नई दिल्ली, जागरण प्राइम । दुनिया भर में लोगों के बीच नई बीमारी Disease X की खूब चर्चा है। यूके की एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और वैक्सीन टास्क फोर्स की अध्यक्षता कर चुकी केट बिंघमका का दावा है कि 'Disease X', बेहद संक्रामक और जानलेवा होगा। आपके मन में भी बहुत से सवाल होंगे कि Disease X कब आएगी, क्या इससे डरने की जरूरत है, इसकी दवा या वैक्सीन कब उपलब्ध होगी आदि। आपके इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमने पीपल्स हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन एंड ऑर्गेनाइज्ड मेडिसिन अकेडेमिक गिल्ड के सेक्रेटरी जनरल डॉ ईश्वर गिलाडा, 'Disease X' पर रिसर्च पेपर प्रकाशित कर चुके केजीएमसी के डॉक्टर विभोर अग्रवाल, जेएनयू के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर रूपेश चतुर्वेदी से बात की।

'Disease X' क्या है?

डिजीज एक्स वर्तमान में मौजूद कोई बीमारी या वायरस नहीं है। ये एक परिकल्पना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने 2018 में पहली बार एक अज्ञात बीमारी के रूप में 'Disease X'की चर्चा की थी। 'Disease X' को एक अज्ञात रोगजनक के तौर पर बताया गया है जो एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय महामारी का कारण बन सकता है।

'Disease X' में 'X' का मतलब क्या है?

विज्ञान में 'X' का मतलब होता है कि इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। या इसके बारे में हमें अभी पता लगाना है। इसी तरह 'Disease X' में अभी ये बीमारी किसी वायरस से होगी, बैक्टीरिया से होगी या फंगस से, ये अभी पता लगाना है।

क्या 'Disease X' कोविड जैसे किसी वायरस से फैलेगी?

जैसा हमने पहले बताया ये एक परिकल्पना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 'Disease X' किसी एक नए वायरस, जीवाणु या कवक के जरिए फैल सकती है। संभव है कि इसके लिए हमारे पास पहले से कोई दवा या वैक्सीन न हो।

'Disease X' को रोकने का कोई तरीका है?

WHO की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक पूरी दुनिया में वैज्ञानिक किसी ऐसी दवा या वैक्सीन को बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो कई सारी बीमारियों पर एक साथ काम करे। ये भी प्रयास किया जा रहा है कि कोई ऐसी दवा बनाई जाए तो किसी गंभीर महामारी को प्राथमिक तौर पर रोकने में मददगार हो।

क्या हमें 'Disease X' से डरने की जरूरत है?

फिलहाल डिजीज एक्स से डरने की जरूरत नहीं है। अब तक इसका कोई वजूद नहीं है। लेकिन आपको अपने जीवन में कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे आप किसी भी बीमारी के संक्रमण से अपने आप को काफी हद तक बचा सकते हैं। इसके लिए आप साफ-सफाई का ध्यान रखें, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, कुछ भी खाने के पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। हाथों को नियमित तौर पर धोएं और मास्क लगाएं।

WHO की क्या है तैयारी?

WHO के लगभग 300 वैज्ञानिकों की टीम ऐसे 25 से अधिक वायरस और बैक्टीरिया परिवारों पर नजर रख रही है जो किसी महामारी का कारण बन सकते हैं। इन पर और अधिक रिसर्च की जा रही है। ये एक निरंतर प्रक्रिया है।

किन बीमारियों के महामारी बनने का खतरा है?

WHO के वैज्ञानिक प्रमुख रूप से कोविड 19, क्रीमियन-कांग रक्तस्रावी बुखार, इबोला वायरस, मारबर्ग वायरस, लासा बुखार, मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (एमईआरएस) निपाह और हेनिपावायरल रोग, रिफ्ट वैली बुखार, जीका वायरस पर नजर रख रहे हैं। इनमें महामारी बनने की आशंका है। हालांकि अगली महामारी के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है।

क्या कोई बीमारी ऐसी हो सकती है जो बेहद जानलेवा हो और संक्रामक भी हो?

सामान्य तौर पर ऐसा नहीं होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी वायरस, फंगस या बैक्टीरिया का सबसे अधिक असर तब होता है जब वो पहली बार इंसानों के संपर्क में आते हैं। धीरे-धीरे इंसानों में उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। आज कोविड भी एक सामान्य बुखार खांसी की तरह हो गया है। ये पहले की तुलना में कम घातक और जानलेवा है।

किसी महामारी को रोकने के लिए क्या करने की जरूरत है?

विशेषज्ञों का मानना है कि पूरी दुनिया में किसी भी महामारी को लेकर एक सर्विलांस सिस्टम विकसित करने की जरूरत है। वहीं किसी तरह की मेडिकल इमरजेंसी के समय दुनिया के सभी देशों के बीच एक समन्वय होना चाहिए, जिससे महामारी को रोकने में मदद मिले। दुनिया के सभी देशों में एक निश्चित प्रोटोकॉल होना चाहिए। सभी देशों को आगे आकर इस तरह के समझौते करने चाहिए कि महामारी की स्थिति में सभी को राहत मिले। आवश्यक दवाएं और इलाज उपलब्ध कराना आसान हो। वहीं देश में बाहर से आने वाले सभी लोगों की मेडिकल जांच का एक प्रोटोकॉल होना चाहिए।

महामारी की स्थिति में हम अपना बचाव कैसे कर सकते हैं?

कोई भी महामारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। कोविड में भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ही संक्रमण फैल रहा था। अगर सरकार या डब्ल्यूएचओ किसी महामारी का ऐलान करता है तो आपको अपने जीवन में कुछ बदलाव करने होंगे। आपको कम से कम लोगों के संपर्क में आने की कोशिश करनी होगी। हाथों को हमेशा साबुन से धोना होगा। मास्क लगाना होगा। अगर आपको महसूस हो कि आपको संक्रमण हो गया है तो आपको और लोगों से अलग करना होगा ताकि संक्रमण और न फैले।

ये खतरनाक बीमारियां क्यों बढ़ने लगी हैं?

दरअसल पूरी दुनिया में आबादी बढ़ने के साथ ही विकास की अंधी दौड़ चल रही है। इस दौड़ में इंसान जंगल काट रहा है, पहाड़ों को खत्म कर रहा है, ऐसी जगहें जहां पहले इंसान कभी नहीं जाता था वहां घर बना कर रह रहा है। ऐसे में बहुत से ऐसे वायरस, बैक्टीरिया और फंगस हमारे संपर्क में आ रहे हैं जो पहले कभी नहीं आए। अब भी बहुत से ऐसे वायरस हैं जिनके बारे में इंसानों को बहुत जानकारी नहीं है। इन वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के संपर्क में आने से ही खतरनाक बीमारियां बढ़ी हैं।

भारत में 'Disease X' का कितना खतरा है?

फिलहाल दुनिया में कहीं भी 'Disease X' का कोई खतरा नहीं है। हां ये सच है कि महामारी एक देश से दूसरे देश में फैलती है। भारत में ज्यादा आबादी होने के चलते जनसंख्या घनत्व ज्यादा है। ऐसे में अगर किसी और देश से महामारी शुरू होती है तो भारत में आने के सभी रास्तों को बंद कर कुछ समय तक के लिए महामारी से बचा जा सकता है। लेकिन एक बार बीमारी देश में आने के बाद बहुत तेजी से फैलेगी क्योंकि यहां लोगों के आसपास रहने के चलते संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इसलिए सरकार ने कोविड के दौरान लॉकडाउन लगाया।

क्या 'Disease X' को लेकर कोई वैक्सीन जल्द ही तैयार हो सकती है?

विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी वैक्सीन को बनाने के लिए ये पता होना चाहिए उसे किस वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ बनाया जाना है। 'Disease X' किस वायरस या बैक्टीरिया के चलते होगा, अभी ये ही पता नहीं है तो वैक्सीन कैसे बनाई जा सकती है।

कोई बीमारी महामारी कब बन जाती है?

बीमारी एक निश्चित जगह पर सीमित लोगों को हो सकती है। महामारी किसी बीमारी या संक्रमण का विश्वव्यापी प्रसार है। यह शब्द भौगोलिक प्रसार से जुड़ा है न कि संक्रमण में किसी खास तरह के बदलाव से। WHO के मुताबिक महामारी का मतलब है 'दुनिया भर में एक नई बीमारी का फैलना'। महामारी (pandemic) की उत्पत्ति ग्रीक शब्द पैंडेमोस से हुई है जिसका अर्थ है एक ऐसी बीमारी जो 'सभी लोगों' को प्रभावित करती है।

वैक्सीन बनाने में भारत की क्या स्थिति है?

भारत सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक वैश्विक वैक्सीन उत्पादन में भारत का योगदान 60 प्रतिशत है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक बनाता है। भारत दुनिया में कम लागत वाले टीकों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है और वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता है। भारत मात्रा के हिसाब से जेनेरिक दवाओं की वैश्विक आपूर्ति में 20% हिस्सेदारी रखता है। इसके अलावा, भारत ने वैक्सीन मैत्री पहल (19 मई, 2023 तक) के तहत लगभग 100 देशों को 298 मिलियन से अधिक COVID-19 टीकों की आपूर्ति की है।