना था। शहर के बीच की तुलना में हाइवे के किनारे जमीन सस्ती मिलेगी जिससे अफोर्डेबल मकान बनाने भी आसान होगा। बिल्डरों के संस्था नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल ने वित्त मंत्री से मांग की है कि सरकार ऐसी नीतियों पर काम करे जिससे हाउसिंग फॉर ऑल की नीति को बढ़ावा दिया जा सके। संस्था ने होमबायर्स को राहत देने के लिए हाउसिंग लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24 के तहत मिलने वाली टैक्स छूट की लिमिट को मौजूदा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की मांग की है।